मै कौन हूं क्या हूं
यह सवाल बडा़ है
बनकर अजब पहेली
बरसों से सामने खड़ा है
जानवर हूं या इंसान
समझ न पा रहा हूं
फरक इसमें कर पाना
इम्तिहान बहोत कड़ा है
मन तो कह रहा है
मान लूं मै खुदको इंसान
दो धारी तलवार लेकर
तन जीद पर अड़ा है
उलझनभरी कश्मकश का
न मिल रहा कुछ जवाब
जल्द हि फैसला किजीए
आप साहेबान पर छोडा़ है
दिल कि बेचैनी से
मूक्ती दिला दो मूझे
आशाओं का ये दरीया मैने
आपकी ओर मोड़ा है
स्वरचित
गजेंद्र गोविंदराव कूडमाते