*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*वसंत, बहार, मधुमास, कुसुमाकर, ऋतुराज*
ऋतु वसंत की थपकियाँ, देतीं सदा दुलार।
प्रेमी का मन बावरा, बाँटे अनुपम प्यार।।
चारों ओर बहार है, आया फिर मधुमास।
धरा प्रफुल्लित हो रही, देख कृष्ण का रास।।
छाया है मधुमास यह, जंगल खिले पलाश।
आम्रकुंज है झूमता, यह मौसम अविनाश।
कुसुमाकर ने लिख दिया, फागुन को संदेश।
वृंदावन में सज गया, होली का परिवेश।।
ऋतुओं का ऋतुराज है, छाया हुआ वसंत।
बाट जोहती प्रियतमा, कब आओगे कंत।।
मनोजकुमार शुक्ल *मनोज*