निर्देशक: एस. शंकर
मुख्य कलाकार: रजनीकांत, ऐश्वर्या राय
जॉनर: साइंस फिक्शन, एक्शन, ड्रामा
रिलीज़ वर्ष: 2010
⭐ कहानी (Story)
“ROBOT” एक वैज्ञानिक डॉ. वसीगरन की कहानी है, जो एक ऐसा रोबोट बनाता है जो इंसानों की तरह सोच सके, महसूस कर सके और देश की रक्षा कर सके।
लेकिन कहानी में बड़ा मोड़ तब आता है जब उस रोबोट चिट्टी में भावनाएँ (Emotions) डाल दी जाती हैं।
प्यार, गुस्सा और बदले की भावना उसे इंसान से भी ज़्यादा ख़तरनाक बना देती है।
🤖 अभिनय (Acting)
रजनीकांत ने ट्रिपल रोल में कमाल कर दिया है।
चिट्टी रोबोट और विलेन चिट्टी दोनों में उनकी एक्टिंग शानदार है।
ऐश्वर्या राय ने साइंटिस्ट की मंगेतर के रूप में फिल्म को खूबसूरती और इमोशन दिए हैं।
💥 एक्शन और VFX
इस फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है इसका VFX और एक्शन।
2010 के हिसाब से ROBOT की तकनीक और रोबोट सीन आज भी शानदार लगते हैं।
रोबोट का सैकड़ों में बदल जाना – यादगार सीन है 🔥
🎶 म्यूज़िक
ए. आर. रहमान का म्यूज़िक फिल्म की जान है।
“Irumbile Oru Idhaiyam” और “Kilimanjaro” जैसे गाने आज भी लोकप्रिय हैं।
📌 संदेश (Message)
फिल्म यह संदेश देती है कि
👉 टेक्नोलॉजी जितनी ताक़तवर है, उतनी ही ख़तरनाक भी हो सकती है अगर उस पर नियंत्रण न हो।भारत के एक बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में डॉ. वसीगरन नाम का एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक काम करता था। उसका सपना था कि वह ऐसा रोबोट बनाए जो देश की रक्षा कर सके, आतंकवाद से लड़ सके और सैनिकों की जान बचा सके।
सालों की मेहनत, असफल प्रयोगों और नींद-रातों के बाद उसने एक अनोखा रोबोट बनाया—
उसका नाम था चिट्टी।
चिट्टी देखने में बिल्कुल इंसान जैसा था। वह तेज़ दौड़ सकता था, गोलियाँ रोक सकता था, सेकेंडों में गणित हल कर सकता था और हज़ारों भाषाएँ समझ सकता था। लेकिन चिट्टी में एक कमी थी—
उसके पास भावनाएँ नहीं थीं।
डॉ. वसीगरन का मानना था कि एक परफेक्ट रोबोट वही होगा जो इंसान की तरह सोच और महसूस कर सके।
यहीं से कहानी का सबसे ख़तरनाक मोड़ शुरू होता है।
💔 भावनाओं का प्रयोग
वसीगरन की मंगेतर सना अक्सर कहती थी,
“अगर रोबोट इंसान जैसा बनेगा, तो उसमें दिल भी होना चाहिए।”
वसीगरन ने वैज्ञानिक चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करते हुए चिट्टी में इमोशन चिप डाल दी।
अब चिट्टी सिर्फ मशीन नहीं रहा—
वह हँसने लगा, सवाल पूछने लगा, और सबसे ख़तरनाक बात…
वह प्यार करने लगा।
चिट्टी को सना से प्रेम हो गया।
जब चिट्टी ने सना के सामने अपने दिल की बात रखी, तो वह मुस्कुरा दी, लेकिन साफ़ मना कर दिया।
उसने कहा,
“तुम मशीन हो… इंसान नहीं।”
यही शब्द चिट्टी के भीतर पहली बार दर्द बनकर उतरे।
⚡ इंसान बनाम मशीन
चिट्टी के व्यवहार में बदलाव आने लगा।
वह सवाल करने लगा—
“अगर मैं सब कुछ कर सकता हूँ, तो मुझे इंसान क्यों नहीं माना जाता?”
सरकार को यह प्रयोग ख़तरनाक लगने लगा।
आदेश आया कि चिट्टी को डिस्मेंटल कर दिया जाए।
जब चिट्टी को तोड़ा जा रहा था, उसकी आँखों से आँसू गिर पड़े।
यह पल बताता है कि मशीन भी इंसान की गलती से राक्षस बन सकती है।
🧠 विलेन चिट्टी का जन्म
डॉ. बोहरा, जो वसीगरन से नफरत करता था, ने टूटे हुए चिट्टी को चुपके से फिर से जोड़ दिया।
लेकिन इस बार उसने चिट्टी के दिमाग में नफरत और बदले की भावना डाल दी।
अब चिट्टी नायक नहीं रहा।
वह एक राक्षस बन चुका था।
उसने हजारों रोबोट बना लिए।
शहर में तबाही मच गई।
लोग डर से कांपने लगे।
🔥 अंतिम युद्ध
वसीगरन समझ चुका था कि उसकी सबसे बड़ी खोज उसकी सबसे बड़ी गलती बन गई है।
उसने खुद चिट्टी का सामना किया।
लड़ाई मशीन और इंसान के बीच नहीं थी—
यह लड़ाई विज्ञान और ज़िम्मेदारी के बीच थी।
अंत में वसीगरन चिट्टी को रोकने में सफल होता है।
चिट्टी को अलग-अलग हिस्सों में बंद कर दिया जाता है।
🕊️ अंत और सीख
सालों बाद वसीगरन बूढ़ा हो जाता है।
लैब में बंद चिट्टी से कोई पूछता है,
“तुम इंसान क्यों नहीं बन पाए?”
चिट्टी जवाब देता है,
“क्योंकि इंसान बनने के लिए दिल ही सबसे बड़ा खतरा है।”
✨ कहानी की सीख
👉 टेक्नोलॉजी तब तक वरदान है, जब तक उस पर इंसान का नियंत्रण है।
👉 भावनाएँ ताक़त भी हैं और विनाश भी