*नवरात्रि की शुरुआत किसने की थी*
नवरात्रि की शुरुआत भगवान राम ने शारदीय नवरात्रि के दौरान की थी, जब उन्होंने ब्रह्मा जी की सलाह पर रावण से युद्ध करने से पहले देवी दुर्गा की 9 दिनों तक पूजा की थी. इस पूजा से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया, जिसके बाद वे रावण का वध करने में सफल हुए. इसी घटना की याद में नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी की पूजा की जाती है.
कहानी का विवरण:
ब्रह्माजी की सलाह: भगवान राम को रावण वध से पहले ब्रह्मा जी ने माता दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने का सुझाव दिया था.
9 दिनों की उपासना: श्री राम ने प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक लगातार 9 दिनों तक देवी चंडी की पूजा की थी.
शक्ति की प्राप्ति: 9 दिनों की उपासना से प्रसन्न होकर देवी ने भगवान राम को विजय का आशीर्वाद दिया.
रावण पर विजय: आशीर्वाद मिलने के बाद भगवान राम रावण का वध करने में सफल हुए.
प्रचलन की शुरुआत: तभी से नवरात्रि में नौ दिनों तक शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा की उपासना का प्रचलन शुरू हुआ और दसवें दिन दशहरे पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाया जाता है.
🌸 नवरात्र की साहित्यिक कविता – नौ रूपों में आदिशक्ति 🌸
१. शैलपुत्री
पहला दिन, पर्वत की पुत्री का,
धैर्य और संयम की मूरत का।
नंदी पर आरूढ़ शैलपुत्री,
हर हृदय में शक्ति की ज्योति जगाती।
वह सिखाती—अडिग रहो संकट में,
पर्वत-सा दृढ़ बनो हर क्षण में।
२. ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन माँ का तपस्विनी रूप,
हाथों में कमंडल और जपमाला धूप।
संयम, साधना, और तप की देवी,
मनुष्य को सच्चे मार्ग की सेवा देती।
उनकी कृपा से मिलता है ज्ञान,
वैराग्य से खुलता जीवन का प्राण।
३. चंद्रघंटा
तीसरे दिन गूँजता है रणघोष,
सिंहवाहिनी माँ का है उत्कट जोश।
माथे पर बजती है चंद्र की घंटा,
जो मिटाती है भय और संकट का फंदा।
साहस और पराक्रम का स्वरूप,
भक्तों के मन में जगाती अनुरूप।
४. कूष्मांडा
चौथे दिन माँ का वह रूप निराला,
हँसते हुए सृजा ब्रह्मांड उजाला।
अणु-अणु में बसी जो कूष्मांडा,
उनसे ही है जीवन की धारा।
सृजन और प्रसन्नता की देवी,
दुख में भी देती हँसी अनोखी।
५. स्कंदमाता
पाँचवें दिन माँ बनती हैं मातृरूप,
गोलकधारी, वात्सल्य की धूप।
गोधूलि-सा स्नेह, करुणा का सागर,
उनकी गोद में मिलता है आधार।
बच्चे-सा मन, सरल और पावन,
उनके चरणों में होता सावन।
६. कात्यायनी
छठे दिन माँ सिंह पर सवार,
असुरों का करती संहार।
कात्यायनी है वीरत्व की निशानी,
अधर्म मिटाकर रचती कहानी।
नारी का शौर्य, शक्ति का मान,
उनसे जग में होता सम्मान।
७. कालरात्रि
सातवें दिन प्रकट होता है भयावह रूप,
भूत-प्रेत सब भागते उस स्वरूप।
कालरात्रि हैं काल की भी आराध्या,
भक्तों की रक्षा, दुष्टों की बाधा।
भले ही रूप कठोर दिखे,
ममता उनकी मन को चखे।
८. महागौरी
आठवें दिन माँ का उज्ज्वल रूप,
धवल वस्त्र, निर्मल स्वरूप।
पवित्रता, शांति, और क्षमा की देवी,
उनके दर्शन से दुख हर लेवी।
जीवन को करती पूर्ण निर्मल,
उनकी कृपा से मिटे हर विघ्न पल।
९. सिद्धिदात्री
नवमी को माँ का वरदानमयी रूप,
देती हैं सिद्धि, सफल बनाती हर कूप।
संसार की हर शक्ति का वे मूल,
साधकों को देती हैं ज्ञान का फूल।
उनके चरणों में पूर्णता मिलती,
साधना की पराकाष्ठा खिलती।
---
🌺 समापन 🌺
नवरात्र का यह पावन पर्व,
सिर्फ उपवास या श्रृंगार नहीं।
यह तो आत्मा की यात्रा है,
भक्ति, शक्ति और संस्कार का आह्वान है।
हे माँ!
तेरे नौ रूपों से जगत सजा है,
तेरे आशीष से हर संकट टला है।
नवरात्र का हर क्षण हो सफल,
तेरे चरणों में झुके यह जीवन सरल।
🔔🌸🙏
जय माता रानी की
एस्ट्रो प्रोफेसर डीबी