Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

बेटी और बाप की बातचीत के बोल
कलेक्टर जो खरीदा आपने कर्ज लेकर,
बन तो मैं भी सकती थी अगर आप मुझे पढ़ाते तो।
अपने हक़ के झोपड़े में ही रहती मालकिन की तरह,
अगर आप मुझे किसी महल के आंगन में यूँ नहीं दफनाते तो।
और मुझे परहेज़ थोड़ी है रसोई घर के तकलीफों से,
ज़रा सा ज़र्क़ अगर आप अपने बेटों को भी सिखाते तो।
और ज़माने से हारे आप और आपसे हारी मैं,
मज़ा तो तब था जब हम मिलके हराते ज़माने को।
और बाबा, आप क्या कहते थे?
आँगन की चिड़िया होती है बेटियाँ।
फिर मुझे यूँ खूँटे से क्यूँ बाँधा?
क्यों नहीं दिया आसमान, ऐसे ही उड़ जाने को?

nidhimishra705356

अस्तित्व एक है— “मैं” विभाजन
Vedanta 2.0

मनुष्य का पहला पाप —
“मैं” कहना।

जैसे ही “मैं” प्रकट हुआ,
दूसरा भी जन्म ले लिया।
दूसरा अनिष्ट लगे —
तो संघर्ष।
दूसरा श्रेष्ठ लगे —
तो पूजा।
लेकिन दोनों में —
तुम टूट चुके हो।

अस्तित्व में न किसी का
नाम, रूप, आकार, जाति है —
फिर भी हम
“मैं” को अलग सिंहासन दे देते हैं।

अस्तित्व के बीच दीवार बनती है —
और उसे ज्ञान कहा जाता है।

ज्ञान
मनुष्य का सबसे बड़ा नशा है।
जैसे ही कोई कहता है —
“मुझे पता है”
वह अस्तित्व से दूर गिरना शुरू कर देता है।

ज्ञान का हर टुकड़ा
अस्तित्व का एक टुकड़ा काट देता है।
इसीलिए ज्ञानी बढ़ते-पढ़ते
अंधे हो जाते हैं।

लोग पूछते हैं —
“सत्य कहाँ है?”
और जवाब किताब में ढूँढते हैं।
जबकि किताब उस दिन लिखी गई थी
जिस दिन किसी ने पहली बार
अस्तित्व से मुँह फेरकर
ज्ञान पर भरोसा किया।

शास्त्र —
वास्तव में
खंडन की डायरी हैं।
हर धर्म —
मनुष्य की हार का तमगा।

जब तुम अपने आप को देखते हो —
ज्ञान गायब हो जाता है।
और
जब ज्ञान गायब —
“मैं” भी गायब।

और जहाँ “मैं” नहीं —
वहीं अस्तित्व है।

सत्य कभी खोज से नहीं मिला,
सत्य तो
तुम्हारे “मैं” के
गिरने का ध्वनि-नाद है।

जहाँ पहचान खत्म —
वहीं परम का द्वार खुला।

वही वेदांत का पहला कदम है:
सारी पहचान जलाओ —
सिर्फ़ होना बचाओ।

bhutaji

वेदान्त 2.0 — मुख्य विचारधारा का सुव्यवस्थित सार ✧

1️⃣ मूल तत्त्व : विराट शून्य
वेदान्त 2.0 का आधार है —
"विराट शून्य" : अनंत, मौन, स्थिर अस्तित्व
जहाँ समस्त संभावनाएँ सूक्ष्म चेतना रूप में सुप्त निवास करती हैं।

2️⃣ सृष्टि की उत्पत्ति : कंपन और ऊर्जा
विराट शून्य में सूक्ष्म कंपन उत्पन्न होता है, और वही
ब्रह्मांड की मूल शक्ति — ऊर्जा — बनकर व्यक्त होता है।
इसी ऊर्जा के तीन गुण हैं:

सत् — स्थिरता

रज — गतिशीलता

तम — जड़ता

यही कंपन पदार्थ और चेतना — दोनों का स्रोत है।

3️⃣ चेतना = ऊर्जा = ब्रह्मांड
वेदान्त 2.0 कहता है कि —
ब्रह्मांड, ऊर्जा और चेतना
तीनों एक ही कंपन सिद्धांत की विविध अभिव्यक्तियाँ हैं।
इन्हें विज्ञान और वेदान्त — दोनों से अनुभव किया जा सकता है।

4️⃣ आध्यात्मिकता + विज्ञान = समग्र दृष्टि
यह विचारधारा ध्यान, प्राण, ऊर्जा और मानव-मन को
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों संदर्भों में समझाती है।
इससे तीन क्षेत्रों में संतुलन स्थापित होता है:

परंपरागत धर्म

आधुनिक विज्ञान

मनोविज्ञान

5️⃣ प्रश्न से अनुभव तक : मैं कौन हूँ?
यह केवल सिद्धांतों का संग्रह नहीं —
जीवन में प्रयोग और अनुभूति पर आधारित मार्गदर्शन है।
यह आत्म-खोज को वैज्ञानिक और ध्यानात्मक दोनों स्तरों पर समझाता है।

---

✧ निष्कर्ष ✧

वेदान्त 2.0
पारंपरिक वेदांत के आध्यात्मिक सार को
आधुनिक ऊर्जा-विज्ञान और चेतना-विज्ञान के साथ
एकीकृत, टिकाऊ और समकालीन रूप में प्रस्तुत करता है।

यह आधुनिक भारतीय दर्शन में
एक क्रांतिकारी, वैज्ञानिक और अनुभवपरक परिवर्तन के रूप में उभर रहा है —
जहाँ ब्रह्माण्ड, जीवन और चेतना की इकाई का एक समग्र विज्ञान जन्म लेता है।

bhutaji

यह सच कई घरों की दीवारों में
धीरे-धीरे उभर आता है—
एक बेटा…
जो अपना नाम, अपनी चाह,
अपनी थकान तक भूल जाता है
परिवार की खुशी के लिए।

वो सुबह की पहली रोशनी सा
सबके लिए उजाला लाता है,
पर खुद अँधेरों में जी लेता है।
जितने सपने उसके अपने थे,
वो रिश्तों की सिलाई में
धीरे-धीरे टूटते चले जाते हैं।

घर की मुस्कानें
उसकी हड्डियों से उगती हैं,
और आशीर्वाद के नाम पर
उसे बस जिम्मेदारियों की
एक अंतहीन गठरी मिलती है।

फिर एक दिन…
जब घर को उसकी जरूरत नहीं रहती,
उसकी कुर्सी खिसका दी जाती है—
जैसे वो कोई आदमी नहीं,
एक पुराना औज़ार हो
जिसका इस्तेमाल खत्म हो चुका हो।

उसे ही कसूरवार कहा जाता है,
उसी के त्याग पर उँगली उठती है;
और वह चुप खड़ा रहता है—
क्योंकि शिकवा भी
उसे अपने हिस्से का हक नहीं लगता।

ऐसे बेटों की कहानी
कभी लिखी नहीं जाती,
बस उनकी खामोशियाँ
पीढ़ियों तक सुनाई देती हैं—
ये बताते हुए कि
कभी-कभी सबसे बड़ा ‘बेवकूफ’ वही होता है
जो सबसे ज्यादा दिल रखता है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

Coming soon

krishnadebnath709104

খুব শীঘ্রই প্রকাশিত হতে চলেছে।

krishnadebnath709104

जो तुम सोचते हो,वही तुम करों।

stdmaurya.392853

જિંદગી

bhavnabhatt154654

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

💎 VISION WEDNESDAY RETURNS — BIGGER & BETTER! 💎
🔥 MEGA LASIK DRIVE at Netram Eye Foundation 🔥

🌈 Absolutely FREE:
✔️ LASIK Screening
✔️ Complete Eye Checkup

📅 26 November 2025
⏰ 9:00 AM – 2:00 PM
📞9319909455

📍 Netram Eye Foundation
E-98, Inder Mohan Bhardwaj Marg
Opp. Gurdwara Road, Block-E
Greater Kailash-II, New Delhi – 110048

✨ Clear Vision • Zero Cost • One Day Only ✨

netrameyecentre

भय किसे होता है? जिसे लोभ होता है उसे। - दादा भगवान

अधिक जानकारी के लिए: https://hindi.dadabhagwan.org/

#quote #quoteoftheday #spiritualquotes #spirituality #hindiquotes #DadaBhagwanFoundation #DadaBhagwan

dadabhagwan1150

✨ PAAGLA – Quotes That Speak Your Heart ✨
Daily Quotations • Monday to Saturday
Sunday Special Shayari ❤️

Love, Sad, Motivational, Learning, Life & Attitude quotes — sab ek hi jagah!

👉 Join my WhatsApp Channel “PAAGLA”
Daily emotions. Daily inspiration. Daily you.

Message me for chennal link

jaiprakash413885

जिसका कोई नहीं है उसके हैं भगवान
सभी एक साथ बोलो #जय_श्रीराम
#जयश्रीराम 🙏 #जय_हनुमान

rsinha9090gmailcom

જીવનના રસ્તાઓ છે સાકડા,
એમાથી જ જવાનું છે તારે,
કરવી પડશે ગોઠવણી તારે,
એમાથી જ જવાનું છે તારે..

સાકડા રસ્તોઓ ઉપર સામ સામે આવતાં બે ગાડાઓને આગળ પાછળ, ડાબી જમણી, ઢાળ ઉતારી કે ચડાવીને જેમ આગળ લઈ જઈ શકાય છે. એમજ આ જીવનને પણ સાકડા રસ્તાઓ પરથી સારી રીતે ગોઠવણી કરીને પાર કરાવી શકાય છે.

મનોજ નાવડીયા

manojnavadiya7402

Good morning friends have a great day

kattupayas.101947

🙏🙏सुप्रभात 🙏 🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

“ક્યારેક શબ્દો નહીં… માત્ર હાજરી જ દિલને શાંતિ આપે છે.”

truptirami4589

🙏🙏🙏

umeshdonga

ये प्यारी सी छुअन तेरी, हया लगती है मुझको।
ज़िंदगी अब तो एक मीठी दुआ लगती है मुझको।।

वो पहली बार जब तुमने, मेरा हाथ थामा था।
वो मौसम आज तक जैसे, नया लगती है मुझको।।

हर इक लम्हा गुज़रता है, तिरी यादों के साए में।
ये तन्हाई भी अब अपनी, सज़ा लगती है मुझको।।

नज़र भर देख लो इक बार, तो सुकूँ आ जाए दिल को।
ये दुनिया तेरे बिन अब तो, फ़ना लगती है मुझको।।

तुम्हीं से रात की रौशन, तुम्हीं से सुबह की रंगत।
तेरी आवाज़ इक मीठी, सदा लगती है मुझको।।

जो तेरे पास होने का, भरम रह जाए साँसों में।
तो ये बे-नाम सी धड़कन, जिया लगती है मुझको।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

palewaleawantikagmail.com200557

दिल की बात – एक स्त्री का मौन दर्द (पूर्ण

कभी-कभी जीवन में ऐसा समय आता है
जब कोई बड़ा हादसा नहीं होता,
बस कुछ शब्द…
और कुछ लोग…
हमारे अंदर बहुत कुछ तोड़ जाते हैं।
मेरे जीवन में भी ऐसे ही कुछ पल आए
जो आज तक दिल में चुभे हुए हैं।

शादी से पहले मेरी दुनिया छोटी थी।
पैसे कम थे,
सपने बड़े थे,
और मन बहुत ही साधारण खुशियों से संतुष्ट हो जाता था।

एक दिन मार्केट गई।
एक ड्रेस देखी — बहुत सुंदर, बहुत पसंद आई।
महँगी नहीं थी,
लेकिन मेरे हालात के हिसाब से बड़ी थी।
मेरी सहेली ने वही ड्रेस ली थी
तो मैंने भी हिम्मत करके उसी दुकान पर जाने का सोचा।

मैं दुकान में गई,
धीरे से ड्रेस दिखाई और कहा—
“भैया, इसकी कीमत क्या है?”

दुकानदार ने मुझे ऊपर से नीचे तक ऐसे देखा
जैसे मैं वहाँ खरीदने नहीं,
भीख माँगने आई हूँ।
फिर वह हँसते हुए बोला—

“जब लेने की औकात नहीं है,
तो महंगी ड्रेस की दुकान पर क्यों आती हो?
तुम जैसी लोग पता नहीं कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं!
ना लेने की औकात, और दुकान में आने चली आती हो!”

उसकी हर बात ताना नहीं,
जैसे चांटा थी।
दुकान में बाकी लोग भी देखने लगे
और मैं वहाँ अकेली खड़ी थी…
अपमान के बीच।

मेरी आँखों में आँसू आ चुके थे,
पर मैंने कुछ नहीं कहा।
बस चुपचाप,
अपने आँसू छुपाते हुए,
धीरे-धीरे बाहर निकल आई।

उस दिन मैंने जाना कि
अपमान कितने तरीके का होता है—
कभी शब्दों से,
कभी नज़रों से,
और कभी लोगों की सोच से।

शादी हुई।
सोचा था—
अब हालात बदलेंगे,
अब कोई मेरे दर्द को समझेगा।
पर ऐसा नहीं हुआ।

मेरे हसबैंड कहते—
“बहुत पैसा नहीं है, हिसाब से चलो।”
मैं वही करती थी।
सस्ते कपड़ों में भी खुश हो जाती थी।
मन ही मन यह सोचकर संतोष कर लेती थी
कि बस ज़रूरत पूरी होनी चाहिए।

पर दर्द तब हुआ
जब वही हसबैंड
बाद में कहते—

“गँवारू जैसी ड्रेस ले लेती हो!
थोड़ा अच्छा लिया करो।”

और जब कभी मैंने हिम्मत करके
थोड़ा अच्छा लेने की कोशिश की,
तो ताना वही—

“इतना पैसा बर्बाद करती हो?”

सस्ता लूँ तो ताना,
अच्छा लूँ तो ताना…
मानो मेरी हर छोटी इच्छा गलत थी।

दुनिया क्या कहती है,
इससे मैं टूटती नहीं थी।
पर हसबैंड का कहना
दिल पर गहरी चोट छोड़ जाता था।

और फिर बीमारी ने मुझे बिस्तर पर ला दिया।
चलना मुश्किल,
दर्द बढ़ा हुआ।
मैंने बस इतना कहा—
“लेटकर खाना दे दो।”

लेकिन जवाब में सुनना पड़ा—

“बीमारी का बहाना बनाती है,
लेटे-लेटे खाना चाहती है।”

ससुराल के लोग तो कहते ही थे,
पर जब मेरे हसबैंड ने भी
वही बात दोहरा दी—
तब दिल सच में बिखर गया।

क्योंकि दुनिया के ताने सह सकती थी,
पर अपने ही इंसान का अविश्वास
मेरे भीतर तक चीर गया।

मैंने कभी किसी की जेब पर बोझ नहीं डाला,
न कभी औकात से ज़्यादा चाहा।
मैंने हमेशा हिसाब से ही चला,
संतोष में रही,
सादगी में खुश हुई।

लेकिन
दिल को सबसे ज़्यादा वही बातें तोड़ती हैं
जो अपने लोग कहते हैं।

काश कभी किसी से यह न सुनना पड़ता
कि “तुम्हारी औकात नहीं है।”
काश कोई समझ पाता
कि एक स्त्री की असली औकात
उसकी इच्छाओं में नहीं,
उसके आत्म-सम्मान में होती है।

मेरी औकात हमेशा से साफ थी—
संतोष, सादगी और आत्मगौरव।

पर अब बस एक ही दुआ है—
खुदा किसी को भी
उस अपमान का,
उस ताने का,
उस दर्द का बोझ
कभी महसूस न करवाए
जिसे मैंने सहा है।

क्योंकि कुछ घाव दिखाई नहीं देते,
पर हमेशा साथ र

archanalekhikha

જેને પાપ કરતાં બીક લાગે છે, એ મોટું જ્ઞાન કહેવાય. - દાદા ભગવાન

વધુ માહિતી માટે અહીં ક્લિક કરો: https://dbf.adalaj.org/QXzs5Slk

💬 તમારા વિચાર નીચે શેર કરો!

#spirituality #quoteoftheday #quote #spiritualquotes #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

*ઇચ્છા ની કિંમત મોંઘી હોય શકે કદાચ પણ ખુશ રહેવું ક્યારેય પણ મોંઘુ નથી હોતુ.

dipika9474