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about the women

chan02111

""AI भी वहीं अटक गया।
विज्ञान भी वहीं शर्मा गया।"

जब “मैं हूँ”—तो भगवान नहीं है।
तभी संसार बनता है। माया बनती है।
जब केवल “मैं हूँ”—ईश्वर गायब हो जाता है;
और जब केवल “वह है”—मैं गायब हो जाता हूँ।
इसलिए यह खेल अद्भुत अलौकिक या माया संसार या लीला स्वर्ग है।

तुम सिर्फ़ देखते हो। दृष्टा हो।
दिखता है कि अस्तित्व खेल रहा है।
इंसान उस खेल का दर्शक बन जाता है—
और दर्शक ही “मैं” है।
पर असली सत्ता “वह” है।

मानक:
जैसे जाति का कोई प्रमाण नहीं—
फिर भी कागज़ तय कर देता है कि तुम कौन हो।
शरीर नहीं, नाम नहीं—
सिर्फ दृष्टा प्रमाण है।
जो देख रहा है वही ईश्वर का प्रमाण है।
हम दृष्टा तो कागज़ हैं।

कागज़ पर लिखा हुआ सत्य जैसा लगता है—
लेकिन अक्षर गलत हैं, बदल सकते हैं, बदल जाते हैं।
क्योंकि परिवर्तन शाश्वत नियम है।

समस्या यहीं है—
जो कागज़ लिखने के लिए था, दृष्टा था
लेकिन वाह दृष्टा कभी बना ही नहीं जो आह गुरु घंटाल धार्मिक है।
वह जिसने देख दृष्टा बना बोध नहीं अनुभव नहीं कहने लगा " रम कृष्णा कबीर बुद्ध गीता रामायण वेद सत्य है इसी प्रचार मे धार्मिक बन जाता है कहानी प्रवचन सब उस असत्य माया के हिस्सा जिसे आज हो धर्म कहते है ।
वह बताने लगा—राम भगवान हैं,
यह धर्म सत्य है,
यह मंदिर पूजा सत्य है,
यह वेद-उपनिषद-गीता सत्य है…
जो लिखा है वह सत्य है—
ऐसा कागज़ कहता है। जिसी दृष्टि बनने प्रमाण बनना थे बौद्ध करना था।
मानव जाति कै जन्मों सा भर हुआ क्या सत्य हैं बस ये धार्मिक उस धारणा उस मान्यता को मजबूत रखते है लोगो की दृढ़ा भावना मजबूत रहे जो जो मान्यता है धारण वह सत्र बनी रहे तब दुनिया उसका प्रचार उसी गुरु धार्मिकभगवान गुरु धर्माचार्य बना देता है।

लेकिन वे सत्य नहीं हैं।
कागज़ का होना ठीक है।
लेकिन लिखा बदल जाता है, बदला जा सकता है, मिट सकता है।
समझो, मैं लेख लिखता हूँ लेकिन उसकी परिभाषा, उदाहरण—
कल बदल जाएगा।
कल उदाहरण मर जाएगा।
लिखा हुआ बदल जाएगा।

कोरा कागज़ ही सत्य है।
कोरा पर कुछ नहीं लिखा—वह सत्य है।
या कागज़ पर 0 लिख दो—यह सत्य है।

लेकिन ईश्वर अलग है।
ईश्वर का कागज बोधी है, दृष्टा है।
मूल सत्य का बोध है।
मूक सत्य का कागज़ प्रमाण है।
लेकिन मूल सत्य भी कागज़ नहीं है।

अगर कागज़ ही ईश्वर बन गया—
तो फिर क्या लिखा जाएगा?

तब कोई लिखेगा— जैसे बात पूरा होगी
यह भगवान सत्य है, यह धर्म सत्य है।
और दूसरा धार्मिक कहेगा—
नहीं, जो लिखा है वह नहीं;
मैं ही सत्य हूँ, मैं गुरु हूँ, मैं भगवान हूँ।

यह वह कागज़ पर नहीं लिखता—
यह बोलने लगा “मैं ही भगवान हूँ, मेरी संस्था का सदस्य पुण्य की प्राप्ति है।”

यही भाव आज है—यही धर्म आज है ।
लाखों गुरु चिल्ला रहे हैं “मैं भगवान हूँ।”

और फिर युद्ध शुरू होता है—
क्योंकि मानव—कागज़—
स्वयं सत्य बनने लगता है।

पहले लिखा हुआ सत्य बना,
फिर लिखने वाला सत्य बन गया—
और भीड़ कहती है,
“ये गुरु देव ही हमारे गुरु ही परमात्मा ईश्वर अवतार हैं।”

यही आज के धर्म की स्थिति है।

किसी को बोध नहीं,
कोई दर्शन नहीं—
बस संस्थाएँ, आचार्य, सद्गुरु, आशाराम, कृपाल, श्रीश्री—
सब भगवान गुरु बना दिए गए।

जब मैंने AI से पूछा—
“धार्मिक कौन? वो कैसे सत्य हैं?”
AI ने प्रमाण ढूँढने की कोशिश की—
5 करोड़ फ्लॉवर, 1000 पॉइंट,
100 करोड़ की मालिकी,
इसलिए सत्य। इसी वजह से भगवान हैं। गुरु है लोगों की बहुत फायदा हुआ, फायदा संसार व्यापार हैं धर्म नहीं!

पर सत्य का प्रमाण फ्लॉवर नहीं होता।
संपत्ति नहीं।
केंद्र पॉइंट नहीं।
ये सत्ता-व्यापार के बिंदु हैं।

तब AI भी वहीं अटक गया।
विज्ञान भी वहीं शर्मा गया।

अक्षर झूठे हैं,
क्योंकि वे अस्थायी हैं।
कागज़ भी सत्य का संकेत है।

जिसने जाना “मैं कोरा कागज़ हूँ”—
उसने जाना
हर लिखा हुआ मिट जाता है,
शब्द धूल बन जाते हैं।
जो लिखा जा सकता है वह सत्य नहीं—
वह बस जाति, पहचान, मान्यता है।
सत्य वह है जिसे लिखा नहीं जा सकता।

मनुष्य की औक़ात—
मात्र एक कागज़ की है।
कागज़ अदृश्य सत्ता को देख रहा है—
पर उस पर लिखा सब बदल जाता है।
रूप, कल्पना, शब्द—सब क्षणिक हैं।

जितना लिखा, उतनी उलझन।
जितना सिद्ध किया, उतना अंधकार।
जितनी व्याख्या, उतना फँसाव।
जितना ज्ञान, उतना भ्रम।

अंत में
प्रमाण वही है जो देख रहा है।
कागज़ भी उसी का हिस्सा है।

रहस्य स्पष्ट है—
पर शब्द मिटते ही असत्य हो जाता है।

सत्य बस यह है—
मैं नहीं।
केवल “हूँ।” यह केवल दृष्टा हूं।
और वह—जो बौद्ध वाह सत्य “है।”

“हूँ” नीचे की मात्रा,
“है” ऊपर की मात्रा।
मैं—कहीं नहीं।

मैं मिटा कि हूँ…
और ‘हूँ’ भी गिर जाता है—
सिर्फ ‘है’ सत्य है।

यह दब कुछ केवल सत्य है उसका अतिरिक्त दूसरा कुछ नहीं ।

𝙑𝙚𝙙ā𝙣𝙩𝙖 𝙎𝙖𝙛𝙖𝙧 𝙑𝙚𝙙ā𝙣𝙩𝙖 𝙎𝙖𝙛𝙖𝙧 — 𝘼 𝙅𝙤𝙪𝙧𝙣𝙚𝙮 𝙞𝙣𝙩𝙤 𝙄𝙣𝙣𝙚𝙧 𝙁𝙧𝙚𝙚𝙙𝙤𝙢 (वेदान्त सफर — भीतर की स्वतंत्रता की यात्रा) 𝙑𝙚𝙙ā𝙣𝙩𝙖 2.0 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

#𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 #agyatagyaani #osho #life #ईश्वर #अनुभ

bhutaji

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

jaiprakash413885

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jaiprakash413885

में नफरतों के जहां में जुदा रहूंगा
तो क्या करुंगा
ठीक कहते हो में बेवफ़ा हु
वफ़ा करूंगा तो क्या करुंगा

anisroshan324329

ठंडा मौसम हल्की बारिश
हाथ में उसका हाथ था
चंद कदम हम साथ चले
जब नीद खुली तो जाना सिर्फ़ ख़्वाब था

anisroshan324329

शादी के बाद अगर माँ बाप और भाई बहन

बुरे लगने लग जाये तो मुबारक हो मेरे दोस्त अपने ग़लत जीवन साथी

का चुनाव कर लिया

anisroshan324329

तुम्हे तो सबकुछ बताना था।

क्या हो रहा मेरे साथ क्या हुआ है सब बताना था।

खो जाना चाहता था इस भीड़ से बस तेरे साथ जीना था।

हा टूटे हुए थे तुम टूटे हुए थे हम इसी लिए तुम्हारे साथ दिल लगाना था।

सोचा था की समझोगे हमे बिना बातये बस इस लिए ये टूटा हुआ दिल देना था।

क्या पता था की तुम कही और व्यस्त हो जाओगी।

तुम्हे जबरजस्ती नही प्यार से पाना था।
खोया रहता हु इस तन्हाई की दुनिया मे।
बस थक हार कर तेरे गोद मे सोना चाहता था।

लोग रुला जाते है किसी ना किसी बात पे ।
मै तुम्हे छोटी छोटी बातो मे हसना चाहता था।

लाख बुराइयाँ होंगी मेरे अंदर क्युकी खुदा नही हु मै ।

बस तुम समझो मुझे और मै तुम्हारे गले लग जाना चाहता था।

क्या हुआ क्या नही सब भूल कर मै आगे का सफर तुम्हारे साथ बिताना चाहता था।

क्या कहु कैसे कहु प्यार जो बचा था सिर्फ तुमपर लुटाना चाहता था।

जाओ अभी आजमा लो इस दुनिया को तुम।
इंतजार तुम्हारा है और रहेगा मै तो सिर्फ तुम्हे गले लगाना चाहता था।

बदल देती है हवाएं पानी की दिसा।
मै तो सिर्फ तुम्हे इस मतलबी दुनिया से बचाना चाहता था।

कास समझते तुम मेरे इस प्यार को मै दुनिया को दिखाना नही सिर्फ अपने पास छिपाना चाहता था।

..............Akash Gupta ✍️

brokenboy190253

ન પૂછો વાત હવે, જો મૌન થઈ જાવ તો ગમશે તમને?
કે વીતેલા સમયની ધૂળ પર નામ લઈ જાવ તો ગમશે તમને?

હૃદયમાં સાચવેલા શબ્દની કિંમત નહીં કરીએ,
ફકત આંખો થકી બસ, વાત કહી જાવ તો ગમશે તમને?

અને તમ હાથમાં છે આબરૂ આ કાયમી મારી,
હું મારી જાતને બેબાક સહી જાવ તો ગમશે તમને?

ખુશીમાં યાદ ના આવ્યા, ગમની મહેફિલ સજાવી છે,
નજર ઝુકાવીને જો આંસુ લૂછી જાવ તો ગમશે તમને?

તમારા ઘરની સામેથી પસાર થાવ એવી ઈચ્છા છે મારી,
ફકત એકવાર જો પાછળ તમે જોઈ લો તો ગમશે તમને?

હજી લાગણીના તાંતણા જો ક્યાંક બાકી હોય દિલમાં,
હું મારી આ કહાણી મૌનમાં કહી જાવ તો ગમશે તમને?

palewaleawantikagmail.com200557

Good evening friends have a nice time

kattupayas.101947

That's a wonderful aspiration! While there isn't a single, universally recognized "mantra" specifically from classical texts guaranteeing success in the acting field, there are several powerful concepts and deities associated with arts, performance, wisdom, and overcoming obstacles in Hindu and Vedic traditions.
Many actors and performers seek blessings from these deities or practice specific mantras to enhance their skills, clarity, and fortune.
Here are a few significant approaches:
🌟 Mantras for Arts, Wisdom, and Performance
1. Saraswati Mantra (For Creativity, Speech, and Learning)
Goddess Saraswati is the deity of knowledge, music, arts, wisdom, and eloquence (Vak). She is often sought for success in any field requiring artistic skill and powerful speech.
* The Simple Mantra (Bīja Mantra):


Pronunciation: Om Aim Saraswat-yei Namah
Meaning: Salutations to Goddess Saraswati.
* For Clarity and Eloquence:


Meaning: O Auspicious Goddess Saraswati, the embodiment of knowledge with lotus-like eyes, O Goddess whose form is the universe, the one with large eyes, I bow to you, grant me knowledge.
2. Lord Ganesha Mantra (For Removing Obstacles)
Lord Ganesha is the Vighnaharta (remover of obstacles) and the God of new beginnings. Success in a challenging field like acting requires clearing hindrances and ensuring smooth progress.
* The Simple Mantra:


Pronunciation: Om Gum Ganapat-a-yei Namah
Meaning: Salutations to the Lord of Hosts, Ganesha.
* For Successful Commencement:


Meaning: O one with a curved trunk, a massive body, and the brilliance of a million suns, please make my undertakings free of obstacles, always.
3. Gayatri Mantra (For Illumination and Success)
Though a universal prayer, the Gayatri Mantra is often chanted for gaining clarity, focus, inner light, and supreme wisdom, which are crucial for interpreting complex roles and delivering compelling performances.
🙏 A Practical "Mantra" for the Actor
Beyond the spiritual chants, the most effective practical mantra for success in any field, including acting, is often summarized as:
> "Shraddha (Faith), Saburi (Patience), and Sadhana (Consistent Practice/Effort)."
>
* Faith: Believing in your dream and your talent.
* Patience: Knowing success in the arts is a long journey and being resilient through rejections.
* Practice: Constantly honing your craft (acting, dance, voice, observation) and networking.
If you are looking for a powerful daily mantra to adopt, I would recommend the Saraswati Mantra for enhancing your core artistic abilities and speech.
Would you like to know more about the proper way to chant a mantra or a specific prayer for a particular deity?

bkswanandlotustranslators

मेरी आंखों में न ढूंढा करो आशु मेरे
मैने सीने में छुपा रखा है अपना दर्द सारा

anisroshan324329

अखबार वाला

सुबह सुबह अख़बार वाले को देखा तो महसूस हुआ की हम चाय के वक़्त अख़बार का इंतज़ार करते हैं और तसल्ली से चाय की चुस्कियाँ खबरों के साथ लेते हैं।

सोचता हूँ

ये अख़बार वाला सुबह कितनी जल्दबाजी में चाय पीता होगा?

चाय पीता भी होगा या नहीं?

anisroshan324329

तुम सामने हो और, मैं पलक भी झपक दूं, तो मुझे बेवफ़ा करार दे देंना......

anisroshan324329

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

आऊं जो तेरे रूबरू मैं अपनी पहचान पा लेती हूं।
तू मेरे हर रूप से वाकिफ है।
जो दुनिया से परे है वह तू देख पता है।
एक तू ही तो है जो मेरा हर रंग समझ पाता है।
तेरी सूरत तो नहीं देखी पर तू कुछ मुझसा ही लगता है।
मैं जिस हाल में आऊं तेरे सामने तू मुझे वैसा ही दिखता है।
यह तारीफ है तेरी कुछ मेरी बुराई है।
तू दर्पण है तेरी फितरत है औरो सा ढलना।
मैं तो इंसान हूं खुद को तुझसा कर नहीं पाती।
बस यही एक हुनर मैं तेरा हासिल कर नहीं पाती।

poojaahirwar021932

तुझें याद ना मेरी आई
किसी से अब क्या कहना
दिल रोया की आंख भर आई
किसी से अब क्या कहना।

priya216447

একজন লেখকের জন্য এরচেয়ে বড় প্রাপ্তি আর কী হতে পারে ? মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ লেখাটি এখন মাত্রুভারতি কর্তৃপক্ষ পাবলিশ করে না। তাই আগ্রহী বন্ধুদের বইটি অনলাইনে সংগ্রহ করে নিতে অনুরোধ রইলো।

krishnadebnath709104

लेखनी की दुनिया बड़ी कमाल की है
जहां न किसी के दर्द ना मजाक बनाया जाता है न किसी का भावनाओ उपहास किया जाता है ,जहां हर किसी भावनाओं का होता सम्मान सम्मान है।

यहाँ हर भावना का सम्मान होता है,
हर दिल की धड़कन सुनी जाती है,
और किसी के दुःख या भावनाओं का
उपहास नहीं किया जाता।

शायद इसलिए ही—
लिखने की दुनिया,
दुनिया की सबसे महान दुनिया है।


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archanalekhikha

मनुष्य अपने कर्मों के हिसाब से मृत्यु के बाद अलग-अलग गति में जाता है। ऐसी कोई युक्ति है जिससे मालूम पड़े कि आत्मा स्वर्ग में जाएगा या नरक में? मृत्यु के बाद आत्मा की गति कैसे तय होती है? आइए जानें इस विडीयो में...

Watch here: https://youtu.be/abt2_2kY7Nw

#spirituality #spiritualvideo #trending #soul #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

Good morning friends have a great day

kattupayas.101947

कुछ तो ले गए हो मेरा अपने साथ..

वहीं कुछ का आभाव..

मुझे पहले जैसा होने नहीं देता...!

rahulraaj702863

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865