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1️⃣ ईश्वर–आत्मा पर इतना शोर, पर आत्मा का एक भी प्रमाण नहीं

आज धर्म, गुरु, साधना, उपाय, दान, शास्त्र—सब कुछ है।
लेकिन एक भी ऐसा मनुष्य नहीं दिखता जो यह कहे:
“मैं शांत हूँ, मैं संतुष्ट हूँ, मुझे कुछ नहीं चाहिए।”

यदि आत्मा जानी गई होती—
तो बाजार नहीं लगता।
तो प्रचार नहीं होता।
तो प्रतिस्पर्धा नहीं होती।

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2️⃣ जो गुरु बैठे हैं, वे तत्व पर नहीं—पहचान पर खड़े हैं

हर कोई किसी माध्यम को पकड़ कर बैठा है—
शास्त्र, भगवान, परंपरा, पंथ, वेश, पद।

लेकिन तत्व पर कोई नहीं खड़ा।
तत्व पर खड़ा व्यक्ति चुप हो सकता है,
पर झूठा नहीं हो सकता।

आज का गुरु इसलिए बोलता है क्योंकि
उसके पास बोध नहीं,
और चुप इसलिए रहता है क्योंकि
देने को कुछ नहीं।

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3️⃣ इसीलिए नास्तिक ज़्यादा ईमानदार है

नास्तिक कम से कम यह तो नहीं कहता कि
“मैं जानता हूँ।”

वह अंधे खेल से बाहर है,
वह अपनी जड़, अपनी मस्ती में है—
कोई आत्मा का मुखौटा नहीं,
कोई पद नहीं।

आज का धार्मिक व्यक्ति आत्मा का नाम लेकर
सबसे बड़ा व्यापार कर रहा है।

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4️⃣ यदि एक भी आत्मवान होता, तो प्रतियोगिता होती

अगर सच में कोई आत्मदर्शी होता—
तो कोई दूसरा कहता:
“नहीं, यह गलत बोल रहा है।”

लेकिन यहाँ सब एक ही भाषा बोलते हैं,
एक ही शब्द,
एक ही भ्रम।

क्यों?
क्योंकि सब बुद्धि से बोल रहे हैं—
अनुभव से नहीं।

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5️⃣ बुद्धि का ज्ञान इच्छा पैदा करता है, शांति नहीं

आज का सारा “ज्ञान” कहता है:

तुम यह बन सकते हो

तुम वह पा सकते हो

तुम ऊपर उठ सकते हो

यह द्वैत है।
यह अहंकार को और मज़बूत करता है।

प्रेम, आत्मा, समाधि—
इनकी बात वहाँ नहीं हो सकती
जहाँ “मैं कुछ बन जाऊँ” की चाह है।

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6️⃣ आत्मा ज्ञात होती है तो बोलना और चुप रहना दोनों शुद्ध होते हैं

जिसने जाना है—
वह बोल भी सकता है और चुप भी रह सकता है।

लेकिन जो सिर्फ़ बुद्धिजीवी है—
वह या तो लगातार बोलेगा
या मजबूरी में चुप रहेगा।

दोनों में शांति नहीं।

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अंतिम बात (यह आपकी बात का सार है):

> आज गुरु बहुत हैं,
पर आत्मवान कोई नहीं।
ज्ञान बहुत है,
पर बोध शून्य है।
धर्म बहुत है,
पर तत्व अनुपस्थित है।

आप जो कह रहे हैं, वह किसी धर्म के विरोध में नहीं—
यह झूठ के पूरे ढांचे के विरुद्ध साक्षी होकर खड़ा होना है।

और यही कारण है कि
जो सच में देख लेता है—
वह भीड़ में नहीं टिकता।

𝕍𝕖𝕕𝕒𝕟𝕥𝕒 𝟚.𝟘 — 𝔸 ℕ𝕖𝕨 𝕍𝕚𝕤𝕚𝕠𝕟 𝕗𝕠𝕣 𝕋𝕣𝕦𝕥𝕙 · वेदान्त 𝟚.𝟘 — सत्य का नूतन आलोक — 🙏 𝔸𝕘𝕪𝕒𝕥 𝔸𝕘𝕪𝕒𝕟𝕚

🔱 1️⃣ आत्मा जानने वालों की दुर्लभता — शास्त्र क्या कहते हैं

📜 कठोपनिषद (1.2.7)

> श्रवणायापि बहुभिर्यो न लभ्यः
श्रुत्वापि बहवो यं न विद्युḥ

👉 आत्मा के विषय में सुनने वाले बहुत हैं,
पर आत्मा को जानने वाले अत्यंत दुर्लभ हैं।

अर्थ (सीधा):
शोर बहुत है, जानने वाला कोई नहीं —
यह आपकी बात नहीं, उपनिषद का निष्कर्ष है।

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🔱 2️⃣ जो शास्त्र, देव, गुरु पकड़ता है — वह अभी अज्ञानी है

📜 बृहदारण्यक उपनिषद (3.4.2)

> यः आत्मानं न वेद,
कथं स वेद वेदान् ?

👉 जो आत्मा को नहीं जानता,
वह वेदों को कैसे जान सकता है?

अर्थ:
शास्त्र की बातें करना ≠ शास्त्र को जानना।
आत्मा के बिना सब बौद्धिक चोरी है।

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🔱 3️⃣ शास्त्र भी अंत में छोड़ने पड़ते हैं

📜 मुण्डकोपनिषद (1.1.4)

> परिक्ष्य लोकान् कर्मचितान् ब्राह्मणो
निर्वेदमायात्

👉 सब लोकों, कर्मों, शास्त्रों को जाँचकर
ज्ञानी वैराग्य को प्राप्त होता है।

अर्थ:
जो शास्त्र पकड़ कर बैठा है,
वह अभी यात्रा में भी नहीं निकला।

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🔱 4️⃣ गुरु, देव, शास्त्र — सब माध्यम हैं, सत्य नहीं

📜 कठोपनिषद (2.23)

> नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यः
न मेधया न बहुना श्रुतेन

👉 यह आत्मा न प्रवचन से मिलती है,
न बुद्धि से, न बहुत सुनने से।

यह सीधा आपके वाक्य का प्रमाण है:

> “आज के गुरु बुद्धिजीवी हैं, आत्मवान नहीं।”

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🔱 5️⃣ जो जानता है, वह बोलता नहीं — भीड़ नहीं बनाता

📜 बृहदारण्यक उपनिषद (4.4.21)

> यत्र हि द्वैतमिव भवति
तदितर इतरेण पश्यति

👉 जहाँ द्वैत है, वहीं बोलने-सुनने का खेल है।

अर्थ:
जहाँ आत्मा जानी गई —
वहाँ प्रचार नहीं, प्रतिस्पर्धा नहीं, संगठन नहीं।

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🔱 6️⃣ गीता भी “ज्ञान के बाज़ार” को अस्वीकार करती है

📜 भगवद्गीता (7.3)

> मनुष्याणां सहस्रेषु
कश्चिद्यतति सिद्धये

👉 हज़ारों में कोई एक ही सत्य के लिए प्रयत्न करता है।

और—

📜 गीता (18.66)

> सर्वधर्मान् परित्यज्य
मामेकं शरणं व्रज

👉 सब धर्म छोड़ दो।

अर्थ:
धर्म छोड़ने को कहने वाला ग्रंथ
धर्म का व्यापार कैसे समर्थन करेगा?

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🔱 7️⃣ शास्त्र स्वयं कहते हैं: नास्तिक ईमानदार हो सकता है

📜 ऋग्वेद (10.129 – नासदीय सूक्त)

> को अद्धा वेद क इह प्रवोचत्

👉 कौन जानता है? कौन कह सकता है?

यह वेद का सबसे साहसी कथन है।
यह स्वीकार है कि

> “जो कह रहा है — वह भी नहीं जानता।”

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🧾 अंतिम निष्कर्ष (पोस्ट-रेडी):

> वेद, उपनिषद और गीता स्पष्ट कहते हैं:
– आत्मा बोलने से नहीं जानी जाती
– शास्त्र पकड़ने से सत्य नहीं मिलता
– गुरु, धर्म, देव सब माध्यम हैं
– आत्मा ज्ञात होती है तो द्वैत गिर जाता है
– और जहाँ द्वैत गिरा, वहाँ प्रचार असंभव ह

manishborana.210417

Easy Vastu Remedies From My Vastu Notes.

drdeepaksikkagmailco

चित्त शुद्धि व्रत, तप, दान, शास्त्र, वेद, तीर्थ यात्रा से नहीं — ज्ञाननिष्ठ पुरुष के सत्संग से होती है।

The soul is not cleansed by Vedas, Shastra, Fasting, Praying, Charity, Pilgrimage — but by spending time with people devoted to gyana.

drdeepaksikkagmailco

The four difficulties of realising enlightenment;

So close you can't see it.
So deep you can't fathom it.
So simple you can't believe it.
So good you can't accept it."

*Tibetan Proverb*

drdeepaksikkagmailco

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत हो लेकिन चंद्रमा कमजोर हो, तो वे हमेशा तार्किक रूप से “सही काम” करेंगे—भले ही उसके लिए भावनाओं की कीमत क्यों न चुकानी पड़े। लेकिन ऐसी दबाई हुई भावनाएँ उनके अवचेतन मन की छाया बन जाती हैं।

दूसरी ओर, जिनका चंद्रमा मजबूत हो लेकिन सूर्य कमजोर हो, वे बहुत कम काम पूरे कर पाते हैं या उनकी उपलब्धियाँ कम होती हैं, क्योंकि वे निर्णय लेने में संघर्ष करते हैं और अक्सर अपनी ही भावनाओं में उलझे रहते हैं।

संतुलित रहने के लिए दोनों पक्षों—सूर्य और चंद्रमा—का पोषण और सुधार आवश्यक है।

drdeepaksikkagmailco

क्या आप जानते हैं? आपके सोने का तरीका आपके गहरे राज खोलता है........

हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में बिताते हैं। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, जब हम अवचेतन अवस्था (नींद) में होते हैं, तो हमारा सोने का तरीका हमारे असली स्वभाव को दर्शाता है।

जानिए आपके सोने की पोजीशन आपके बारे में क्या कहती है:

*1. करवट लेकर सोना:*

ये लोग समझौतावादी और आदर्श जीवन जीना पसंद करते हैं। साफ-सफाई, अच्छा भोजन और नई खोज करना इनका शौक होता है।

*2. सोने से पहले पैर हिलाना:*

यह चिंता का लक्षण है। ऐसे लोग खुद से ज्यादा परिवार की चिंता करते हैं और अक्सर किसी न किसी उधेड़बुन में रहते हैं।

*3. पांवों को कसकर या शरीर ढककर सोना:*

इनका जीवन संघर्षपूर्ण हो सकता है, लेकिन ये बहुत व्यवहारकुशल होते हैं और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं।

*4. शरीर सिकोड़कर (Fetal Position) सोना:*

इनके मन में असुरक्षा या अनजाना भय होता है। ये थोड़े डरपोक और अकेले रहना पसंद करने वाले होते हैं।

*5. चित्त (सीधे पीठ के बल) सोना:*

यह एक शुभ लक्षण है! ऐसे लोग आत्मविश्वास से भरे, आकर्षक व्यक्तित्व वाले और परिवार के मुख्य सदस्य होते हैं। ये अच्छे समस्या निवारक (problem solver) होते हैं

*6. पेट के बल सोना:*

इनमें एक अनजाना डर होता है और ये जोखिम लेने से बचते हैं। ये धोखे का शिकार जल्दी हो जाते हैं, इसलिए दोस्ती सोच-समझकर करते हैं।

*7. हाथ-पैर फैलाकर पीठ के बल सोना:*

ये स्वतंत्रता पसंद लोग होते हैं। इन्हें जीवन की सभी सुख-सुविधाएं चाहिए होती हैं। ये सुंदरता की ओर जल्दी आकर्षित होते हैं और इन्हें गपशप (gossip) करना पसंद होता है।

drdeepaksikkagmailco

जब भी मैं तुम्हारे बारे मे सोचता हूँ,
दिल खुद-ब-खुद मुस्कुरा उठता है,
जैसे किसी ने मेरी रूह पर
हल्के से प्यार रख दिया हो।

तुम्हारा नाम आते ही
मेरे अंदर कुछ खिल जाता है,
कुछ जग जाता है,
जैसे दिल कह रहा हो,
ये वही है,
जिसका इंतज़ार था।

तुम नहीं जानती,
पर तुम्हारा ख्याल भी
मेरी दुनिया को
इतना खूबसूरत बना देता है
जितना कोई सुबह की पहली धूप।

कभी-कभी सोचता हूँ,
कैसे बताऊँ तुम्हें
कि तुम्हारी दूरी भी
मेरे लिए एक मोहब्बत है,
क्योंकि तुम्हारी याद
मेरी सबसे प्यारी आदत बन चुकी है।

तुम्हारी हंसी,
तुम्हारी बातें,
तुम्हारा अंदाज़,
सब कुछ दिल में ऐसे बस गया है
जैसे तुम मेरे नहीं,
मेरी साँसों के लिए बनी हो।

सच कहूँ,
मैं तुम्हें सिर्फ याद नहीं करता,
मैं तुम्हें महसूस करता हूँ।
हवा छूती है तो तुम लगती हो,
बारिश गिरती है तो तुम,
रात की ख़ामोशी भी
तेरी आवाज़ जैसी लगती है।

कभी-कभी दिल चाहता है
कि तुम मेरे पास होती,
और मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर
धीरे से कहता,
देखो, ये दिल,
ये धड़कन,
ये सांसे,
सब तुम्हारे हैं।

मैं प्यार जताना नहीं जानता,
पर तुमसे प्यार करना
मेरे लिए सांस लेने जैसा है,
बस हो जाता है,
रुकता नहीं।

काश तुम जान पाती
कि मैं कितनी मोहब्बत
तुम्हारे हिस्से में रखता हूँ,
इतनी कि पूरे आसमान में भी
समा न पाए।

तुम हो तो सब कुछ है,
वरना दुनिया भी
बस एक शोर लगती है।

To be continued......💞💞

akshaytiwari128491

Paagla ke love quotes un dilon ke liye hain jo kam lafzon mein gehri baat keh jaate hain.
Sachchi feelings, seedhe alfaaz — kyunki pyaar shor nahi karta, mehsoos hota hai.

jaiprakash413885

INTERNATIONAL TEA DAY
🫖🫖🫖🫖🫖🫖🫖🫖🫖🫖🫖
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ओर एक हसरत अधूरी रेह गई।
चाय ने लब छू लिए,
निगाहे देखती रेह गई ।

jighnasasolanki210025

નિશ્ચય એનું નામ કે આપણે નક્કી કર્યું, તે ઠેઠ સુધી રહે. તો પછી એનો સાંધો આગળ મળી રહે. 'ટાઈમીંગ' પણ મળી રહે. નિશ્ચય ફેરવી નાખે તો આગળ સાંધો ના મળે. એક નિશ્ચય કરે પછી પાછો બીજો કરે તો તે મળે ખરું પણ એના ટાઈમે નહીં, ને પાછો 'પીસીસ'માં મળે, એકધાર્યું ના મળે. - દાદા ભગવાન

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dadabhagwan1150

परेशानियों का आना जाना लगा रहता है
इसका मतलब यह नहीं कि खुद को खत्म करने की सोचे
उस परेशानी से लड़ कर जीना ही समझदारी है..!!

मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं, कोई चाह कर भी जुदा नहीं कर सकता है....
परेशानी छोटा हो या बड़ा ,मैं साथ मुस्कुराना चाहती हूं।
हर रात के बाद सुबह सबेरा होता है ।
खुद से हारो नहीं मैं हमेशा साथ हूं ।

जिंदगी में परेशानियां आती रहती हैं
कहा करते थे न कभी छोड़ कर नहीं जाऊंगा,
फिर छोड़ जाने का ख्याल आया कैसे ?
बताओ ऐसा थोड़ी है मैने साथ छोड़ दिया है।

मुस्कुराओ हमेशा कहा है मैने
अभी तो उस मुस्कान को करीब से देखना बाकी है
सामने बैठ कर लड़ाई करना बाकी है,
परेशानियों से हार कैसे सकते हो?
बताओ मुझे.....

मेरी जिंदगी है ऐसा सोचा तो सर फोड़ दूंगी
आपकी जिंदगी पर सिर्फ आपका हक नहीं है
मैं जितना जानती हूं समझदार बहुत हो
फिर जिंदगी से हार कैसे सकते हो??

खुद से सवाल करो एक बार
मुस्कुराओ मेरे साथ, सब साथ ही है ।
मेरा हक छीनने नहीं दूंगी उस खुदा को भी
तुम तो फिर भी इंसान हो ...!!!!

हम साथ हैं, साथ थे और हमेशा साथ रहेंगे
कोई तोड़ जाए इतना कमजोर नहीं है रिश्ता ...!!!!
जीना पड़ेगा उनके लिए जो जुड़े हैं आपसे
मुस्कुराना पड़ेगा खुद के लिए और मेरे लिए....!!!!


_M.K

manshik094934

वो पढ़ लेता है मेरी तहरीर का सुकूत भी,
जिसे समझ आ जाए ज़रा सा एहसास-ए-अल्फ़ाज़।

deepakbundela7179

🙏🙏सुप्रभात, 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹
🙏🌹🙏ओम् नमः शिवाय 🙏 🌹 🙏
"वह सब देख रहा है प्रार्थना, तकलीफें ,संघर्ष और कर्म भी"

sonishakya18273gmail.com308865

Good morning friends..have a great week

kattupayas.101947

.......शब्द.............

माझे शब्द..
..............तुझ्या पैंजणांच्या" नादात",..नादावतायत..!
..............तुझ्या कमरेच्या .मेखलेत..".बांधुन" रहातायत..!
....................तुझ्या हातातल्या कांकणांचा.."नाद " बनतायत..!
.................तुझ्या गळ्यातल्या.एकदाणीत.."एक '" होतायत..!
....................घेतायत."हेलकावे"..तुझ्या.कानातल्या झुमक्या सोबत..!
.................तुझ्या नथणीतला" हिरा' बनुन चमकतायत..!
...................तुझ्या ओल्या बटात .."गुंतुनं" जातायत..!
......................तुझ्या "बेधुंद" श्वासात" महकतायत.."!
....................तुझ्या काळ्या काळ्या ..डोळ्यात.".हरवुन "जातायत.!
......................तुझ्या..मस्त रुपानं.."बेभान " होतायत.!
........................आता घे त्यांना बांधुन..तुझ्या रसदार..गुलाबी ओठात.!
.......................कीती अधीर झालेत बघ ते..आपल्या "प्रितीच "गाण गायला..!!!
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jayvrishaligmailcom

धराधाम : मानवता का तीर्थ

धरती पर जब बढ़े अँधेरे,
बिखरे जब विश्वास के दीप,
तब करुणा बन उतर पड़ा
धराधाम — आशा का स्वरूप।

यहाँ न पूजा की दीवारें,
न मज़हब की ऊँची शान,
यहाँ तो बस मानव बसता है,
मानवता ही पहचान।

कंकर-पत्थर नहीं यहाँ देव,
जीवित करुणा है भगवान,
भूखे को रोटी, दुखी को ढाढ़स—
यही यहाँ का विधान।

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
बौद्ध, जैन सब एक पुकार,
प्रेम की भाषा, शांति का पथ,
धराधाम का यही विचार।

जहाँ हाथों में हाथ जुड़ें,
मन से मन का हो संवाद,
वाणी नहीं, भावना बोले,
मौन भी बन जाए नाद।

संत सौरभ की दृष्टि से उपजा,
सद्भाव का यह पावन धाम,
जहाँ त्याग, तप और करुणा ने
रच दिया मानवता का राम।

यह कोई भवन नहीं केवल,
यह संकल्पों की ज्वाला है,
जहाँ स्वयं से युद्ध जीतना
सबसे बड़ी विजयशाला है।

जो आए यहाँ अहं छोड़कर,
वह लौटे बनकर उजियार,
धराधाम नहीं, युग का आह्वान—
एक विश्व, एक मानवाचार।

drsaurabhpandey3374

ये इश्क़ है साहब,
इसमें ज़िन्दगी का
रिस्क लेना पड़ता है—

यहाँ दिल गिरवी रखना होता है,
ख़्वाबों पर दस्तख़त करने पड़ते हैं,
और भरोसे की आग में
अपने डर को जलाना पड़ता है।

ये इश्क़ है साहब,
यह कोई सुरक्षित सौदा नहीं,
यहाँ जीत से ज़्यादा
हार की हिम्मत चाहिए।

कभी मुस्कान की बारिश मिलती है,
कभी तन्हाई की लम्बी रातें,
कभी सब कुछ मिल जाता है,
कभी खुद को ही खोना पड़ता है।

ये इश्क़ है साहब,
यह अक़्ल से नहीं चलता,
यह तो बस दिल की ज़िद है,
जो हर बार टूटकर भी
फिर से भरोसा करना सिखा देती है।

आर्यमौलिक
https://arymoulikdb1976.blogspot.com/2025/12/blog-post_673.html

deepakbundela7179

स्व. पन्नालाल नामदेव 13वीं स्मृति साहित्य सम्मान -2026 हेतु पद्य विधा में निःशुल्क पुस्तकें आमंत्रित हैं

rajeevnamdeoranalidhori247627

My dream car......😘😘😘😘😘

ajit3539

खुद के ही शोर में तुम इतने बेहरे हो गए,
कि मेरी चीख भी तुम सुन न सके…

मैंने खामोशी में भी तुम्हें पुकारा था,
हर साँस में तुम्हारा ही नाम उतारा था।
मगर तुम्हारी आवाज़ों की भीड़ इतनी भारी थी,
कि मेरी तन्हाई तुम्हें बोझ लगने लगी थी।

मैं टूटी हुई बातों से सच कहती रही,
तुम अपने सच को ही पूरा सच समझते रहे।
मेरी आँखों में जो डर था, जो सवाल था,
वो तुम्हें दिखा नहीं, या दिखना तुम्हें गवारा न था।

तुम्हारे अपने शोर ने तुम्हें इतना दूर कर दिया,
कि पास होकर भी तुमने मुझे अनसुना कर दिया।
और अब जब मैं चुप हूँ, तो सुकून सा लगता है तुम्हें,
क्योंकि अब कोई चीख नहीं है, जो आईना दिखा सके तुम्हें।

खुद के ही शोर में तुम इतने बेहरे हो गए,
कि टूटते हुए दिल की आहट भी तुम सुन न सके…

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
ये दिसंबर, ये भीगी हुई शाम, और
ये ख़ामोशी से जलती हुई अलाव,

क़सम से अगर आज फ़ासला न
                होता,

तो  हम  दोनों  एक  ही  शॉल  में
    सिमटकर बैठे होते..♥️🥀
╭─❀💔༻ 
╨─────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh
╨─────────━❥

loveguruaashiq.661810

🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
हमें देख कर नज़र फेरना उसको
        किसने सिखाया होगा,

महफ़िल में हमें अनदेखा करना
    उसको किसने बताया होगा,

हम तो रहते हैं उसकी यादों के
            साए में हरदम,

हर पल हमें, तन्हा रखना उसे
     किसने सिखाया होगा,

हमारा प्यार है सच्चा और पाक
मगर प्यार होता है फ़रेब उसको
किसने सिखाया होगा…🥀🔥
╭─❀💔༻ 
╨─────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh
╨─────────━❥

loveguruaashiq.661810

🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
हर रोज़ एक नया ग़म दे जाती है
         ये ढलती हुई शाम,

जैसे जिंदगी की किताब से कोई
     पन्ना हो रहा हो गुमनाम,

नज़रें तलाशती हैं उस शफ़क़ के
          आखिरी रंग को,

जो बता सके कि यादों का शहर
  क्यों हो रहा है वीरान...🥀🔥
╭─❀💔༻ 
╨─────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh
╨─────────━❥

loveguruaashiq.661810

enjoy time

virdeepsinh