Quotes by S Sinha in Bitesapp read free

S Sinha

S Sinha Matrubharti Verified

@spismynamegmailcom
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अच्छा था जब तक वो बेगाना था

मेरी जिंदगी में उसे क्यों आना था

अगर यूँ ही रुला के हमें जाना था

मकर संक्रांति और पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं



मकर संक्रांति ले आये आपके लिए खुशियां खास

आप सभी के लिए हमारी यही है आस

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जब मेरे हाथ में तेरा हाथ है

मानो सारी खुदाई मेरे साथ है

फिर डरने की क्या बात है

होश वालों को खबर क्या बे -खुदी

क्या चीज है

इश्क़ कीजे फिर समझिये जिंदगी

क्या चीज है - निदा फ़ाज़ली

इस साल में और आने वाले हर साल में आप सभी के दामन खुशियों से सदा भरा रहे

नए वर्ष की शुभकामनाओं के साथ

Wish You All a Very Happy New Year

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Happy to share a beautifuli poem - *December Aur January Ka Rishta.* ( sent by someone)

कितना अजीब है ना,
*दिसंबर और जनवरी का रिश्ता?*
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा...

दोनों काफ़ी नाज़ुक है
दोनो मे गहराई है,
दोनों वक़्त के राही है,
दोनों ने ठोकर खायी है...

यूँ तो दोनों का है
वही चेहरा-वही रंग,
उतनी ही तारीखें और
उतनी ही ठंड...
पर पहचान अलग है दोनों की
अलग है अंदाज़ और
अलग हैं ढंग...

एक अन्त है,
एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह,
और सुबह से रात...

एक मे याद है
दूसरे मे आस,
एक को है तजुर्बा,
दूसरे को विश्वास...

दोनों जुड़े हुए है ऐसे
धागे के दो छोर के जैसे,
पर देखो दूर रहकर भी
साथ निभाते है कैसे...

जो दिसंबर छोड़ के जाता है
उसे जनवरी अपनाता है,
और जो जनवरी के वादे है
उन्हें दिसम्बर निभाता है...

कैसे जनवरी से
दिसम्बर के सफर मे
११ महीने लग जाते है...
लेकिन दिसम्बर से जनवरी बस
१ पल मे पहुंच जाते है!!

जब ये दूर जाते है
तो हाल बदल देते है,
और जब पास आते है
तो साल बदल देते है...

देखने मे ये साल के महज़
दो महीने ही तो लगते है,
लेकिन...
सब कुछ बिखेरने और समेटने
का वो कायदा भी रखते है...

दोनों ने मिलकर ही तो
बाकी महीनों को बांध रखा है,
.
अपनी जुदाई को
दुनिया के लिए
एक त्यौहार बना रखा है..!
😊Happy year ending 😊

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जाना ही था तो यूँ ही चले जाते तो अच्छा था

गैरते ए इश्क़ का तमाशा न बनाते तो अच्छा था

ये समां रहे न रहे

ये आसमां रहे न रहे

हम यहाँ रहें न रहें

सदा जवां ये प्यार रहे

कभी मेरी ख़ामोशी तुम पहचान लेते थे

कभी तुम्हारी ख़ामोशी हम जान लेते थे

अब दोनों बाते कर के परेशान होते हैं

एक दूसरे से क्यों अनजान लगते हैं

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फर्श से हमें बिठा के अर्श पे गिरा क्यों दिया

मेरे प्यार का ये कैसा सिला तुमने दिया