#Falcon like cyclone ...!!!
My Wonderful Poem...!!!
मस्जिद पर गिरता है,
मंदिर पर भी बरसता है,
ए बादल बता ...
तेरा मज़हब कौनसा है ...??
इमाम की तू प्यास बुझाए,
पुजारी की भी तृष्णा मिटाए,
ए पानी बता ...
तेरा मज़हब कौन सा है ...??
मज़ारो की शान बढाता है,
मूर्तियों को भी सजाता है,
ए फूल बता ...
तेरा मज़हब कौनसा है ...??
सारे जहाँ को रोशन करता है,
सृष्टी को उजाला देता है,
ए सूरज बता ....
तेरा मज़हब कौनसा है ...??
कभी करवा चौथ पर दीदार,
कभी ईद पर इन्तज़ार,
ऐ चाँद बता ...
तेरा मज़हब कौनसा है ...??
मुस्लिम तुझ पर कब्र बनाता है,
हिंदू आखिर तुझमें ही विलीन होता है,
ए मिट्टी बता ...
तेरा मज़हब कौनसा है ...??
कंकु से तिलकधारी बनता
टोपी पहन के नमाज़ी बनता
ए जिस्म बता ...
तेरा मज़हब कौनसा है..??
रवानी-ए-लहूँ बन फिरता
ज़हन-ओ-जिस्म को कुवत देता
ए लहूँ बता ...!!!
तेरा मज़हब कौनसा है...!!!
ऐ दोस्त !
मजहब से दूर हटकर इंसान बनो,
क्योंकि ...
इंसानियत का कोई मज़हब नहीं होता...
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