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आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏 कहीं कन्हैया मटकी तोड़े पकड़े कहीं कलाई कहीं पे लाला मिश्री चाखे चाटे कहीं मलाई।। है गोकुल का छटा बावरा मोर पंख पर रीझै गोपियन के संग करे मसखरी प्रेम पियाला पीजै नाच नचावै रास रचावै करता सबको बस में वो नटवर नागर मोहे सूक्ष्म रूप और यश में दीन विदुर घर भोजन पायो राज भोग ठुकराई कहीं पे लाला मिश्री चाखे चाटे कहीं मलाई।। ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश
शीर्षक - जागो जागो हद हो गइ अत्याचारों की इनमें हैवान समाया है ये बांग्लादेशी मुस्लिम हैं या मुस्लिम वाली काया है नोच रहे हैं कुत्ते बोटी बहन बेटियां भाग रही हैं छिप रही घरों के कोनों में रातों में भी जाग रही हैं जागो जागो कह कर के घर से बाहर निकल पड़े हैं इसी बहाने सभी दरिंदे हवस मिटाने मचल पड़े हैं चौराहों पर नग्न घुमाया जिसने चाहा उसने खाया शेख हसीना तुम्ही बताओ किसने सारा खेल रचाया है धिक्कार तुम्हारे जीवन पर तुम नर भक्षी मानव हो नही कुरान के ज्ञाता हो तुम दानव हो बस दानव हो जागो जागो कह देने से अब काम नही चलने वाला हाय हाय क्या करते हो दिल इनका नही बदलने वाला ये मुगलों के वंशज हैं अब सम्मुख इनके मत रोना मर्यादा शर्मसार हो जाए डर का बीज भी मत बोना तुम भी राणा के वंशज हो हो वीर शिवा के अनुयायी तन पर अपने भष्म लगाओ प्रगट करो काली माई जगदंब भवानी जाप करो कर में तलवार सम्हलो तुम सत्य सनातन डिगे नही अपना सम्मान बचा लो तुम अब बात शान की आई है परवाह नही अब जान बचे हिंदुत्व हमारा रहे सदा - सत्य - सनातन - सम्मान बचे देखे विश्व जगत तुमको हो संख्य करोड़ लड़ सकते हो जल्लादों का इन मुगलों का मस्तक मरोड़ लड़ सकते हो जिस तरह भगी है शेख हसीना दर्शाता है ये कायर हैं औकात दिखाओ तुम इनको आजाद हो तुम ये डायर हैं हथियार उठाओ टूट पड़ो परवाह नही कुर्बानी हो हाहाकार मचाओ ऐसा मुगलों की खत्म कहानी हो कायर बन कर जीने से कुछ हाथ नही अब आएगा लज्जित हो कर रह जाओगे समय निकलता जाएगा बैरी दल का अंत करो उत्साह भरो फिर निकलो तुम यह ज्योति आग में बदल रहा बांग्लादेशी बदलो तुम ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश
एक रोटी के टुकड़े पर हारी हारी सी वो लड़की भूख प्यास से व्याकुल हो बेचारी सी वो लड़की लाचारी में वो काम किया जो उसे नही करना था औरत का बटुआ छीनी मति मारी सी वो लड़की रूठा था ईश्वर उससे रूठ गयी थी किस्मत भी दर दर की ठोकर खाती जग हारी सी वो लड़की जग ने उसका सब छीना वो जग से क्या माँगे लगती जैसे लावारिस दुखियारी सी वो लड़की हिम्मत करती जीने की मन में ज्योति जलाती है आत्महत्या पर पड़ती भारी भारी सी वो लड़की ज्योति प्रकाश राय
जन्मदिन पर विशेष #friend #love
पावन पर्व होली के अवसर पर एक रचना होली होली होली होली घूम रही हुड़दंगों की टोली बच कर रहना इनसे बहनों भिगा न दें ये सबकी चोली इनमें कुछ बहुरूप छिपे हैं मन से कई कुरूप छिपे हैं होली का है मिला बहाना इनको है बस काम चलाना माना मस्ती का है त्योहार सबसे मत करना इजहार मत पीना भंगों का प्याला बन जाओ ना कहीं निवाला अब मथुरा ना गोकुल धाम ना कृष्णा ना बलराम यह दुनिया अब है अतरंगी होली में मन हुआ सतरंगी रहना सदा सचेत राधिका अब मीरा मत बनो साधिका माना होली स्नेह पर्व है हम लोगों को इस पे गर्व है घट जाती हैं कइ घटनाएं मिलती हैं कुछ को यातनाएं माना जग बहुरंग हुआ है ज्योति हृदय सतरंग हुआ है विश्वासघात से बच कर रहना कहना मान लो मेरी बहना कविता माध्यम संदेश एक है एक व्यक्ति के रूप अनेक है ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश
सुबह को शाम लिख दे तो कविता है बहुत आराम लिख दे तो कविता है भूलना मत कभी भी तुम उधार के पैसे नमक हराम लिख दे तो कविता है विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं❤ ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश
अंतरराष्ट्रीय महिला शक्ति कविता प्रतियोगिता शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रिय सम्मान फाउंडेशन मंच नेपाल दिनांक- 08-03-2024 शीर्षक - नारी ( स्त्री ) रग-रग में जिसके ममता है कण-कण में बसी छवी जिसकी वह माता भी इक नारी है क्या कल्पना करे कवी इसकी नारी गीता, नारी गंगा, नारी पृथ्वी सब ओज रही नारी है तो नर जीवन है फिर क्यूं सब पर बोझ रही युगों युगों की बात करूं क्या अमर वीरांगना भूला कौन मणिकर्णिका बढ़ी बनारस हुंकार युद्ध का भूला कौन नाम था जिसका लक्ष्मीबाई भारत मुक्त कराने आई लोहा लिया फिरंगी संग देश पर अपनी जान लुटाई आश्रित है जग जीवन जिस पर वह प्रकृति स्त्री में आती है यदि धरा - धरोहर हम समझें वह जीवन सरल बनाती है इतिहास भरा है स्त्री से आकाश कल्पना चढ़ धाई प्रधान इंदिरा गांधी पहली पाटिल राष्ट्रपति बन आयी महिलाओं का परचम लहराया जब दौड़ लगाया बेटी ने भारत का मस्तक नभ छाया जब रौब जमाया बेटी ने स्वर्ण पदक हो विजय तिलक पूरा अधिकार जमाना सीखा स्त्री नहीं अधीन किसी के रण में कौशल दिखलाना सीखा मिर्ज़ा, नेहवाल देश का गौरव सिंधु जीत की परिभाषा स्त्री को उचित सम्मान मिले यह ज्योति करे सबसे आशा बस प्यार चाहिए यथा उचित अनुशासन नहीं भंग होगा घर घर सम्मान मिले स्त्री को पुरुष नहीं बदरंग होगा।। मौलिक अधिकार सुरक्षित।। ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश
संघर्ष ही जीवन है।
हिंदुस्तान के सम्मान पर जब आँच आने लगे तिरंगे को लोग जब मिट्टी में मिलाने लगे तब देश में अखण्डता का विश्वास जमाना पड़ता है भारत माँ की रक्षा में हथियार उठाना पड़ता है।। ज्योति प्रकाश राय गर्व से कहो हम भारतीय हैं। 🇮🇳
उनको धूल चटा कर हमने झुकने पर मजबूर किया जो चौकी तक चोरी से चढ़ आए उनको चकना चूर किया फिर आज विजय दिन भारत का है फिर से झण्डा लहराना है भारत माता की जय बोलो गणतंत्र दिवस मनाना है ज्योति प्रकाश राय
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