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New bites

કડવું છે પણ સત્ય છે!!😊
Good morning 🌺

dhara2012

કષ્ટભંજન દેવ ની જય 🙏🌺🙏
જય બાલાજી 🙏🌺🙏

dhara2012

ज्यादा कुछ नहीं हे हमारे पास,,,

बस हर लम्हा खुशी से जीने का हुनर हे,,,

फिर भी कुछ लोगो के दिलो में हमारे लिए जलन हे.........!

ऐसा क्यों ?

sonawane

pravinparmar

niravdevani

niravdevani

niravdevani

niravdevani

Be Happy Always 🌹

salillupadhyay

सुप्रभात..🌸🌸

kalpanasatav924gmail.com105012

मोहब्बत में सब्र कर के हमने देख लिया

तेरी यारी तेरा प्यार सब देख लिया

हमें मझधार में छोड़ खुद साहिल पे चल दिया

spismynamegmailcom

अजरोऽस्म्यमरोऽस्मीति य आत्मानं प्रपद्यते ।तदात्मना तिष्ठतोऽस्य कुतः प्रारब्धकल्पना ॥ प्रारब्धं सिद्ध्यति तदा यदा देहात्मना स्थितिः ।Do not judge me by my successes, judge me by how many times I fell down and got back up again.” “Money won't create success, the freedom to make it will.” “It is in the character of growth that we should learn from both pleasant and unpleasant experiences.

***18 July - International Nelson Mandela Day The day celebrates Mandela's life and legacy in a sustainable way that will bring about the needful changes.

jugalkishoresharma

सर्वे भवन्तु सुखिनः 💐

pranavabharti5156

*વેરવિખેર....*

ઘરનો દરવાજો ખોલતાં
ઉંબરા પર જ ઢગલો થઈ ગઈ..
છેલ્લે એક ફોન આવતા...
એમ જ ઉતાવળે
હાથમાં જે આવ્યું તે લઈ
હાફળી ફાંફળી..
જલ્દી પહોચવા
જિંદગીને વેરવિખેર થતી બચાવવા
ઘરને અકબંધ રાખવા ભાગી હતી..
પણ... કિસ્મત
તેની પહેલાં પહોંચી ગઈ
તેના સુખને ડંસવા
તેના ચંદ્રને ગ્રહણ ગ્રસી ગયું..
આજ વર્ષો પછી પાછી ફરી
એકલવાયી જિંદગી..
ને
વેરવિખેર ઘરને વ્યવસ્થિત કરવાં
પણ..
હિંમત દ્વાર પર જ જવાબ દઈ ગઈ
ઓહહહ.
આ ઘર.. હવે એકલાં.. કેમ સંભાળીશ?
એ વિનાશ કેમ ભુલાશે?
પરાણે જાત ઘસેડતી અંદર જઈ
સ્ત્રી સહજ સ્વભાવે
જોતરાઈ ગઈ
અવશેષો સમેટવા..©

"કાજલ"
કિરણ પિયુષ શાહ

kirankajal

😂😂

siyakashyap79gmail.com165329

🤔🤔🤔🤔

siyakashyap79gmail.com165329

കവിത: അർത്ഥം
രചന: രജനി അശോക്
***************

നിത്യജീവിതസംഘർഷത്താൽ
മനസ്സാക്ഷി തളരുമ്പോൾ
സുഖസമുദ്രം കിട്ടിയാലെന്തർത്ഥം..?

ജലം കിട്ടാതെ വിളവുകൾ
ഉണങ്ങിക്കരിഞ്ഞിടുമ്പോൾ
അടുത്ത വർഷത്തിനെന്തർത്ഥം..?

ബന്ധങ്ങളേതായാലും
ദുഃഖത്തിൽ കൂടെയില്ലെങ്കിൽ
സൗഖ്യബന്ധങ്ങൾക്കെന്തർത്ഥം..?

നിത്യവും കുഞ്ഞുസന്തോഷങ്ങൾ
കൊഴിഞ്ഞുവീഴും ക്ഷണഭംഗുരം,
ശേഷം നിത്യസുഖത്തിൻ
പരീക്ഷണത്തിനെന്തർത്ഥം..?

മൂർച്ഛിച്ച വാക്കിനാൽ
ഉള്ളം തുളച്ചിട്ട്
പ്രിയമോതും വചസ്സുകൾക്കെന്തർത്ഥം..?

സൗഖ്യങ്ങളാൽ നിറഞ്ഞിട്ടും
നിത്യരോഗത്തിൻ വീടായാൽ
സൗകര്യങ്ങൾക്കെന്തർത്ഥം..?!!

dennychimmendennychimmengmail.com015358

आज हमेशा के मुकाबले ट्रेन में कम भीड़ थी। सुरेखा ने खाली जगह पर अपना ऑफिस बैग रखा और खुद बाजू में बैठ गई।
पूरे डिब्बे में कुछ मर्दों के अलावा सिर्फ सुरेखा थी। रात का समय था सब उनींदे से सीट पर टेक लगाये शायद बतिया रहे थे या ऊँघ रहे थे।
अचानक डिब्बे में 3-4 तृतीय पंथी तालिया बजाते हुए पहुँचे और मर्दों से 5-10 रूपये वसूलने लगे।
कुछ ने चुपचाप दे दिए कुछ उनींदे से बड़बड़ाने लगे।
"क्या मौसी रात को तो छोड़ दिया करो हफ्ता वसूली..."
वे सुरेखा की तरफ रुख न करते हुए सीधा आगे बढ गए।
फिर ट्रेन कुछ देर रुकी कुछ लडके चढ़े फिर दौड़ ली आगे की ओर ,सुरेखा की मंजिल अभी 1 घंटे के फासले पर थी।
वे 4-5 लड़के सुरेखा के नजदीक खड़े हो गए और उनमे से एक ने नीचे से उपर तक सुरेखा को ललचाई नजरो से देखा और बोला...
"मैडम अपना ये बैग तो उठा लो सीट बैठने के लिए है, सामान रखने के लिए नहीं..."
साथी लडको ने विभत्स हंसी से उसका साथ दिया।
सुरेखा अपना बैग उठाकर सीट पर सिमट कर बैठ गई।
वे सारे लड़के सुरेखा के बाजू में बैठ गए।
सुरेखा ने कातर नजरो से सामने बैठे 2-3 पुरषों की ओर देखा पर वे ऐसा जाहिर करने लगे मानो सुरेखा का कोई अस्तित्व ही ना हो।
पास बैठे लड़के ने सुरेखा की बांह पर अपनी ऊँगली फेरी बाकि लडको ने फिर उसी विभत्स हंसी से उसका उत्साहवर्धन किया।
"ओ ...मिस्टर थोडा तमीज में रहिये"
सुरेखा सीट से उठ खड़ी हुई और ऊँची आवाज में बोली।
डिब्बे के पुरुष अब भी एलिस के वंडरलैंड में विचरण कर रहे थे।
"अरे ..अरे मैडम तो गुस्सा हो गई ,अरे बैठ जाइये मैडम आपकी और हमारी मंजिल अभी दूर है तब तक हम आपका मनोरंजन करेंगे " कत्थई दांतों वाला लड़का सुरेखा का हाथ पकड़कर बोला।
डिब्बे की सारी सीटों पर मानो पत्थर की मूर्तियाँ विराजमान थी।
उधर उन तृतीय पंथी के लोगो ने सुरेखा की आवज सुनी और आगे आये
"अरे तू क्या मनोरंजन करेगा हम करते हैं तेरा मनोरंजन"
"शबाना ..उठा रे लहंगा, ले इस चिकने को लहंगे में बड़ी जवानी चढ़ी है इसे "
"आय ...हाय मुंह तो देखो सुअरों का, कुतिया भी ना चाटे"
"बड़ी बदन में मस्ती चढ़ी है इनके, जूली ..उतारो इनके कपडे , पूरी मस्ती निकालते है इनकी "
जूली नाम का भयंकर डीलडौल वाला तृतीय पंथी जब उन लडकों की तरफ बढ़ा तो लड़के डिब्बे के दरवाजे की ओर भाग निकले और धीमे चलती ट्रेन से बाहर कूद पड़े।
सुरेखा की भीगी आँखे डिब्बे के कथित मर्दों की तरफ पड़ी जो अपनी आँखे झुकाए अपने मोबाइल में व्यस्त थे
और असली मर्द तालिया बजाते हुए किसी और डिब्बे की ओर बढ़ चुके थे।

kanoparjapati8861

adril