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umeshdonga

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સવારના ઝાકળના બિંદુઓ અને સૂર્યના કિરણો જ્યારે એનાપર પડે એટલે જે રંગબેરંગી પ્રકાશના પુંજ નીકળે જાણે માણેક,મોતી ને હીરા......

manthanpatel071293

शरद संक्रांति

जीवन के तार फिर एक बार झंकृत हो उठे हैं। यह प्रकृति के परिवर्तन गति की सृजन लीला है। बारिशों में भीगकर नम हो चुकी धरा कल एक बार फिर असूज के महीने के खुले आसमान के तले सूरज का ताप लेगी। फिर वही नील पर्वत शिखर,फिर वही धुली धुली हवाएं, फिर वह विराट और वैविध्य रंगों वाला सूरज कण कण में भासमान होगा।

सर्दियों का मौसम हवाओं में दशहरे की खुशबू लिए आयेगा। नवरात्रों की धूम होगी। प्रकृति के परावर्तन काल का प्रतीक - हरियाली, घर घर उगाई जाएगी। अगले नौ दिन सृष्टि की अदिरूपा, ज्योतिर्मय, शक्ति स्वरूपा, सृजन शक्ति का आह्वान होगा। उस विराट ईश्वरीय शक्ति के सृजन कर्म का उत्सव मनाया जायेगा।
इस पर्व में मिट्टी से जुड़ी हमारी ग्राम्य-संस्कृति सजीव हो उठेगी। बैलों के सींग ओंगाये जायेंगे और दशहरे का पर्व होगा - सृष्टि की नकारात्मक शक्तियों पर सृजनात्मक शक्तियों की विजय का प्रतीक। ऋतुओं का आवागमन यहां श्रद्धा से देखा जाता है। आखिर 'ऋत' ही तो धर्म का मूल है।

मौसम की यही खुमारी मेरे उत्सवधर्मी देश के आनन्द की वस्तु है। इसकी रग रग में त्यौहार बसे हैं।यहां प्रकृति के हर रंग में उत्सव का बहाना होता है।जीवन के पल पल को पूरी आत्मीयता के साथ जीना और प्रकृति के साथ सामंजस्य रखना ही हमारा जीवन दर्शन है जो इन पर्वों में झलकता है। जो बताता है कि कृषि, मिट्टी और मानव ही तो सभ्यता के आदि हैं, सूत्रधार हैं।इनकी पूजा ही धर्म है। और इस पर्याय में भी यदि #राम हों तो कहना ही क्या! राम - जो प्रकृति की विनाशक शक्ति के आगे मानवीय साहस और गरिमा की विजय का प्रतीक हैं। जो प्रकृति की अराजकतामूलक कदाचार के बरअक्स मानवीय मूल्यों की स्थापना करें। अर्थात सृष्टि की अराजकता में 'ऋत' अर्थात धर्म की स्थापना का यत्न करे और फिर उसे सम्पोषित भी करे। राम - मेरे देश की सूक्ष्म सांकेतिक भाषा है। राम - वह प्रतीक शब्द है जिसमे मेरे देश का जनमानस खुद को व्यक्त करता है। इसीलिए यह करोड़ों लोगों की जनवाणी है। इसीलिए तो राम इस कृषिधर्मी संस्कृति के उत्स हैं और सीता (खेती) उनकी सहधर्मिणी। दोनों एक दूसरे के पूरक।

कल एक बार फिर पूरा वातावरण राममय हो जाएगा। जगह जगह भगतों की टोलियां और कीर्तन मंडलियां रातभर गाएंगीं और ऐसा लगेगा मानो उत्सवधर्मी देश अपने सांस्कृतिक अतीत में पुनः जीवित हो उठा हो। आक्रमणों, सन्धियों और लूटपाट ने केवल उसका बाह्य कलेवर दूषित किया है, आत्मा का हनन नहीं कर सका। तभी तो आज भी जन जन के मन मे राम हैं। हमारी सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक पुरूष।

दशहरे की महक में हमारे जीवन और हमारी संस्कृति से जुड़ी भौतिकतायें पूरी आध्यात्मिकता के साथ निखर आएंगी। जन जन के राम होंगे और उनकी लीलाएँ होंगी। जनमानस की वाणी एक स्वर में बोलेगी -'राम, मेरे राम!' हवाएं गीत गाएंगीं। दिशाएँ पर्व मनायेंगीं। आकाश निथर जाएगा। पर्वत निखर जाएंगे। धानों की फसलें खिलखिला जायेंगीं।मिट्टी का कोष पूरे ठाठ पर हँस देगा। गेंदे के फूल राहों को महकाएँगे।

और पूरा मानस मण्डल बोल उठेगा - 'जय!जय!

mihir9791

good morning

unnati

Dil ki baatein......

zaheenfatima232543

#KAVYOTSAV
भावनाएं

anjalitiwari.292427

शहीद का दर्द

आदतन फिर गुजरा तुम्हारी गलियोंसे,
आजकल मैं बस यहीं किये जा रहा हूँ |
पुराने लम्हों को फिरसे जिये जा रहा हूँ |
कुछ बीते पल आज भी जिंदा हैं वहाँ |
मुझे देख शरमाते हुए न जाने खो गए कहाँ ?
तुम होती साथ तो देखती उन पलों को,
मुस्कुराकर दूरसे कैसे मैं चूमता था फ़ूलोंको |
आँखे झुकाकर,शरमाकर तुम मुझसे नजरें चुराती |
क्या लम्हें थे वो मुहोब्बतमें डूबे, अलगही अंदाजवाले,
इश्क़िया मिज़ाजवाले, बेचैनी से तारे गिगने वाले |
गर बेरहम कातिलों ने मुझे बक्शा होता,
तो आज तुम छत पे मेरा बेवजह इंतजार न कर रहीं होती,
और न मैं यहाँ तुम्हारी गलियोंमें यूँही भटकतां फिरता |
गिले दुपट्टे से अब तुम्हारे आँसू भी नहीं संभलते,
कोख़ में पल रहे मेरे अंश को कैसे संभालोगी ?
दिलमें कई सवाल लिए तिरंगे में तो लिपटा दिया गया,
बस्स..! तुम्हारे दामन से लिपटने की आरजू रह गयी..!

Robin rajput

nathawatrobimsinghgmail.c

#Kavyostav

खा़मोश से चेहरे देखे होंगे तुम ने कई
जुन्ज रहे होंगे खा़मोशी से किसी
अपने ही दर्द भरे तन्हाई में कई |
यूं तो चेहरे पर एक हलकीसी मुस्कान थी,
जो आंखो तक आयी ही नहीं |
दर्द के बादल गऱज रहे थे दिल में,
लेकिन आंखों से बरसात हुई नहीं ||


- Robin rajput

nathawatrobimsinghgmail.c

મિત્રો , માતૃભારતી પર અમુક ઉપદ્રવીઓને બ્લોક કરી અહીં પ્લેટફોર્મ પર એક સ્વસ્થ વાતાવરણ સાચવવા પ્રયત્ન કરીએ છીએ પણ કોઈ પણ સારું કામ વિઘ્નો વગર થતું નથી. અહીં સ્ક્રીનમાં તમે એવા ઉપદ્રવી વ્યક્તિની ઉકળાટ ફીડબેક સ્વરૂપે જોઈ શકો છો. આ ભાઈ બગડ્યા એટલે એણે ખોટો ફીડબેક પ્લેસ્ટોરમાં મુક્યો છે. તમે અમને મદદ કરી શકો
1. તમે આ ફીડબેકને પ્લેસ્ટોરમાં સ્પામ માર્ક કરી ગૂગલને કહી શકો કે આ અયોગ્ય ફીડબેક છે.
2. તમે તમારો રીવ્યુ પ્લે સ્ટોરમાં મૂકી માતૃભારતી પરિવારનો ઉત્સાહ વધારી શકો.

mahendra

अतरंगी नजरिया !


बातें मुलाकातें पेहले भी बहोत बार हुई थी ,
दुनिया की नजरों में लोगों की बातों में कहीं तुम अच्छे मिले कहीं बुरे...
मगर हमने तुम्हें इन सबसे परे कुछ अलग ही पाया !

चंद लम्हों की मुलाकात , चार पलों की बातें , इतना आसान तो नहीं था तुम्हें समझना...
मगर इतना जरूर समझ पाये ' जिसका भी हाथ थांमोगे उस से अच्छी तकदीर किसी ओर की नहीं '

वो लबों की खामोशी और नजरों की बातें ,
तन्हाइयों से दूर और खुद में ही डूबना...
तुम्हारे अल्फाज भी बहुत अजीब से हैं , पूरे होकर भी अधूरे से लगते हैं...
मानों दिमाग की हर पल उसपर पेहरेदारी है !

जिंदगी के सफर में तुम इंसान हि अलग किस्म के निकले ,
जब भी तुम्हें अच्छा समझने लगे , तुम बुरे बन गये और बुरा समझने लगे तो अच्छे बन गये...

जितना भी तुम्हें बातों में नापना चाहा , गेहराई ही बढ़ने लगी
छोड़ दिया तो किनारे नजर आने लगे...

तुम्हारा नशा भी अलग ही था ; जब करना चाहा तो सब उतर गया ,
छोड़ना चाहा तो दिमाग भी नहीं बच पाया !

तुम्हारा रुतबा भी कुछ अलग ही था
मगर मेरी जिंदगी के किस्सों में वो मगरुर था...

अब छोड़ दी तुम्हें समझने की ज़िद...
क्योंकि, तुम्हें जानकर दिल बुरा मान ने लगा !!!

- Robin rajput

nathawatrobimsinghgmail.c

*विदुर नीति - ८५*

*ईर्ष्यी घृणी न संतुष्टः क्रोधनो नित्याशङ्कितः।*
*परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदुः खिताः।।*

*अर्थ: ईर्ष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संकित रहने वाला और दूसरों के भाग्य पर जीवन-निर्वाह करने वाला – ये छः सदा दुखी रहते हैं।*
Robin rajput

nathawatrobimsinghgmail.c

હું સમજવા નીકળ્યો હતો દુનિયાને
પણ પહેલા પોતાને જ ના સમજી શક્યો..

પારકા ને પોતાના સમજી બેઠો
ને પોતાના ને જ પારકા કરી બેઠો....

બીજાની ખુશી પૂરી કરવામાં
પોતાની ખુશી પૂરી કરી ના શક્યો....

zaladhavalsinh8gmail

Love yourself...

mehtavidhi100259

चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती..
जब कोई पूछता है 'चाय पियेंगे?
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध ,चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई एक कप चाय के लिए।

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता हैं..
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो 'अनकही' है अब तक
वो दास्ताँ जो 'अनसुनी' है अब तक
#copied

patel.harshil09gmail.com2