Quotes by Robin Rajput in Bitesapp read free

Robin Rajput

Robin Rajput

@nathawatrobimsinghgmail.c


जीवन में कम से कम एक बार प्यार कीजिए,

ठंड हो या न हो, उजाला हो या न हो,

अनुभूतियां शिखर तक जाएं या नहीं,

रास्ता उबड़-खाबड़ हो या सरल,

हवायें सुल्टी बहें या उल्टी बहें,

पगडण्डियां पथरीली हों या कटीली,

कम से कम एकबार दिल को खोल दीजिए।


तुम्हारी बातें कोई सुने या न सुने,

तुम कहते रहो ,' मैं प्यार करता हूँ।'

तुम बार-बार आओ और गुनगुना जाओ।


तुम कम से कम एक बार सोचो,

एक शाश्वत ध्वनि के बारे में जो कभी मरी नहीं,

एक अद्भुत लौ के बारे में जो कभी बुझी नहीं,

उस शान्ति के बारे में.जो कभी रोयी नहीं,

कम से कम एकबार प्यार को जी लीजिए।


यदि आप प्यार कर रहे हैं तो अनन्त हो रहे होते हैं,

कम से कम एक बार मन को फैलाओ डैनों की तरह,

बैठ जाओ प्यार की आँखों में चुपचाप,

सजा लो अपने को यादगार बनने के लिए,

सांसों को खुला छोड़ दो शान्त होने के लिए।


एकबार जंगली शेर की तरह दहाड़ लो केवल प्यार के लिए,

लिख दो किसी को पत्र,पत्रऔर पत्र,

नहीं भूलना लिखना पत्र पर पता और अन्दर प्रिय तुम्हारा,

लम्बी यात्राओं पर एकबार निकल लो केवल प्यार के लिए।

***Robin rajput

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chahe gai chinta mite
manba beprbaha jaku kachu na chahiye bo hi sahensha

chopai the ramayan

परफेक्ट बीबी...

ना कभी तंग करती है,
ना कभी जुठ बोलती है,
ना कभी धोखा देती हैं,
ना कभी शक करती हैं,
ना कभी पैसे मांगती है,
ना ही शॉपिंग को जाती है.....

.......ओर ना ही इस दुनिया में पाई जाती है... don't mind ??

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रूक कर ना देख उस मंज़िल को उस तक पहुंचके देख बड़ी हसीन लगेंगी ।

बुँदे गिरी कुछ इस तरह कमीज़ पर,

समज नहीं आया बारिश थी की याँदे,

बधाई देता रहा सबको बारिश की,

पर आँखे कुछ और ही बयाँ कर गई,

ये आँखे भी ना यूही दगा कर गई ।।।

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चित्त चोर

आँखों से तेरी नींदे चुराकर, फिर सपनो में तुझे अपना बनाकर।

दिल से तेरी धड़कने चुराकर, फिर बस जाएं तेरी रुह के भीतर।

ज़हन से तेरे शब्दों को चुराकर,फिर हर वाक्यों में मेरा नाम बसाकर।

होंठो से तेरी खामोशी चुराकर,फिर तेरे जीवन में हरियाली पिरोकर!

चोर हूँ,कुछ और मत समझना!

गलतियाँ कर रहा हूँ,तेरी सांसो को इस्तेमाल कर रहा हूँ, अपने जीवन को बदलने के लिए ।

प्यार है सच्चा,स्वार्थ मत समझना!

मिल जाएगा और भी पर मेरे जैसा चोर नहीं मिलेगा।

चित्त चोर हूँ,कुछ और मत समझना!

बारिश से बीनी मिट्टी की खुशबू छीन लें,तेरे सूखे रण समान मन में इसकी बौछार कर दें।

सितारों से उसका टिमटिमाहट छीन लें,तेरी उदासीन आँखों में उसकी जगमगाहट भर दें।

प्यार है सच्चा,स्वार्थ मत समझना!

चित्त चोर हूँ,कुछ और मत समझना!

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तमाशा देख रहे थे जो डुबने का मेरे
अब मेरी तलाश में निकले है कश्तियाँ लेकर .

शहीद का दर्द

आदतन फिर गुजरा तुम्हारी गलियोंसे,
आजकल मैं बस यहीं किये जा रहा हूँ |
पुराने लम्हों को फिरसे जिये जा रहा हूँ |
कुछ बीते पल आज भी जिंदा हैं वहाँ |
मुझे देख शरमाते हुए न जाने खो गए कहाँ ?
तुम होती साथ तो देखती उन पलों को,
मुस्कुराकर दूरसे कैसे मैं चूमता था फ़ूलोंको |
आँखे झुकाकर,शरमाकर तुम मुझसे नजरें चुराती |
क्या लम्हें थे वो मुहोब्बतमें डूबे, अलगही अंदाजवाले,
इश्क़िया मिज़ाजवाले, बेचैनी से तारे गिगने वाले |
गर बेरहम कातिलों ने मुझे बक्शा होता,
तो आज तुम छत पे मेरा बेवजह इंतजार न कर रहीं होती,
और न मैं यहाँ तुम्हारी गलियोंमें यूँही भटकतां फिरता |
गिले दुपट्टे से अब तुम्हारे आँसू भी नहीं संभलते,
कोख़ में पल रहे मेरे अंश को कैसे संभालोगी ?
दिलमें कई सवाल लिए तिरंगे में तो लिपटा दिया गया,
बस्स..! तुम्हारे दामन से लिपटने की आरजू रह गयी..!

Robin rajput

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#Kavyostav

खा़मोश से चेहरे देखे होंगे तुम ने कई
जुन्ज रहे होंगे खा़मोशी से किसी
अपने ही दर्द भरे तन्हाई में कई |
यूं तो चेहरे पर एक हलकीसी मुस्कान थी,
जो आंखो तक आयी ही नहीं |
दर्द के बादल गऱज रहे थे दिल में,
लेकिन आंखों से बरसात हुई नहीं ||


- Robin rajput

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अतरंगी नजरिया !


बातें मुलाकातें पेहले भी बहोत बार हुई थी ,
दुनिया की नजरों में लोगों की बातों में कहीं तुम अच्छे मिले कहीं बुरे...
मगर हमने तुम्हें इन सबसे परे कुछ अलग ही पाया !

चंद लम्हों की मुलाकात , चार पलों की बातें , इतना आसान तो नहीं था तुम्हें समझना...
मगर इतना जरूर समझ पाये ' जिसका भी हाथ थांमोगे उस से अच्छी तकदीर किसी ओर की नहीं '

वो लबों की खामोशी और नजरों की बातें ,
तन्हाइयों से दूर और खुद में ही डूबना...
तुम्हारे अल्फाज भी बहुत अजीब से हैं , पूरे होकर भी अधूरे से लगते हैं...
मानों दिमाग की हर पल उसपर पेहरेदारी है !

जिंदगी के सफर में तुम इंसान हि अलग किस्म के निकले ,
जब भी तुम्हें अच्छा समझने लगे , तुम बुरे बन गये और बुरा समझने लगे तो अच्छे बन गये...

जितना भी तुम्हें बातों में नापना चाहा , गेहराई ही बढ़ने लगी
छोड़ दिया तो किनारे नजर आने लगे...

तुम्हारा नशा भी अलग ही था ; जब करना चाहा तो सब उतर गया ,
छोड़ना चाहा तो दिमाग भी नहीं बच पाया !

तुम्हारा रुतबा भी कुछ अलग ही था
मगर मेरी जिंदगी के किस्सों में वो मगरुर था...

अब छोड़ दी तुम्हें समझने की ज़िद...
क्योंकि, तुम्हें जानकर दिल बुरा मान ने लगा !!!

- Robin rajput

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