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लोग तो दीवाने हैं बनावट के, भला हम अपनी सादगी लेकर कहाँ जाये।
मैं शून्य में हूँ और मेरी नज़रें उस झूलते नीम के तने पर और मेरा सारा ध्यान उसकी छोटी छोटी पत्तियों पर। मैं देखती हूँ उसे लालसा भरी आँखों से शायद इस उम्मीद में कि मैं भी पत्ती बन जाऊँ निश्चित ही सीता ने भी धरती को इसी लालसा से पुकारा होगा....
शब्दों के सन्नाटे में, अर्थ भटक रहे। रिश्तों के सम्बोधन में, भाव खटक रहे। लेकर वन्दन अभिनंदन मन चटक रहे। स्वप्न की साँझ भरी, अश्रु लटक रहे।
जो तुम्हें प्राप्त है, वही पर्याप्त है। 🙏🏻
मन में दौड़ रहे भावों के चक्रव्यूह को, कुछ पल थाम लेती हूँ । लिखना चाहती हूँ बहुत कुछ, वक्त वक्त पर विराम लेती हूँ। 😊🙏🏻
भोली सूरत अपने अन्दर सोच निराली रखती है। जैसे साधारण सी सीपी अपने अन्दर सुन्दर मोती रखती है।
सोच हूँ और सोच का ही एक सतत अभ्यास हूँ मैं। आस्था की बात हो तो निर्जला उपवास हूँ मैं ।
मौन हूँ, नि:शब्द नहीं। आवाज़ है पर बोलती नहीं। खबर सब है पर मुँह खोलती नहीं। आईने की तरह हूँ पर बिखरती नहीं। कुछ इस तरह जीना छोड़ती नहीं। 😊🧘🏻♀️
#अनुभव आखिर क्या देखूँ कोई सपना जब साथ न होगा कोई अपना हर कदम पर देखा असली रंग पता नहीं कैसा होता है स्वप्न का रंग अच्छा बनकर मिला है तो वह है अनुभव उस अनुभव से जीवन बचाने को सदैव तत्पर 🙏🏻✍🏻
मूक हैं सब भावनायें पर तुम्हारी हो गयी हूँ। तुम मुझे ढूढ़ोगे कैसे, मैं तुम्हीं में खो गयी हूँ। मैंने खुद को अब तुम्हारा, आईना सा कर लिया है। वक्त से आगे निकलकर, प्रेम तुमसे कर लिया है। ✍🏻💖
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