#WomensDay
हां.. मैं..
एक स्त्री हूं
धीर-गंभीर
सरल-सुलभ-सुगम
अल्प- सीमित-विस्तृत
स्नेहिल-निश्च्छल-निस्वार्थ
निःसंदेह, निरपेक्ष, निरंतर
तटस्थ, तत्पर, तुरंत रहती
अद्भुत, अप्रतिम सेवा कार्य
त्याग समर्पण भरा व्यवहार ,
सदैव परस्पर संबंधों में मिलती
ममतामय माँ का हृदय लेकर
अमी वर्षा की बूंदें बरसाती ,
शीतल नदी की तरह बहती
सख़्त पाषाण में खिलती
सहस्त्र कार्य एकसाथ निभाती
गृहस्थ युद्ध में योद्धा बनती ,
निर्भिक, साहसिक बनकर
हुंकार भरती, प्रतिकार करती
असंख्य कष्टों विरूद्ध लड़ती
न झुकती, रूकती, थमती
सर्वस्व न्यौछावर कर देती
यही मेरी संघर्ष भरी कहानी
सबने देखी, सुनी, पढ़ी
रहस्य-पीड़ा-विषम तथ्य
हां.. मैं एक स्त्री हूं
क्षण-क्षण मुझे पाकर
धन्य है यह विशाल धरा ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि-२६/२/२०२२, फ़रवरी