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New bites

नारी, तू है शक्ति का सागर,
हौसले से भरा तेरा आलम,
चुनौतियों को चीरती चली जा,
हर कदम पर लिख दे नया कलम।तूफानों में भी मुस्कान सजाए,
सपनों को सच करने की ठानी,
हर बाधा को तूने हँसकर ठुकराया,
तुझमें बस्ती है वो अटल कहानी।उठ, चमक, तू सूरज की किरण,
अंधेरों को मिटाए तेरा जुनून,
नारी, तू है अनघट का राग,
तेरे हौसले से खिले नया सवेरा सुनहरी||

nidhi546142

लहजा अपना ठंडा रखें जनाब
गरम तो हमें सिर्फ चाय पसंद है😂
पीने वाले दो चाय छः
---डॉ अनामिका--

rsinha9090gmailcom

५० किताबें, ५० कहानियाँ, और एक दिल से निकली आवाज़।
काठगोदाम की गर्मियाँ अब ५० पाठकों की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है।
ये सफ़र सिर्फ़ मेरा नहीं रहा — अब ये हम सबका है।
आपके प्यार और भरोसे के लिए दिल से धन्यवाद।
कहानी अभी बाकी है… 🌿📖”

#KathgodamKiGarmiyaan #AuthorLife #IndianWriters #HindiBooks #GratitudePost #Storyteller #BookMilestone #धीरेंद्र_सिंह_बिष्ट

dhirendra342gmailcom

श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड-एक 👇
https://www.matrubharti.com/novels/53707/by-the-bappa-rawal

विवरण : गुहिल या गहलौत वंश के बप्पा रावल मेवाड़ के वास्तविक संस्थापक माने जाते हैं क्योंकि मेवाड़ ने जो शक्ति, प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त किया वो इन्ही की देन थी। इसी राजवंश में से सिसोदिया वंश का निकास माना जाता है, जिनमें आगे चलकर महान राजा राणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप हुए। बप्पा रावल इनका नाम नहीं बल्कि इनके प्रजासरंक्षण, देशरक्षण आदि कामों से प्रभावित होकर जनता ने इन्हें बाप्पा पदवी से विभूषित किया था।

712 ईस्वी में, भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण हुआ जिसमें मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण कर राजा दाहिर को हराया था। तब बप्पा रावल ने हिंदुस्तान के विविध राजाओं को एकजुट कर न केवल मुहम्मद बिन कासिम को हराया, बल्कि उसे ईरान तक खदेड़ दिया और उसके खलीफा तक पीछा किया।

बप्पा रावल (कालभोजादित्य) का इतिहास जानने के लिए अवश्य पढ़ें।

bapparawal418006

रोना अच्छा लगता है या यूं कहूं
अपनों के दिए तकलीफों को सहना अच्छा लगता है
खामोश हो जाना चाहती हूं मैं खुद में कही
खुद के खातिर अब जीना अच्छा लगता है.....

सो कर उठ जाए आंखों में पड़े ख्वाब
अब उन ख्वाबों को मिटाना अच्छा लगता है
कोई गैर न समझे तो अनोखा लगता है
कोई अपना समझने से मुकर जाए तो दिल बहुत रोता है
मिल कर बिछड़ना शायद किस्मत थी मेरी
अब तक़दीर को धुंधला कहना अच्छा लगता है.....


_Manshi K

manshik094934

ఎవడు...?

అవిద్యతో శిధిలమైపోయిన నా ఈ దేహమును
దేవాలయము గా సేయ జూచె దీనబంధుడెవ్వడు....
నాలో రక్కసుడు ని సంహరించి, ద్వైతము నుంచి అద్వైత
ఆనందపు అవధులను జూప హరుడెవ్వడు....
*అంతరం లో అలుముకున్న అజ్ఞానపు ముసురును
తరిమికొట్టి, కోటిసూర్యుల జ్ఞానా ప్రకాశాన్ని 'లో '
వెలుగొందజేయు పావనుడెవ్వడు.....
*తన పర భేద మెరుగక చెరపట్ట గా జూచె ,నాలోని
కాముకుడు ని కబళించ గా వచ్చే కాలకంఠుడెవ్వడు...
*'నేను' నేను' అనే నా అహాన్ని చంపి, తత్వజ్ఞానాన్ని బోధించేడి ఆ తాత్వికుడెవ్వడు....
నాది నాది అంటూ భ్రమలో బ్రతికేడి అల్పుడిని,
బ్రహ్మ్మము లోకి నడిపింప ఆ నారాయణుడెవ్వడు..
ఈ భవబంధాల సాలెగూడు నుంచి విడిపింప గా
మోక్షమిచ్చు ఆ విరూపాక్షుడెవ్వడు....
*అశాశ్వతపు ఇహమును విడచి సత్యమునెఱిగి శాశ్వతపు
పరమును'నే'చేరగా,సుందర సుమనోహరప్రేమపరిమళాలు చిందించు దరహాసమున, మధురమనోహరపుమధువులతో
మధురాధరామృతము కురిపించి మంత్రముగ్ధుల్ని చేయు
ఆ గోపాలుడి వేణునాదానికి 'నే''ను'గానమై పరవశింప
ఆత్మను పరిమళింపజేసితివి గద,
ఓ...నా..ప్రియ మాధవుడా.....!

.....మధు✍️

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મોટીવેશનલ
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મોળા પડવું પોસાય ક્યાં?
હાલત પર રડવું પોસાય ક્યાં?
હૈયા નું હામ પારખો..
લાચારી નું સિંહાસન હલાવો..
હિંમત થી જુવો આજુબાજુ
જે કઈ દેખાય એમાં જ છે અવસર
આજુબાજુ નહિ તો અંદર નિરખો.
જો હોય સોય પરોવવાની પણ આવડત
તો કામ છે.. આ જગત પાસે તમારા માટે..
ઓળખો તમારી આવડત,ચાલુ કરો કર્મ
કરતા રહો કર્મ કરતા રહો કર્મ.

yashibc123gmail.com135615

कभी-कभी शब्द बोझ बन जाते हैं…
वो बोझ, जो किसी और के लिए बस कुछ पंक्तियाँ हैं, लेकिन किसी टूटे हुए मन के लिए पूरी दुनिया होती हैं।

“शब्दों के बोझ” मेरी आत्मा से निकली एक ऐसी कहानी है, जो शायद आपके भीतर के राघव को छू ले।
राघव — एक साधारण इंसान, पर असाधारण तकलीफ़ें झेलता हुआ।
जिसने बार-बार लोगों को समझाने की कोशिश की,
पर हर बार, या तो अनसुना किया गया, या मज़ाक बना दिया गया।

“जब कोई चीज़ बार-बार कहनी पड़े,
तो शायद वो चीज़ कहने लायक नहीं रही।
या फिर कहने वाला थक चुका है।”

कितनी बार हम यही करते हैं ना?
किसी अपने से कुछ कहना चाहते हैं,
पर सामने वाला मोबाइल में उलझा होता है —
“बोल ना, मैं सुन रहा हूँ।”
पर असल में, वो सुन नहीं रहा, समझ नहीं रहा।

राघव की सबसे बड़ी गलती यही थी —
उसने लोगों से वैसी ही उम्मीद की, जैसी वो खुद था।
सच्चा, ईमानदार, भावुक।
लेकिन हर बार उसे चुप्पी मिली, या ताने।

फिर एक दिन, उसने अपनी डायरी में लिखा —
“मुझे कोई नहीं समझा, पर मैं खुद को समझता हूँ।”
यही आत्मबोध की शुरुआत थी।

अब वो कम बोलता है, पर गहराई से जीता है।
अब उसे दूसरों की मंज़ूरी नहीं चाहिए —
बस आइने में खुद से नज़र मिलाना आता है।

“जब बोल-बोलकर थक जाओ,
तब चुप्पी सबसे ऊँची चीख बन जाती है।”

“शब्दों के बोझ” कोई कहानी नहीं —
ये उन अनकहे एहसासों की दास्तान है,
जो हर उस दिल ने जिए हैं,
जिसे कभी किसी ने नहीं सुना।

अगर आपने कभी खुद से बात की है,
या अपनी खामोशी को दोस्त बनाया है,
तो ये किताब आपके लिए है।

✍🏻 लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट
📘 “शब्दों के बोझ” – अब उपलब्ध MatruBharti पर
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dhirendra342gmailcom

सोचो तनिक तुम भी उनका,
जो भूखे पेट सोते हैं,
पेट में लगी आग के खातिर,
रात भर रती ना सोते हैं,
कोई प्लेट आदी छोड़ दे,
किसी को रोटी मिले ना आदी,
भूखी सोती है विश्व की,
कई करोड़ आबाद,
कुछ रातों को भूखा सोत,
कुछ करते बर्बादी।
#कविता
#हरीश

harishkumar6240

*वक़्त के साए*

हसीन पल कहीं ठोकर में टूटे,
ख्वाब थे जो प्यारे, तक़दीर से भी ज़्यादा।

वफ़ा की आरज़ू की, मगर जतन काम ना आए,
जो चल पड़ा, वो मेरे साए को भी ठुकरा गया।

धड़कते सीने से उठी थी एक पुकार,
जिसे नज़रअंदाज़ कर गया वो बेख़बर यार।

वो ज़रिया था जो बहा,
पर हम ना साथ रहे,
बस रह गए लम्हे, जो अब सिसकियाँ बन बहते हैं।

चल, ऐ मेरे यारा,
कुछ तो पलकों को थाम ले, थक गई हैं ये भी अब रोते-रोते।

क्यों कोई ना मिले,
जब तू ही हर शाम में साथ रहे?
शायद जवाब कोई ना हो
बस तन्हाई ही हो, जो हमेशा साथ रहे...
_Mohiniwrites

neelamshah6821

ഓർമ്മകളിലൊരു മാതൃസ്വരം

അമ്മയുടെ ശബ്ദമൊരു
താരാട്ടുപോൽ എൻ കാതിൽ,
അമ്മതൻ ശബ്ദം മായും മുമ്പേ.
സ്നേഹത്തിൻ മാധുര്യമലിയുന്നൊരീണം,
ഹൃദയത്തിൻ കോണിൽ നിത്യം നിറയും.
നൊമ്പരത്തിൽ തലോടലായ്,
സന്തോഷത്തിൽ ഉണർത്തുപാട്ടായ്.
ഓരോ വാക്കിലും ഒരു ലോകം,
അമ്മതൻ സ്നേഹത്തിൻ സാഗരം.
രാവിന്റെ നിശബ്ദതയിൽ,
ഒരു മന്ത്രം പോൽ മുഴങ്ങുന്നു.
കണ്ണീരുപോലും പുഞ്ചിരിയാക്കും,
അമ്മേ, നിൻ ശബ്ദം അമൃതിൻ ധാര.
ദൂരങ്ങൾ മായ്ച്ചാലും കാലം മാറിയാലും,
മായാതെ നിൽക്കും നിൻ ഓർമ്മകൾ.
അമ്മേ, നിൻ ശബ്ദം എൻ ജീവശ്വാസം,
എന്നും എൻ കൂടെ, എൻ ആത്മാവിൻ ഭാഗം.

✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്

statusworld100748

हरी चूड़ी लाल बिंदी मांग सिंदूर से भरी,
उपासक बनकर उपवास रख
कर करे उपासना शिव की।
हे गौरी गणेश शंकर पार्वती ,
करना रक्षा हमारे सुहाग की ।

bita

हर दर्द को हवा में उतारी न रखिए
ज़िंदगी है नदी
बहने दीजिए
हर पल को जी भर के जी लीजिए

सफ़र जारी रखिए
मुस्कान साथ रखिए
हर राह के फूलों को हाथ रखिए
धूप छाँव का खेल है प्यारा
आशा का सूरज है हमारा

कभी बादल
कभी नीला आसमान
कभी ख़्वाब
कभी टूटा अरमान
जैसे लहरें किनारों से मिलती
वैसे मुश्किलें भी थमती

खुद को संभालिए
खुद को सजाइए
आशा की लौ को जलाइए
हर हार में जीत छुपी होती
हर अंधेरे में सुबह होती

सफ़र जारी रखिए
मुस्कान साथ रखिए
हर राह के फूलों को हाथ रखिए
धूप छाँव का खेल है प्यारा
आशा का सूरज है हमारा

DHAMAk

heenagopiyani.493689

शायद ज़मीं आसमा भी करते है एक दूसरे से प्यार,
इनकी मुलाकात को कह देते हैं हम बरसात।

bita

💥 कहानी का नाम: "बारूद और बरसात"

(Romance meets Revenge in the shadows of bullets)


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मुख्य किरदार:

रणवीर सोलंकी – एक पूर्व सैनिक, शांत पर खतरनाक, जिसकी आँखों में बसी है सिर्फ बदला।

जिया मिर्ज़ा – एक पत्रकार, जो सच की तलाश में है, और खुद अपने अतीत से लड़ रही है।

कैप्टन कबीर राय – रणवीर का पुराना दोस्त, अब दुश्मनों के साथ खड़ा।



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कहानी की शुरुआत:

मानसून की पहली रात थी…
बाँद्रा की सड़कों पर पानी बह रहा था, पर रणवीर सोलंकी की आँखों में सिर्फ खून उतर आया था।

पिछले तीन साल से वो लापता था। सेना ने उसे "मरा हुआ" मान लिया, पर हकीकत में वो जिंदा था — जिंदा, लेकिन अंदर से जलता हुआ।

क्यों?
क्योंकि उसके ही दस्ते में एक गद्दार था, जिसने उसे मौत के मुँह में धकेला — कैप्टन कबीर राय।


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ट्विस्ट: मुलाकात जिया से

रणवीर एक पुराने हथियार डीलर से मिल रहा था, तभी सामने आई — जिया मिर्ज़ा।
स्ट्रेट-कट बाल, चश्मे के पीछे आग सी आँखें। वो रणवीर का पीछा कर रही थी... एक सनसनीखेज कहानी के लिए।

"तुम हो न वो मरा हुआ सैनिक?" उसने धीमे से कहा।

रणवीर पलटा, उसकी गर्दन पर बंदूक तानी — "तुम हो कौन?"

"मैं वो हूँ जो तुम्हें फिर से जिंदा कर सकती है…" – जिया मुस्कुराई।


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एक्सन की बारिश

जिया और रणवीर की जोड़ी जैसे आग और पेट्रोल थी।
रणवीर उसे अपने मिशन में शामिल नहीं करना चाहता था, लेकिन जिया की जिद — और उसकी गहराइयों में छिपे जख्म — रणवीर को तोड़ते चले गए।

वे एक साथ मुंबई के अंडरवर्ल्ड के दिल तक पहुंचे।
एक-एक कर गद्दारों की लिस्ट निकली — और रणवीर ने उन्हें ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।

गोलियां चलीं, खून बहा — और दोनों के बीच एक अनकही मोहब्बत भी बहने लगी।


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रोमांस का विस्फोट

एक रात बारिश में, रणवीर ने पूछा —
“अगर मैं आज ना बचा… तो?”

जिया ने होंठों पर उंगली रख दी —
“तुम पहले से ही मर चुके थे रणवीर… मैं तुम्हें जिंदा करने आई हूँ। अब तुम सिर्फ मेरे हो।”


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अंतिम मुकाबला: दोस्त बना दुश्मन

आख़िरी भिड़ंत कबीर राय से थी — बंदरगाह के पास, एक जहाज पर।

रणवीर ने चीख कर कहा —
“तेरे लिए दोस्ती सिर्फ वर्दी थी… मेरे लिए जान।”

कबीर हँसा — “तेरी जान अब मेरी गोली में है।”

और फिर…
जिया ने पहली बार गोली चलाई।
सीधा कबीर के दिल में।


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एपिलॉग: बारूद के बाद की बारिश

रणवीर और जिया ने सब कुछ छोड़ दिया।
हिमालय के किसी गाँव में एक छोटी सी किताबों की दुकान खोल ली।
हर शाम, वो एक-दूसरे की आँखों में वो जंग देखते हैं, जो कभी उन्होंने साथ लड़ी थी — और जीती भी।


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🎬 Tagline:

"जहाँ गोलियों की गूंज में मोहब्बत की धड़कन छुपी हो — वहीं होती है असली कहानी।"

rajukumarchaudhary502010

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



---

📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


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🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



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💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

rajukumarchaudhary502010

💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



---

📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


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🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



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💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

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💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



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📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


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🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



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💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

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