सूत्र:
"धर्म को ठुकराना स्वतंत्रता है,
पर आध्यात्मिकता को ठुकराना — स्वयं को ठुकराना है।
जिस दिन तुमने भीतर की खोज से मुँह मोड़ा,
उसी दिन तुम्हारे नर्क ने जन्म लिया।"
व्याख्या:
धर्म को अस्वीकार करना विद्रोह नहीं, जागृति की शुरुआत है।
धर्म समाज का बना हुआ ढाँचा है — मान्यताओं, अनुष्ठानों और भय से बुना हुआ।
उसे ठुकराने वाला मनुष्य सच की ओर पहला कदम बढ़ा देता है,
क्योंकि वह अब दूसरों की आँखों से नहीं, अपनी आँखों से देखना चाहता है।
पर जब वही व्यक्ति आध्यात्मिकता —
यानी अपनी ही चेतना, अपनी ही उपस्थिति — को ठुकरा देता है,
तो वह अपने ही अस्तित्व के खिलाफ विद्रोह करता है।
वह उस जड़ से टूट जाता है जिससे उसका होना जुड़ा है।
तब ‘नर्क’ कोई भविष्य नहीं,
बल्कि एक मनोवस्था बन जाती है —
जहाँ आनंद असंभव है,
और जीवन केवल बोझ।
✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
@everyone #agyatagyani #आध्यात्मिक #osho #spirituality #vedanta #धर्म #IndianPhilosophy