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Deepak Bundela Arymoulik

Deepak Bundela Arymoulik Matrubharti Verified

@deepakbundela7179
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मोहब्बत करने वाले

ये मोहब्बत करने वालों को भी सुकून नहीं है,
ये औरों को भी सुकून से रहने नहीं देते हैं।

ख़ुद जलते हैं हर रात यादों की आँच में,
और अपने उजाले से दूसरों को सोने नहीं देते हैं।

इनकी आँखों में ख़्वाब हैं, पर नींद ग़ायब है,
दिल भरा हुआ है, फिर भी चैन नहीं नसीब है।
जो पा लें, उन्हें भी डर सताता है खोने का,
जो खो दें, वो उम्र भर किसी और के होने नहीं देते हैं।

मोहब्बत एक इबादत है, ये कहते तो सब हैं,
पर इस इबादत में सब्र का हुनर कम ही रब देता है।
कभी हँसी चुरा लेती है बेगुनाह चेहरों से,
कभी आँसू छुपाने का हक़ भी नहीं देती है।

अजीब सा दस्तूर है इस इश्क़ के शहर का,
यहाँ दिल तो लगते हैं, पर दिल से रहने नहीं देते हैं।

आर्यमौलिक

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तेरे जाने के बाद फ़िज़ा कितनी सूनी लगी,
जैसे शहर में हर गली बेआवाज़ हो गई।

वो पढ़ लेता है मेरी तहरीर का सुकूत भी,
जिसे समझ आ जाए ज़रा सा एहसास-ए-अल्फ़ाज़।

ये इश्क़ है साहब,
इसमें ज़िन्दगी का
रिस्क लेना पड़ता है—

यहाँ दिल गिरवी रखना होता है,
ख़्वाबों पर दस्तख़त करने पड़ते हैं,
और भरोसे की आग में
अपने डर को जलाना पड़ता है।

ये इश्क़ है साहब,
यह कोई सुरक्षित सौदा नहीं,
यहाँ जीत से ज़्यादा
हार की हिम्मत चाहिए।

कभी मुस्कान की बारिश मिलती है,
कभी तन्हाई की लम्बी रातें,
कभी सब कुछ मिल जाता है,
कभी खुद को ही खोना पड़ता है।

ये इश्क़ है साहब,
यह अक़्ल से नहीं चलता,
यह तो बस दिल की ज़िद है,
जो हर बार टूटकर भी
फिर से भरोसा करना सिखा देती है।

आर्यमौलिक
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खुद के ही शोर में तुम इतने बेहरे हो गए,
कि मेरी चीख भी तुम सुन न सके…

मैंने खामोशी में भी तुम्हें पुकारा था,
हर साँस में तुम्हारा ही नाम उतारा था।
मगर तुम्हारी आवाज़ों की भीड़ इतनी भारी थी,
कि मेरी तन्हाई तुम्हें बोझ लगने लगी थी।

मैं टूटी हुई बातों से सच कहती रही,
तुम अपने सच को ही पूरा सच समझते रहे।
मेरी आँखों में जो डर था, जो सवाल था,
वो तुम्हें दिखा नहीं, या दिखना तुम्हें गवारा न था।

तुम्हारे अपने शोर ने तुम्हें इतना दूर कर दिया,
कि पास होकर भी तुमने मुझे अनसुना कर दिया।
और अब जब मैं चुप हूँ, तो सुकून सा लगता है तुम्हें,
क्योंकि अब कोई चीख नहीं है, जो आईना दिखा सके तुम्हें।

खुद के ही शोर में तुम इतने बेहरे हो गए,
कि टूटते हुए दिल की आहट भी तुम सुन न सके…

आर्यमौलिक

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जब मोहब्बत टूट जाए, तो तुम चुप हो जाना…

जब मोहब्बत टूट जाए
तो तुम चुप हो जाना,
शिकायतों की भीड़ में
ख़ुद को मत खो जाना।

हर जवाब ज़रूरी नहीं होता,
हर सवाल का भी नहीं,
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
जो लफ़्ज़ों के क़ाबिल नहीं।

चुप्पी को अपनी ढाल बनाना,
आँसुओं को रात सौंप देना,
जो समझ न सका तुम्हारी ख़ामोशी
उसे सफ़ाई क्या देना।

वक़्त को अपना काम करने देना,
ज़ख़्मों को थोड़ा साँस लेने दो,
जो चला गया उसे रोकने से बेहतर
ख़ुद को फिर से पाने दो।

याद रखना—
जब मोहब्बत टूट जाए
तो तुम चुप हो जाना,
क्योंकि कुछ टूटने के बाद
ख़ामोशी ही सबसे बेहतर मरहम होती है।

आर्यमौलिक

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ये मत भूलो कि तुम
असफल मोहब्बत के
सफल किरदार हो...!
- Deepak Bundela Arymoulik

एहसास-ए-अल्फाज़ तो बहुत लिखें थे मैंने
गर उसके सीने में दिल होता तो एहसास जरूर होता...!!

मोहब्बत की लकीर


मोहब्बत की बहुत बड़ी लकीर थी मिरे हाथ में... I

जो मिट गयी मोहब्बत की पहली ही मुलाक़ात में... II

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मोहब्बत की बहुत बड़ी लकीर थी मेरे हाथ में,
किस्मत भी हैरान थी उस उजली सी बात में।

नज़रें मिलीं तो लगा जैसे सदियाँ ठहर गईं,
दिल ने कहा—यही है वो सुकून की रात में।

पर अजीब खेल खेलती है ये मोहब्बत भी अक्सर,
जो लिखा था उम्र भर, मिट गया एक ही मुलाक़ात में।

लफ़्ज़ अधूरे रह गए, खामोशी बोल गई,
हर जवाब डूब गया कुछ अनकही सी बात में।

हाथ की लकीरों ने भी मुँह मोड़ लिया मुझसे,
जब सच सामने आया पहली ही सौग़ात में।

अब न शिकवा है न ग़िला उस बेवफ़ा से,
बस एक दाग़ सा रह गया दिल की हर बात में।

आर्यमौलिक

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