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આપની દરેક પોસ્ટ સકારાત્મક અને હાસ્યથી ભરેલી રહે...Happy World Social Media Day🌍

Thanks Social Media for Connecting People Near and Far...♥️👍

monaghelani79gmailco

बूँदे कुछ यूँ गिरी क़ि,

कुछ ख़्याल भीग गए...

dipika9474

મલકી મલકી ને ભીંજાય તું
મને જોઈને કાં શરમાય તું…
-કામિની

kamini6601

કોઈ પૂછે કોઈ પૂછે કોણ છે તું?
તો કહી દેજે ધીરેથી, કોઈ ખાસ નથી.
બસ એક સામાન્ય માનવી,
સપનામાં ચાલતો, ખુશી શોધતો.
કોઈ પૂછે કેટલા મિત્ર છે?
તો કહી દેજે, કોઈ ખાસ નથી.
કાચા પકા એક બે,
પણ એ પણ કોઈ ખાસ નથી.
નથી કોઈ મોટો દરજ્જો કે નામ,
બસ નાનકડું અસ્તિત્વ, દરેક શ્વાસમાં જીવતો.
દિલમાં પ્રેમ, હોઠ પર સ્મિત, આંખોમાં શાંતિ;
એ જ છે સાચી ઓળખ મારી.
d h a m a k

heenagopiyani.493689

" લક્ષ્ય રાખ આભથી ઊંચું "

હાથે કરીને તું ધજાગરો ના કર.
કર જાગરણ તું ઉજાગરો ના કર.

કુદરતના નિયમ મૂજબ ચાલ ભૈ,
ખુદનો ઊભો કોઈ તું ધારો ના કર.

લાગણીહીન થયાં દિલ આજકાલ,
ગમે તેનાં હૃદયમાં તું ઉતારો ના કર.

મળી છે જિંદગી તો માણ મોજથી,
ખોટે ખોટો મનમાં તું મૂંઝારો ના કર.

આભથી ઊંચું રાખ લક્ષ્ય હમેશાં,
થોડાકમાં "વ્યોમ" તું ગુજારો ના કર.

✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

omjay818

Usake sahar me thi gairo si 😔
mujhe apana vaha koi nahi mila 🙂‍↕️
ek sakhs tha jise main janti thi 🥰
lekin usane bhi mujhe
pahachanane se inkar kar diya 😭

124suradhey

kisine puchha hamase ki dard ki sabse aakhri had kya hai
maine kaha ki 😔
jab koi apna gairo ki tarah vyavhar karne lag jaye to 😔
usase bada koi dard nhi🙂‍↕️

124suradhey

क्या आप कभी ऐसे रिश्ते में रहे हैं जहां आपने सब कुछ दिया, लेकिन बदले में सिर्फ ख़ामोशी मिली?
“फोकटिया” सिर्फ एक किताब नहीं, एक एहसास है – उन अधूरे, एकतरफा रिश्तों की कहानी, जिनके लिए आपने खुद को तकलीफ दी, पर वो कभी आपके नहीं हुए।

यह कहानी आपको आपके अपने किसी रिश्ते की याद दिला सकती है — वो दोस्त, वो अपना, जिसे आपने अपनी दुनिया मान लिया था, लेकिन उनके लिए आप सिर्फ ‘एक और इंसान’ थे।

लेखक धीरेंद्र सिंह बिष्ट ने बेहद सादगी और गहराई से उन जज़्बातों को शब्दों में पिरोया है जिन्हें हम अक्सर महसूस तो करते हैं, पर कह नहीं पाते।

अगर आपने कभी निःस्वार्थ प्रेम किया है, अगर आप आज भी किसी पुराने रिश्ते की छाया में जीते हैं, तो “फोकटिया” आपको अपने भीतर झाँकने पर मजबूर कर देगी।

📘 अब उपलब्ध: Amazon, Flipkart, NotionPress और Kindle पर।
📖 10000+ रीड्स का विश्वास।

एक बार पढ़िए, शायद इसमें कहीं आप भी मिल जाएं।

dhirendra342gmailcom

As I Promised After Completing 75k Views There Was A Surprise For My Readers So This Is It ...

You Have Read My Novels , Microfictions , Opinion And Stories Etc .....

But I Never Shared My Written Poetries On This Platform But After Completing 75k Milestone I Will Publish My Gujarati Poetries For My Readers .

“ પ્રિયંબરા ” Will Be Coming Soon ..........

rupaljadav173815

gn lv sd ☺️🖤✨

hiralb

വിലയില്ലായ്മ | Protest Poetry Continuum

പഠിച്ചവൻ തൊഴില്ലേന്ന് ഭവനമുറിയിൽ തളരുന്നു,
പഠിക്കാത്തവൻ പാർലമെന്റിൽ നിശ്ശബ്ദം വോട്ടുചെയ്യുന്നു.
വ്യത്യാസം ഒരു ഡിഗ്രിയല്ല,
ഒരു ബന്ധത്തിന്റെ വിലയില്ലായ്മ.

അമ്മയ്ക്ക് പണവും ജോലി സമ്മാനിച്ചു,
അച്ഛന് ഒരു പാർട്ടി അംഗത്വവും സ്ഥാനവും,
പിന്നെ ആ കുട്ടിക്ക് പത്രത്തിൽ “First Rank” മാത്രം.
ഉദ്യോഗമല്ല, സമ്മാനമല്ല —
അവൻ തേടിയതി വെറും മാന്യമായ നിലപാട്.

പഠിച്ചവന്റെ ചോദ്യങ്ങൾ സങ്കടമാവുമ്പോൾ,
പഠിക്കാത്തവന്റെ ഉത്തരങ്ങൾ ശബ്ദമാവുന്നു.
വിരോധങ്ങൾ മറവിയാകുമ്പോൾ,
മൗനം അതിന്റെ അധികാരമാകുന്നു.

ചിലരോടാണ് രാജ്യത്തിന് സ്നേഹം,
മറ്റുള്ളവരോടാണ് യാത്രാസൗകര്യം.
സമവായമെന്നത് സകലവുമായിതല്ല —
ചിലർ ഉറക്കത്തിനും പോലും ടോക്കൺ എടുക്കണം.

വ്യത്യാസം ഒരു പാഠപുസ്തകം കൊണ്ടല്ല,
ഒരു കസേരയുടെ കാതിരിപ്പാണ്.
വിശ്വാസം നഷ്ടപ്പെട്ടെടുത്ത ഈ തലമുറ,
ഒരു ബ്ലാക്ക് & വൈറ്റ് സെൽഫിയല്ല,
ഒരു ചിറകില്ലാത്ത കറുത്ത പട്ടമാണ്.

---

വില ചോദിക്കേണ്ടവർ ചുരുണ്ട കവറുകളിലാണ്,
ഓരോ അഭിമാനത്തിലും അടിഞ്ഞു കിടക്കുന്ന
അക്ഷരങ്ങളുടെ ശവങ്ങൾ.

അവരുടെ കൈകളിൽ ചേർത്തത് സാക്ഷരതയുടെ സർട്ടിഫിക്കറ്റ്,
പക്ഷേ ഉള്ളിൽ ചോരുന്നത്
ഉയർന്ന തൊഴിൽ ഉദ്ദേശിക്കുന്ന
ഒരു തലമുറയുടെ ആത്മഹത്യാ കുറിപ്പുകൾ.

പാതിരാത്രിയിൽ കമ്പനി വെബ്‌സൈറ്റുകളിൽ
ഓൺലൈൻ ആയി life refresh ചെയ്യുന്നവർ
വില ചോദിച്ചില്ല.
പക്ഷേ അവർക്ക് കിട്ടിയത്,
"You’re overqualified" എന്ന ശവപത്രം മാത്രം.

അവരുടെ പിതാക്കൾ പറഞ്ഞത് —
"ചോദ്യം ചെയ്യരുത്, ക്ഷമിക്കുക..."
അവർ മറുപടി പറഞ്ഞു —
"ചുമ്മാതിരിക്കാൻ ഞാൻ പഠിച്ചില്ല."

നാലര വർഷത്തെ യൂണിവേഴ്സിറ്റി ഫീസ് പോലെ
ഇനി അവർ എഴുതുന്നത്,
ഒരു പത്രം നിറയും ഉയിരിന്റെ ഹാക്കാഥോൺ.

ഇവൻ തൊഴിൽ അപേക്ഷയല്ല…
ഇവൻ സമരത്തിന്റെ അതിരാണ്.
ഇവൾ ഒരു വർഗ്ഗം അല്ല…
ഇവൾ മറുപടി ആവശ്യപ്പെടുന്ന മനസ്സാണ്.

വിജാസ്. കെ.വി

vijaskv346005

ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।
आप बहुत अजीज है, कुछ ले नहीं सकता।
आफ्ते बन गयी जो, करीब ही ठहर गयी,
और हकीकत मे , सागर मे वेह नहीं सकता।
ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।
टूटना ही था कमबख्त, तो दिल जोड़ा कयो ?
अकेला हूँ आज, जयादा मै रह नहीं सकता।
मर जाऊ यही सोचते, उम्र बीत चली आपनी,
वसीयत जो कि हमने, तकसीम दें नहीं सकता।
ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।

neerajsharma.603011

“सहयोग कोई एहसान नहीं, बल्कि इंसानियत की पहचान है।
जो बिना शर्त दे — वही सच्चा साथ होता है।”

इस एक पंक्ति में छुपी है ज़िंदगी की सबसे बड़ी सीख।

ऐसी ही अनकही लेकिन महसूस की गई बातें हैं मेरी किताब “अग्निपथ – हर मोड़ एक कहानी” में —
जहाँ हर मोड़ पर एक नई सोच, एक नई जंग और एक नई कहानी है।

यह सिर्फ़ किताब नहीं है,
बल्कि हर उस इंसान का आईना है
जो जीवन से लड़ता है, गिरता है, लेकिन रुकता नहीं।

अगर आपको ऐसी कहानियाँ पसंद हैं जो दिल को छू जाएँ,
जो शब्दों में नहीं, जज़्बातों में उतरें —
तो यह किताब आपके लिए है।

📚 हर मोड़ एक सवाल छोड़ता है… और हर उत्तर आपको थोड़ा और मज़बूत बनाता है।

पढ़िए, महसूस कीजिए, और साझा कीजिए…
क्योंकि कहानियाँ तब तक ज़िंदा रहती हैं जब तक वो किसी दिल को छूती हैं।

#AgnipathBook #HindiLiterature
#QuotesThatInspire #BookLovers #QuoteLovers
#EmotionalReads #ZindagiKiKahani #IndianAuthors #ViralQuotes

dhirendra342gmailcom

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“सहयोग कोई एहसान नहीं, बल्कि इंसानियत की पहचान है।
जो बिना शर्त दे — वही सच्चा साथ होता है।”

इस एक पंक्ति में छुपी है ज़िंदगी की सबसे बड़ी सीख।

ऐसी ही अनकही लेकिन महसूस की गई बातें हैं मेरी किताब “अग्निपथ – हर मोड़ एक कहानी” में —
जहाँ हर मोड़ पर एक नई सोच, एक नई जंग और एक नई कहानी है।

यह सिर्फ़ किताब नहीं है,
बल्कि हर उस इंसान का आईना है
जो जीवन से लड़ता है, गिरता है, लेकिन रुकता नहीं।

अगर आपको ऐसी कहानियाँ पसंद हैं जो दिल को छू जाएँ,
जो शब्दों में नहीं, जज़्बातों में उतरें —
तो यह किताब आपके लिए है।

📚 हर मोड़ एक सवाल छोड़ता है… और हर उत्तर आपको थोड़ा और मज़बूत बनाता है।

पढ़िए, महसूस कीजिए, और साझा कीजिए…
क्योंकि कहानियाँ तब तक ज़िंदा रहती हैं जब तक वो किसी दिल को छूती हैं।

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Book available link 🔗 👉https://notionpress.com/read/kaathagodaam-ki-garmiyaan

dhirendra342gmailcom

कहानी: "अधूरी पेंसिल" ✍️
(प्रेरणा की कहानी – लगभग 1000 अक्षर)

छोटे से गाँव में एक गरीब लड़का था – आरव। उसके पास स्कूल जाने के लिए न जूते थे, न बस्ता, और न ही नई किताबें। बस एक पुरानी कॉपी और आधी पेंसिल, जो उसके पिता ने मजदूरी कर के खरीदी थी।

एक दिन क्लास में टीचर ने कहा, “कल एक प्रतियोगिता है – जो सबसे सुंदर अक्षरों में लिखेगा, उसे इनाम मिलेगा।”
आरव के पास नई पेंसिल नहीं थी, पर उसके अंदर एक जिद थी – कुछ कर दिखाने की।

उस रात वह आधी पेंसिल को चाकू से छील-छीलकर नुकीला करता रहा। उसकी माँ ने देखा और पूछा, “इतनी मेहनत क्यों कर रहा है बेटा?”
आरव ने मुस्कुरा कर कहा, “माँ, ये पेंसिल भले अधूरी है, पर मेरा सपना पूरा है – जीतने का!”

अगले दिन प्रतियोगिता हुई। बच्चों ने रंग-बिरंगी पेंसिलों से लिखा, पर आरव ने अपने दिल से लिखा – साफ़, सुंदर, और भावपूर्ण।

जब परिणाम आया – सब चौंक गए। पहला इनाम आरव को मिला।

टीचर ने पूछा, “इतने साधनों के बिना कैसे?”
आरव ने कहा – “पेंसिल छोटी थी, पर हौसले पूरे थे।”

सीख:
जीतने के लिए साधन नहीं, संकल्प चाहिए। चाहे पेंसिल आधी हो, पर सपना पूरा होना चाहिए। 💪✍️✨

rajukumarchaudhary502010

ये शाम;
बड़ी निराली है...
कुछ धुंधली है,
कुछ काली है....
कुछ स्याह लगे से पन्नों सी,
कुछ उजली; कुछ मतवाली है....
ये शाम;
बड़ी निराली है....
अगर शहर के साथ चलो तुम,
टिम-टिम तारों वाली है....
अगर गाँव का; रुख कर लो तुम,
दिल दहलाने वाली है....
आज भी बीहड़, जर्ज़र भूमि,
बुला रही है; आ तो जाओ....
मत छोड़ो अपनों की धरती....
उसको जगमग कर दिखलाओ।।

kanchanrautelarawat160412

शेरों की मिट्टी — नेपाल की गाथा"
✍️ राजु कुमार चौधरी के जज़्बे से प्रेरित

हिमालय की छाँव में,
जहाँ हवाएँ भी बोलती हैं,
मिट्टी में छुपा है वो इतिहास,
जो हर दिल को झंकृत करती है।

गोरखों की तलवार नहीं,
उनकी धड़कन में है आग,
हर कदम उनकी जमीन पर,
है शेरों की आवाज़।

न कभी हार मानी, न कभी झुका,
रक्त में बहती है आज़ादी की नदियाँ,
हर प्राण यहाँ है समर्पित,
मातृभूमि के लिए अपनी लड़ाई में।

ब्रिटिश के कदम थमे यहाँ,
गोरखा के गर्जन से धरती काँपी,
यहाँ की मिट्टी ने सुनाई कहानी,
शौर्य की, जो अमर हो गई।

नेपाल नहीं सिर्फ एक देश,
यह तो स्वतंत्रता की मिसाल है,
जहाँ हर दिल में बसी है वो बात —
कभी न झुकने का जज़्बा, कभी न हार मानने का हाल है।
"कभी न झुका नेपाल – गोरखों की गाथा"

✍️ राजु कुमार चौधरी द्वारा

> हिमगिरी के आँचल में बसा,
एक देश है बलिदानों का।
न किसी ने जंजीर पहनाई,
न कोई शिकारी बना शिकार का।

ये वो भूमि है वीरों की,
जहाँ गोरखा पैदा होता है।
तलवार नहीं, गर्जना से ही
दुश्मन का दिल रोता है।

ब्रिटिश आए घोड़े लेकर,
सोचा था जीत लेंगे सब कुछ।
पर नेपाल की माटी ने बोला —
"यहाँ लड़ाई होती है सच्ची, न साजिशवाली साजिश!"

सुगौली की स्याही से,
नक्शे में कुछ धब्बे आए।
पर आज़ादी की आत्मा
फिर भी न झुकी, न मिट पाई।

न ताज गया, न राज गया,
न खुद्दारी की बात गई।
गोरखा बोला —
“मातृभूमि के लिए तो जान भी सौगात है भाई!”

न कभी मुग़ल, न तैमूर आया,
न ब्रिटिश बन सका मालिक।
ये नेपाल है —
यहाँ हर बच्चा भी जन्म से स्वतंत्र सैनिक।




---

> 🌄 नेपाल कोई देश नहीं, एक प्रेरणा है।
🌪️ यहाँ न गुलामी आई, न आज़ादी गई।
🚩 क्योंकि यहाँ के लोग लड़ना नहीं, मरना जानते हैं — पर झुकना नहीं।

🇳🇵 "गोरखा का खून – नेपाल की आज़ादी की कहानी"

✍️ लेखन: राजु कुमार चौधरी

भाग 1: हिमालय के साए में जन्मा एक स्वाभिमान

सन 1814 —
हिमालय की गोद में बसा एक छोटा, लेकिन स्वाभिमानी देश — नेपाल।

यहाँ के लोग खेत में किसान, और युद्ध में शेर होते थे।
हर बच्चा जब जन्म लेता, माँ कहती —

> "बेटा, ज़िंदा रहो तो देश के लिए… और मरो, तो भी देश के लिए!"



इस कहानी का नायक — वीर बहादुर सिंह — गोरखा सैनिक।
उसकी आँखों में आग थी, सीने में देशभक्ति, और हाथ में तलवार।
उसका सपना था — नेपाल को किसी का गुलाम नहीं बनने देना।


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भाग 2: अंग्रेज़ी चाल और गोरखा की ढाल

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चारों तरफ साम्राज्य फैला रखा था।
भारत, बर्मा, श्रीलंका — सब उनकी मुट्ठी में थे।

पर जब उन्होंने नेपाल की तरफ देखा —
उन्हें लगा, “ये तो छोटा सा पहाड़ी देश है, इसे तो एक हफ्ते में झुका देंगे।”

गलती कर बैठे साहब लोग!

गोरखा सैनिकों ने कहा —

> “तुम बंदूक लाओ, हम हिम्मत लाएंगे।
तुम बारूद लाओ, हम भरपूर जज़्बा लाएंगे!”




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भाग 3: गोरखा युद्ध – जब ज़मीन हिली और इतिहास चिल्लाया

1814 में अंग्रेज़ों ने हमला किया।
लेकिन पहाड़ों की घाटियों से आवाज़ आई —

> “यहाँ हर पत्थर भी दुश्मन के लिए गोली बन जाएगा!”



वीर बहादुर सिंह ने अपनी छोटी सी टुकड़ी के साथ अंग्रेज़ों की फौज को रोक लिया।
कुरसे की पहाड़ी लड़ाई में अंग्रेज़ जनरल गिलेस्पी मारा गया —
ब्रिटिश अखबारों ने लिखा:

> “गोरखा सैनिक नहीं, बवंडर हैं!”




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भाग 4: संधि, लेकिन समर्पण नहीं

दो साल की लड़ाई के बाद, अंग्रेज़ थक गए।
उन्होंने सुगौली संधि की पेशकश की।

कुछ ज़मीन गई — हाँ,
लेकिन नेपाल की आज़ादी बची रही।

राजा ने कहा:

> "हम ज़मीन खो सकते हैं, पर आत्मसम्मान नहीं।
गुलामी का एक इंच भी हमें मंज़ूर नहीं!"




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भाग 5: आज़ादी की मिसाल – आज का नेपाल

आज भी, जब कोई बच्चा नेपाल में पैदा होता है,
उसकी नसों में गोरखा का खून दौड़ता है।

वीर बहादुर सिंह की गाथा आज स्कूलों में पढ़ाई नहीं जाती —
क्योंकि वो किताबों में नहीं, लोगों की रगों में ज़िंदा है।

और अंग्रेज़?
उन्होंने बाद में गोरखा सैनिकों को अपनी सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया,
क्योंकि जो जीत न सके — उसे साथ रखना ही बेहतर समझा।


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🎯 सीख क्या है?

> "जिस देश में हिमालय है और दिलों में आग है —
उसे कभी कोई गुलाम नहीं बना सकता।"
📚 राजु कुमार चौधरी
✍️ लेखक | कवि | कहानीकार
📍प्रसौनी, पर्सा, नेपाल

"हर शब्द में जादू, हर कहानी में रहस्य"
यहाँ आपको मिलेंगी —
🌀 जादुई कथाएँ
💔 दिल छू लेने वाली प्रेम कहानियाँ
👻 रहस्यमयी घटनाएँ
🔥 संघर्ष और प्रेरणा की अनसुनी दास्तानें

📖 अगर आपको कहानी में खो जाने का शौक है, तो आप सही जगह आए हैं।
हर दिन कुछ नया, कुछ अनदेखा... सिर्फ आपके लिए।

🙏 पढ़ें, पसंद करें, टिप्पणी करें — और मेरी रचनात्मक यात्रा में साथी बनें।
📬 सुझाव और विचारों का स्वागत है

rajukumarchaudhary502010

🙏શેફાલી જરીવાલા🙏
ગઈકાલ હતી...ને...દુનિયામાં
આજે નથી..અસ્થિ વિસર્જન

harshadpatel194722

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
કરમાયેલી લાગણીને ખીલવાની આશ છે!

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
રણ સમા આ હ્દયમાં મૃગજળી આભાસ છે!

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
શમી ગયેલ ભૂતકાળનો સહવાસ છે!

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
મારી નજરનો જ્યાં અટકેલો પ્રવાસ છે!

-નીલકંઠ

neelkanthvyas3915

ના પૂછો કેવી રીતે રહીએ છીએ,
દાઝીએ છીએ તોય મલકીએ છીએ...
- પાર્થ પ્રજાપતિ

parthprajapati9646

मोहब्बत हैं तुम से
मेरे दिल में तुम बस्ती हो

हम कैसे बसा ले किसी ओर को
जब तुम मेरी साँसो में बस्ती हो..

टूट कर हम नहीं बनते, बिखर जाते हैं हर तरफ
हम हैं एक दर्पण, हमारा तस्वीर नहीं बनता

साँसो का चलना
मन से रुक जाना
जिंदगी का प्रमाण नहीं हैं..

मोहब्बत हैं तुम से
मेरे दिल में तुम बस्ती हो


पवन का चलना
दिया का मुझ जने से
मृत्यु का संकेत नहीं होता।

stdmaurya.392853