"अब यह युग है..."
अब यह युग है कि आंखों देखा और कानों सुना ही सच मान लेना मुश्किल हो गया है।
क्योंकि अब लोग वही दिखाते हैं जो दिखाना चाहते हैं,
वही सुनाते हैं जो सुनाना चाहते हैं।
हम किसी के घर, किसी की ज़िंदगी, या किसी हालात में हर वक्त मौजूद नहीं रहते —
ना हमें पता होता है पहले क्या हुआ,
ना यह कि किसने क्या छुपाया, क्या दिखाया।