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New bites

कुत्ता और कौआ
एक था कुत्ता, एक था कौआ,
दोनों में था थोड़ा सा झगड़ा भौं-भौं और कांव-कांव का सौदा।

कुत्ता बोला मैं घर का राजा,
मालिक मुझे खिलाता बाजा!"
कौआ बोला मैं हूँ उड़नछू,
कभी यहाँ, कभी वहाँ, जैसे मन चाहूँ!"

कुत्ता बोला मैं दरवाज़ा देखूं,
चोर आए तो जोर से भौंकूं!"
कौआ हँसा मैं तो आसमान छू लूं,
कभी टीवी एंटीना, कभी छत पर झूलूं!"

कभी लड़ते, कभी हँसते दोनों,
एक कटोरी में खाते मोहनथाल सोनो।
कभी कौआ बैठा कुत्ते की पीठ,
दोस्ती में अब नहीं कोई रीत!

लेखक: Bikash Parajuli

bikash07

बुक नेम : ‘कर्म का विज्ञान।’ 👇🏻 समझने के लिए अवश्य पढ़ें
https://www.matrubharti.com/novels/40406/karm-ka-vigyaan-by-disha-jain

विवरण : जब भी हमारे साथ कुछ भी अच्छा या बुरा होता है तो हम हमेशा यही कहते हैं कि – यह सब हमारे कर्मो का ही नतीजा है| पर क्या हम जानते है कि कर्म क्या है और कर्म बंधन कैसा होता है?

दादाश्री कहते है कि हमारा सारा जीवन हमारे ही पिछले कर्मो का नतीजा है| जो कुछ भी हमारे साथ अच्छा या बुरा हो रहा हैं, इसके ज़िम्मेदार हम खुद ही है| इस जीवन के कर्मो के बीज तो हमारे पिछले जन्मो में ही पड़ गए थे और अभी हम जो कुछ भी कर रहे है वह सब अगले जन्मों में रूपक में आएगा।

लोग अक्सर यही सोचते है कि अच्छे कर्म और बुरे कर्म क्या होते है और किस प्रकार हम कर्म बंधन से मुक्त हो सकते है? दादाजी इसका जवाब देते हुए कहते है कि जिस काम से किसी का भला हो उसे अच्छे कर्म कहते है और जिससे किसी का नुक्सान हो, तो, उसे बुरे कर्म कहते है| कर्म बंधन से मुक्त होने का सबसे आसान और सरल उपाय यही है कि हम नए कर्मो के बीज ना डाले और अभी जो कुछ भी हो रहा है उसको समता से और समभाव से पूरा करे| ऐसा करने से नए कर्मो के बीज नहीं पड़ेंगे और हम इस जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो पाएँगे।

कर्म का विज्ञान और उसे चलाने वाली व्यवस्थित शक्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, ‘कर्म का विज्ञान’ यह किताब ज़रूर पढ़े और अपने जीवन को सुखमय बनाये।

darshitmehara321812

दाऊद इब्राहिम – डोंगरी का दहशतगर्द

डोंगरी की गलियों में जन्मा एक नाम था खौफ का,
गरीबी में पला, पर सपना था बादशाहत का।
पिता पुलिस में था, पर बेटा बन गया काल,
छोटे-मोटे जुर्म से शुरू हुआ, फिर बढ़ा सवाल।

1980-90 में डी-कंपनी बनी उसकी तलवार,
मुंबई से लेकर दुबई तक फैला उसका व्यापार।
फिल्म, हवाला, स्मगलिंग – सब पे था उसका राज,
दाऊद का नाम सुनते ही कांपते थे 'थानेदार'।
93 के धमाकों से कांपी थी मायानगरी,
पर आज भी डोंगरी में गूंजती है उसकी 'डर की नगरी'।


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अगर चाहो तो इसी तरह बाकी अंडरवर्ल्ड डॉन पर भी बना दूं – जैसे अरुण गवली, वरदराजन, हाजी मस्तान, शब्बीर इब्राहिम आदि।

#PassG story

shivsahu051142

✤┈SuNo ┤_★_🦋
नज़र रखते हुए भी, मैंने उसको
             रोका नहीं,

उसे पिंजरे से मेरे मैंने भी आज़ाद
              कर दिया,

थी रूह उसकी परेशान, मेरे पास
             रुककर भी,

सो  ख़ुद  ही मैंने  इक  ख़ामोश
        अलविदा कह दिया,

"मोहब्बत  थी,  या  आदत" ये
       समझना मुश्किल था,

बस एक फ़ैसला जो मैंने यूँ नाशाद
               कर दिया,

वो उड़ गया जहाँ को, जहाँ उसकी
               मंज़िल थी,

मेरे लिए तो बस इक वीरान सा घर
           आबाद कर दिया,

अब अक्सर  सोचता  हूँ, क्या ये
          फ़ैसला सही था.?

कि अपने दिल को मैंने क्यों इतना
          बरबाद कर दिया,

न कोई  शिकवा  अब है, न कोई
         शिकायत लबों पर,

बस  एक दर्द  है जो  सीने में मेरे
     मुस्तक़िल याद कर दिया,

हां नज़र रखते हुए भी, मैंने उसको
                रोका नहीं,

उसे पिंजरे से मेरे मैंने भी, आज़ाद
             कर दिया...🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥

loveguruaashiq.661810

🧠 सोच और प्रतिक्रिया – आपकी असली पहचान
हमारी ज़िंदगी में दो चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं — हमारी सोच और हमारी प्रतिक्रिया। यही दो पहलू मिलकर हमारी पहचान बनाते हैं।

“मनोविकार हमारी मनोस्थिति तय करते हैं — वे इस बात का आईना हैं कि हमारी सोच कितनी ग्रसित है और हम स्वयं की नज़रों में क्या स्थान रखते हैं।”
– धीरेंद्र सिंह बिष्ट
लेखक: “मन की हार, ज़िंदगी की जीत”

हर व्यक्ति के भीतर कुछ ना कुछ चल रहा होता है — कभी तनाव, कभी भ्रम, कभी अधूरी इच्छाएं। ये सब मिलकर मन के भीतर एक हलचल पैदा करते हैं, जिसे हम अक्सर बाहर प्रकट कर देते हैं। लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमारी प्रतिक्रिया ही हमारा असली चेहरा बन जाती है।

“जब कोई व्यक्ति बिना सोचे प्रतिक्रिया देता है, तो वह न केवल अपनी बात की गहराई खो देता है, बल्कि अपनी पहचान की चमक भी धूमिल कर देता है।”
– धीरेंद्र सिंह बिष्ट

कभी-कभी ग़ुस्से में कही गई बात, या तुरंत दी गई प्रतिक्रिया, हमारे वर्षों की मेहनत और छवि को क्षणों में मिटा सकती है। सोच-समझकर बोलना केवल परिपक्वता की निशानी नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और आत्मसम्मान का प्रतीक है।

📚 “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” सिर्फ किताब नहीं है, यह एक यात्रा है — अपने भीतर झांकने की, अपने सोच के स्तर को परखने की और भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने की।

इस पुस्तक का हर पृष्ठ एक नया सवाल खड़ा करता है –
❓ हम खुद को कितनी गहराई से समझते हैं?
❓ क्या हम अपनी प्रतिक्रियाओं के ज़रिए खुद को उजागर कर रहे हैं या खो रहे हैं?

🎯 अगर आप आत्मविकास, मानसिक शांति और स्पष्ट सोच की तलाश में हैं, तो यह किताब आपके जीवन की दिशा बदल सकती है।

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dhirendra342gmailcom

શિવજીના ગળાનો હાર,
થરથર કાંપે માનવી જોઈ જેને,
વિષ જેનું તીક્ષ્ણ હથિયાર!
મોરનો એ ખોરાક,
નોળીયાનો એ દુશ્મન!
ફેલાવવા જાગૃતિ સાપનાં મહત્ત્વની,
ને દૂર કરવા નાહકનો ડર મનનો,
'વિશ્વ સર્પ દિવસ' ઉજવાય,
16મી જુલાઈનાં રોજ દુનિયામાં!

s13jyahoo.co.uk3258

અબોલા ક્યાં સુધી
આ મૌન ક્યાં સુધી
લાશ પાસે આવીને મારા
તુ ગમે તેટલી કરગરીશ
ત્યારે ખરુ કહુ છુ.
હુ પણ મૌન ધારણ કરી લઈશ
તુ લાખ માનવીશ
હુ માનીશ નહિ
મુખેથી એક શબ્દ પણ
હું બોલીશ નહિ

amiralidaredia175421

"हम सब स्वच्छता फैलाएंगे
#कविता

harishkumar6240

👇Save Your Friend's Status👇
#H_R

er.hr.731220

Good afternoon

kattupayas.101947

ये घोर कलयुग हे रे बाबा
😜😜😜😜😜🤣🤣🤣🤣

jighnasasolanki210025

आपके हाथ पर मेरा सिर रखने दो
मेरा हाथ आपके सिने पर रख लो
मुझे नींद गजब की आ रही हैं जनाब
बस मुझे ऐसे ही सोने दो।।

bita

> जब तुम अपने शब्दों की शक्ति को समझ जाते हो,
तो तुम यूँ ही कुछ भी नहीं बोलते।

जब तुम अपने विचारों की शक्ति को समझ जाते हो,
तो तुम यूँ ही कुछ भी नहीं सोचते।

और जब तुम अपनी उपस्थिति की शक्ति को समझ जाते हो,
तो तुम यूँ ही कहीं भी नहीं होते।

अपनी कीमत जानो।

ritu5403

good morning ❣️

mrsfaridadesar

सितारों के जहां को छू आय
श्रीमान शुभांशु शुक्ला।
आकर बताया
सारे जहां को
उस जहां से
इस जहां में
सबसे सुंदर दिखता हैं
मेरा हिंदुस्ता।।

bita

This year, Dada Bhagwan’s Guru-Purnima 2025 was celebrated at Jacksonville, USA with great devotion and enthusiasm, including a Special Darshan, Bhakti, a cute GNC Parade, and much more in the pious presence of Pujyashree Deepakbhai.

To read more about the Guru Purnima celebration, click here: https://dbf.adalaj.org/5LBtfMCX

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dadabhagwan1150

ഓർമ്മയിലെ നിഴൽ


മങ്ങിയ സാന്ധ്യവെളിച്ചത്തിൽ,
ഒരു രൂപം മാഞ്ഞുപോയി.
അകലെ എങ്ങോ മറഞ്ഞുവോ,
ഓർമ്മകൾ മാത്രം ശേഷിച്ചുവോ?
ഒരു ചിരി, ഒരു വാക്ക്,
ഇരുമിഴികളിലെ സ്നേഹം.
ഇനിയില്ല തിരികെ, ഒരിക്കലും,
നിഴലായ് നീ മാഞ്ഞുവല്ലോ.
ഓരോ ദിനവും തേങ്ങുന്നു ഞാൻ,
നിൻ ഓർമ്മയിൽ അലിയുന്നു.
എങ്കിലും അറിയുന്നു, നീയെൻ ഹൃദയത്തിൽ,
ഒരു നോവായ് എന്നും ജീവിപ്പു.
മഴത്തുള്ളിയായ് നീ എൻ കവിളിൽ,
തഴുകുന്നുവോ മെല്ലെ?
കാറ്റായ് നീയെൻ കാതിലോതുന്നുവോ,
"ഞാൻ നിനക്കരികിലുണ്ട്"?
കാണാതായത് വെറും ശരീരമാണ്,
ആത്മാവ് മായാതെ എന്നും.
എൻ ഹൃദയത്തിൻ കോണിലെങ്ങോ,
നീ ഒരു നോവായ് ജീവിക്കുന്നു.

✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്

statusworld100748

અષાઢી સાંજના અંબર ગાજે,
વાદળો ઘેરાય, ઝરમર વરસે,
ઝાડની ડાળે કોયલ કૂજે,
મોરની માંડી નીલી લહેરાય.હવામાં ઠંડક, ધરતી ભીંજાય,
પવનની લહરી મનને ભજાય,
અષાઢી રાતે ચાંદની ઝળકે,
દિલના તારે સ્વપ્નો સજાય.

nidhi546142

સાવરે વેલા ઊઠીએ રાતે વેલા સુઈયા મન બુદ્ધિ ને ધન વધે સુખ માં રહે શરિર....

nidhi546142

બાળપણમાં આપણે ૧ રૂપિયો મેળવીને ખુશ થતા હતા પણ આજે ૧૦૦૦ રૂપિયા મેળવીને પણ ખુશ નથી થતા.

nidhi546142

*तेरे हिस्से की रोशनी*
चाहिए जो… वो वक़्त के साथ हम ढूंढ़ लेंगे,
कब से वह चाह हमारी, सनम की संग रह नहीं।

कोई जहाँ जवाब सच न रोये जाए,
ना जाने अपना वक़्त भी क्या अजीब सिलसिला प्यारा सा रह गया।

जो राम मेरे करीब से आए,
कहीं न कहीं वो हँसते हुए दम निकल रहे।

मुझे तो तेरे हिस्से में,
मेरी तक़दीर की वो रौशनी से ही चाहत है।

तेरे नाम की ख़ामोशी, अब मेरी दुआ बन गई है,
इश्क़ का जवाब, अब रब की इनायत सी लगती है।

जो पल टूटे नहीं थे, वही रूह बन गए हैं,
और जो पास थे, अब दूर से मुस्कुरा रहे हैं।
_Mohiniwrites

neelamshah6821

पिता की गोद, बेटी का संसार,
आँखों में सपने, प्यार बेशुमार।
हाथों की लकीरें, उसे संवारें,
हर कदम साथ, सपनों को उड़ाएँ।
बेटी की हंसी, पिता का गहना,
दोनों का बंधन, कभी ना सजेना।
दिल से दिल तक, प्यार का मेला।

nidhi546142

बेटी, तू है नन्हा सा सपना,
दिल में बसी, जैसे चाँद का चटकना।
तेरी मुस्कान से जगमगाए आँगन,
हर कदम तेरा, जैसे जीवन का रागन।तू है पंछी, जो उड़े गगन ऊँचा,
सपनों का पीछा करे, ना डरे रूखा।
तेरे हौसले से पहाड़ भी झुक जाएँ,
तेरी हँसी में सारी दुनिया समाए।

nidhi546142