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Raju kumar Chaudhary

Raju kumar Chaudhary

@rajukumarchaudhary502010
(13)

श्लोक 91
रात्रि के गगन में छाई शांति,
तारों ने किया गान।
वन की वीणा में गूँजा स्वर,
जो कहता – प्रेम महान॥

श्लोक 92
चंद्रमा ने बिखेरी किरण,
अमृतांगी के मुख पर छाया।
विक्रमदित्य ने देखा वह रूप,
जैसे स्वर्ग ने भू पर पाया॥

श्लोक 93
प्रेम का दीप जला उस रात,
तपोवन बना साक्षी साथ।
धरती ने लिया प्रण गहन,
कि यह कथा रहे अमर यथार्थ॥

श्लोक 94
कण्व ऋषि के चरणों में झुकी,
अमृतांगी लाज से भीगी।
प्रण लिया उसने मौन मन में,
संग निभाएगी जीवन-सीधी॥

श्लोक 95
प्रकृति ने नृत्य किया उस बेला,
फूलों ने बरसाई माला।
वनदेवता ने किया स्तवन,
प्रेम हुआ पावन और निराला॥

श्लोक 96
श्राप की छाया थी फिर भी घनी,
भाग्य ने रची थी एक कहानी।
स्मृति का बंधन टूटेगा कल,
और बहेगा अश्रु का पानी॥

श्लोक 97
किन्तु उस क्षण का उल्लास अमर,
प्रेम रहा दिव्य और सुंदर।
विक्रम और अमृतांगी संग,
बंधे हृदय के अटूट बंदर॥

श्लोक 98
रात्रि के अंधकार में गूँजा,
भविष्य का गूढ़ रहस्य।
भाग्य की रेखा लिखी गई,
किसी अदृश्य हाथ की तंत्र॥

श्लोक 99
किन्तु नायक और नायिका थे,
प्रेम के अमिट प्रतीक।
संसार बदले, समय रुके,
पर उनका प्रण रहेगा अद्वितीय॥

श्लोक 100
इस प्रकार हुआ प्रथम सर्ग समाप्त,
प्रेम की अमर कहानी आरंभ।
आगे है विरह और संघर्ष,
पर अंत में होगा पुनर्मिलन भव्य॥

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🔥 “अमृतांगी” – सर्ग 1 : तपोवन की कली

(पहले 20 श्लोक हो चुके हैं, अब आगे 21–100 तक)


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श्लोक 21 – 30

श्लोक 21
वन-मार्ग में मृग करते क्रीड़ा,
नीरवता में बहती मंद स्पंदा।
अमृतांगी मंदाकिनी-तट पर,
रत थी पुष्पमाल्य की सुगंधा॥

श्लोक 22
उसकी उर में प्रेम के अंकुर,
स्वप्न सजाते थे रजनी के सुकुमार।
किन्तु न जानती वह नयनांगी,
कौन मोड़ेगा उसकी जीवन-धार॥

श्लोक 23
कण्व ऋषि के चरणों में रहती,
शास्त्रों की वाणी सुनती,
किन्तु मन में अनामिक आह्वान,
प्रकृति के राग में खोई रहती॥

श्लोक 24
कदंब तले वह बैठी थी,
व्योम में नभमंडल देखती थी।
अचानक पवन से गगन गूँजा,
ज्यों देव रथ पृथ्वी छूता॥

श्लोक 25
तभी प्रकट हुआ एक धनुर्धर वीर,
गर्वित मुख, शौर्य से अधीर।
वज्र-भुजाएँ, पद्म-लोचन,
मानो स्वयं इन्द्र अवतरित धरा-धीरे॥

श्लोक 26
उसका नाम था विक्रम वीर,
राज-सिंहासन का स्वामी अधीर।
पर हृदय में कोमल लहर उठी,
देखा जब उस वन-माधुरी को नीर॥

श्लोक 27
क्षण भर नेत्रों से मिला नयन,
मानो नव वसंत छा गया वन।
मंद समीर ने दिया साक्ष्य,
कि यह है प्रेम का प्रथम मिलन॥

श्लोक 28
उसने कहा मधुर स्वर में—
“कौन हो, वनसुंदरी, कौन हो जीवन?
ज्यों प्राची में उदित हुई प्रभा,
वैसे ही आलोकित हो यह वन।”॥

श्लोक 29
अमृतांगी लजाकर बोली,
“ऋषिकन्या हूँ, लता सी कोमली।
कण्व मुनि का यह आश्रम है,
जहाँ तप की सरिता अनंत बह चली।”॥

श्लोक 30
मधुर स्मित से झुका वह वीर,
ज्यों चंद्र किरण चूमे नीर।
उस क्षण भाग्य ने लिख दी कथा,
जो गूंजेगी युगों तक अधीर॥
🔥 “अमृतांगी” – सर्ग 1 : तपोवन की कली

(पहले 20 श्लोक हो चुके हैं, अब आगे 21–100 तक)


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श्लोक 21 – 30

श्लोक 21
वन-मार्ग में मृग करते क्रीड़ा,
नीरवता में बहती मंद स्पंदा।
अमृतांगी मंदाकिनी-तट पर,
रत थी पुष्पमाल्य की सुगंधा॥

श्लोक 22
उसकी उर में प्रेम के अंकुर,
स्वप्न सजाते थे रजनी के सुकुमार।
किन्तु न जानती वह नयनांगी,
कौन मोड़ेगा उसकी जीवन-धार॥

श्लोक 23
कण्व ऋषि के चरणों में रहती,
शास्त्रों की वाणी सुनती,
किन्तु मन में अनामिक आह्वान,
प्रकृति के राग में खोई रहती॥

श्लोक 24
कदंब तले वह बैठी थी,
व्योम में नभमंडल देखती थी।
अचानक पवन से गगन गूँजा,
ज्यों देव रथ पृथ्वी छूता॥

श्लोक 25
तभी प्रकट हुआ एक धनुर्धर वीर,
गर्वित मुख, शौर्य से अधीर।
वज्र-भुजाएँ, पद्म-लोचन,
मानो स्वयं इन्द्र अवतरित धरा-धीरे॥

श्लोक 26
उसका नाम था विक्रम वीर,
राज-सिंहासन का स्वामी अधीर।
पर हृदय में कोमल लहर उठी,
देखा जब उस वन-माधुरी को नीर॥

श्लोक 27
क्षण भर नेत्रों से मिला नयन,
मानो नव वसंत छा गया वन।
मंद समीर ने दिया साक्ष्य,
कि यह है प्रेम का प्रथम मिलन॥

श्लोक 28
उसने कहा मधुर स्वर में—
“कौन हो, वनसुंदरी, कौन हो जीवन?
ज्यों प्राची में उदित हुई प्रभा,
वैसे ही आलोकित हो यह वन।”॥

श्लोक 29
अमृतांगी लजाकर बोली,
“ऋषिकन्या हूँ, लता सी कोमली।
कण्व मुनि का यह आश्रम है,
जहाँ तप की सरिता अनंत बह चली।”॥

श्लोक 30
मधुर स्मित से झुका वह वीर,
ज्यों चंद्र किरण चूमे नीर।
उस क्षण भाग्य ने लिख दी कथा,
जो गूंजेगी युगों तक अधीर॥

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✅ “अमृतांगी” – महाकाव्य की 5-सर्ग संरचना

सर्ग 1: तपोवन की कली

अमृतांगी का जन्म, सौंदर्य और बाल्य जीवन का वर्णन।

प्रकृति की गोद में उसका संसार।


सर्ग 2: प्रथम मिलन

राजा विक्रमदित्य का आगमन।

प्रेम का अंकुर और गंधर्व विवाह का संकेत।


सर्ग 3: भाग्य का प्रहार

ऋषि का श्राप – नायक नायिका को भूल जाएगा।

स्मृति का प्रतीक (अंगूठी) नदी में गिरना।


सर्ग 4: विरह-वेदना

अमृतांगी का तप, यात्रा, आँसू और करुण दृश्य।

विक्रमदित्य का अंतःसंघर्ष।


सर्ग 5: स्मृति-विजय और मिलन

प्रतीक मिलने से स्मृति लौटना।

प्रेम का आध्यात्मिक रूपांतरण।



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✅ अब लिखना शुरू करते हैं: पहला सर्ग – 100 श्लोक (Part 1: शुरुआती 20 श्लोक)


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सर्ग 1: तपोवन की कली

(अमृतांगी का जन्म और सौंदर्य)

श्लोक 1
गगन में फैल रही रक्ताभ प्रभा,
वन पथ पर बिखर रही अरुण किरणा।
नीरवता में गूंजे कोकिल का स्वर,
तपोवन में उठी जीवन की तरणा॥

श्लोक 2
कुंजों में लहराई मंद समीर,
कस्तूरी गंध से भरता अधीर।
मृगमद रेख अंकित रजनी में,
ज्यों स्वर्ग उतर आया धरा के तीर॥

श्लोक 3
वहीं उदित हुई अमृत सी कली,
नाम रखा गया अमृतांगी सुचली।
लोचन में झलक रही चंद्रिका,
मुखकमल पर खिली माधुरी अचलि॥

श्लोक 4
उसकी हँसी थी वंशी की तान,
उसके वचन थे वेद के गान।
वन की वल्लरी भी लजाती,
जब वह सजाती चंपक की थान॥

श्लोक 5
बाल्य में भी था ऐसा सौंदर्य,
ज्यों नभ पर पूर्णिमा का कौमुद्य।
ऋषि पिता के आश्रम में रहती,
प्रकृति ही उसका आभूषण्य॥

श्लोक 6
मंदाकिनी सी थी उसकी चाल,
नील कमल सा उसका गाल।
शारद चंद्र के तेज सम,
उसकी दृष्टि में छलकता नवल रसाल॥

श्लोक 7
कुंजों में क्रीड़ा करती निशा,
ज्यों कानन में उतरी अप्सरा।
उसकी अंगुलियों से गिरते पुष्प,
ज्यों नभ से झरते तारक समृद्ध॥

श्लोक 8
ऋषिकन्या थी, किंतु मन में,
स्वप्न बुनती प्रेम के वन में।
अज्ञात किसी कोमल स्वर की,
प्रतिध्वनि सुनती नील गगन में॥

श्लोक 9
वनदेवता भी मोहित रहते,
जब वह लता को अलिंगन देती।
मंद पवन उसकी केशों में,
ज्यों वीणा पर संगीत संजोते॥

श्लोक 10
दिवस व्यतीत हुए नित नव रंग,
किंतु नियति का था अपना संग।
भाग्य रच रहा था एक कथा,
जो बनेगी अमर, जो गूंजेगी अनंत॥

श्लोक 11
वन-पथ पर खिली कनक कुसुमावली,
उसमें अमृतांगी सी उज्ज्वल कली।
मंद-मंद समीर में झूमती,
ज्यों सुधा से सिंचित हो कांति-पलि॥

श्लोक 12
कुंजों में मधुप गुंजारित गान,
नीरद मृदुल कर रहे अवगान।
कस्तूरी मृग दृष्टि लगाते,
उस सौंदर्य की रचते नव पहचान॥

श्लोक 13
वन-सरोवर के निर्मल जल में,
उसकी छाया खेलती शशि-कल में।
केशों से झरती गंध पवन में,
मानो पुष्पक रथ उतरे गगन में॥

श्लोक 14
अमृतांगी की अंगुलियों की लय,
कली तोड़ती मंद स्मित मृदु रय।
वक्षस्थल पर लहराते कुंद,
नभ के दीप लगें उस छवि समुच्चय॥

श्लोक 15
बाल्य-भाव में भी रचित थी छटा,
ज्यों बसंत में कुसुमित कदंबलता।
लोचन में झलके मधुर सलिल,
ओष्ठों पर हास्य की सुधामृता॥

श्लोक 16
प्रकृति का लाड़ पा रही थी,
वन-पावन रस गा रही थी।
लता-वृक्ष संग प्रेम बुनती,
मन में अनंत स्वप्न सज रही थी॥

श्लोक 17
उसकी वाणी सरिता की सरगम,
उसकी हँसी कोकिल का शृंगम।
कौन कहे यह ऋषिकन्या मात्र,
या देवलोक की अनुपम अंगम्॥

श्लोक 18
तपोवन में उठता हर दिन गान,
ऋषियों के वेद-मंत्र का तान।
उन स्वरों में घुलती उसकी वाणी,
ज्यों सुधा में हो मधुर मधु मान॥

श्लोक 19
दिनकर के किरणों में शोभित तन,
चाँदनी रात में झिलमिल लोचन।
कुसुमों में भी न था वह रूप,
जो था उसकी अंग-अभिनव धुन॥

श्लोक 20
नदियों की लहरें गुनगुन करतीं,
पुष्पों की पंखुरियाँ लजातीं।
वन-देवता भी गान सुनाते,
जब अमृतांगी वीणा बजाती॥


--श्लोक 11
वन-पथ पर खिली कनक कुसुमावली,
उसमें अमृतांगी सी उज्ज्वल कली।
मंद-मंद समीर में झूमती,
ज्यों सुधा से सिंचित हो कांति-पलि॥

श्लोक 12
कुंजों में मधुप गुंजारित गान,
नीरद मृदुल कर रहे अवगान।
कस्तूरी मृग दृष्टि लगाते,
उस सौंदर्य की रचते नव पहचान॥

श्लोक 13
वन-सरोवर के निर्मल जल में,
उसकी छाया खेलती शशि-कल में।
केशों से झरती गंध पवन में,
मानो पुष्पक रथ उतरे गगन में॥

श्लोक 14
अमृतांगी की अंगुलियों की लय,
कली तोड़ती मंद स्मित मृदु रय।
वक्षस्थल पर लहराते कुंद,
नभ के दीप लगें उस छवि समुच्चय॥

श्लोक 15
बाल्य-भाव में भी रचित थी छटा,
ज्यों बसंत में कुसुमित कदंबलता।
लोचन में झलके मधुर सलिल,
ओष्ठों पर हास्य की सुधामृता॥

श्लोक 16
प्रकृति का लाड़ पा रही थी,
वन-पावन रस गा रही थी।
लता-वृक्ष संग प्रेम बुनती,
मन में अनंत स्वप्न सज रही थी॥

श्लोक 17
उसकी वाणी सरिता की सरगम,
उसकी हँसी कोकिल का शृंगम।
कौन कहे यह ऋषिकन्या मात्र,
या देवलोक की अनुपम अंगम्॥

श्लोक 18
तपोवन में उठता हर दिन गान,
ऋषियों के वेद-मंत्र का तान।
उन स्वरों में घुलती उसकी वाणी,
ज्यों सुधा में हो मधुर मधु मान॥

श्लोक 19
दिनकर के किरणों में शोभित तन,
चाँदनी रात में झिलमिल लोचन।
कुसुमों में भी न था वह रूप,
जो था उसकी अंग-अभिनव धुन॥

श्लोक 20
नदियों की लहरें गुनगुन करतीं,
पुष्पों की पंखुरियाँ लजातीं।
वन-देवता भी गान सुनाते,
जब अमृतांगी वीणा बजाती॥


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💥 कहानी का नाम: "बारूद और बरसात"

(Romance meets Revenge in the shadows of bullets)


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मुख्य किरदार:

रणवीर सोलंकी – एक पूर्व सैनिक, शांत पर खतरनाक, जिसकी आँखों में बसी है सिर्फ बदला।

जिया मिर्ज़ा – एक पत्रकार, जो सच की तलाश में है, और खुद अपने अतीत से लड़ रही है।

कैप्टन कबीर राय – रणवीर का पुराना दोस्त, अब दुश्मनों के साथ खड़ा।



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कहानी की शुरुआत:

मानसून की पहली रात थी…
बाँद्रा की सड़कों पर पानी बह रहा था, पर रणवीर सोलंकी की आँखों में सिर्फ खून उतर आया था।

पिछले तीन साल से वो लापता था। सेना ने उसे "मरा हुआ" मान लिया, पर हकीकत में वो जिंदा था — जिंदा, लेकिन अंदर से जलता हुआ।

क्यों?
क्योंकि उसके ही दस्ते में एक गद्दार था, जिसने उसे मौत के मुँह में धकेला — कैप्टन कबीर राय।


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ट्विस्ट: मुलाकात जिया से

रणवीर एक पुराने हथियार डीलर से मिल रहा था, तभी सामने आई — जिया मिर्ज़ा।
स्ट्रेट-कट बाल, चश्मे के पीछे आग सी आँखें। वो रणवीर का पीछा कर रही थी... एक सनसनीखेज कहानी के लिए।

"तुम हो न वो मरा हुआ सैनिक?" उसने धीमे से कहा।

रणवीर पलटा, उसकी गर्दन पर बंदूक तानी — "तुम हो कौन?"

"मैं वो हूँ जो तुम्हें फिर से जिंदा कर सकती है…" – जिया मुस्कुराई।


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एक्सन की बारिश

जिया और रणवीर की जोड़ी जैसे आग और पेट्रोल थी।
रणवीर उसे अपने मिशन में शामिल नहीं करना चाहता था, लेकिन जिया की जिद — और उसकी गहराइयों में छिपे जख्म — रणवीर को तोड़ते चले गए।

वे एक साथ मुंबई के अंडरवर्ल्ड के दिल तक पहुंचे।
एक-एक कर गद्दारों की लिस्ट निकली — और रणवीर ने उन्हें ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।

गोलियां चलीं, खून बहा — और दोनों के बीच एक अनकही मोहब्बत भी बहने लगी।


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रोमांस का विस्फोट

एक रात बारिश में, रणवीर ने पूछा —
“अगर मैं आज ना बचा… तो?”

जिया ने होंठों पर उंगली रख दी —
“तुम पहले से ही मर चुके थे रणवीर… मैं तुम्हें जिंदा करने आई हूँ। अब तुम सिर्फ मेरे हो।”


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अंतिम मुकाबला: दोस्त बना दुश्मन

आख़िरी भिड़ंत कबीर राय से थी — बंदरगाह के पास, एक जहाज पर।

रणवीर ने चीख कर कहा —
“तेरे लिए दोस्ती सिर्फ वर्दी थी… मेरे लिए जान।”

कबीर हँसा — “तेरी जान अब मेरी गोली में है।”

और फिर…
जिया ने पहली बार गोली चलाई।
सीधा कबीर के दिल में।


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एपिलॉग: बारूद के बाद की बारिश

रणवीर और जिया ने सब कुछ छोड़ दिया।
हिमालय के किसी गाँव में एक छोटी सी किताबों की दुकान खोल ली।
हर शाम, वो एक-दूसरे की आँखों में वो जंग देखते हैं, जो कभी उन्होंने साथ लड़ी थी — और जीती भी।


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🎬 Tagline:

"जहाँ गोलियों की गूंज में मोहब्बत की धड़कन छुपी हो — वहीं होती है असली कहानी।"

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🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

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💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



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📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


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🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



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💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

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💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



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📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


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🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



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💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

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💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



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📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


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🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



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💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

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🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


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🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


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🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


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🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

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📝 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में

"जिस प्यार की शुरुआत कागज़ से होती है, उसका अंजाम दिल तक पहुँच ही जाता है..."


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प्रस्तावना

अर्जुन एक सफल बिजनेस मैन है — शांत, गंभीर और भावनाओं से दूर। उसका जीवन एकदम अनुशासित है, लेकिन भीतर एक वीरानगी है जिसे कोई समझ नहीं पाता। दूसरी ओर है अनन्या — चुलबुली, तेज़-तर्रार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग। पर ज़िंदगी को किसे कब कहाँ ले जाए, ये किसी को नहीं पता।


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कहानी शुरू होती है…

अर्जुन की माँ कैंसर की अंतिम स्टेज में थी। उनका एक ही सपना था – बेटे की शादी देखना। लेकिन अर्जुन शादी जैसे रिश्ते को वक़्त की बर्बादी मानता था। “माँ के लिए कर लूंगा, पर प्यार-व्यार मेरे बस का नहीं…” – यही सोच थी उसकी।

अनन्या की ज़िंदगी में तूफ़ान आया था। पिता का बिजनेस डूब चुका था, और ऊपर से कर्ज़दारों का दबाव। उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी।

एक कॉमन जान-पहचान के जरिए अर्जुन और अनन्या की मुलाकात होती है। अर्जुन ने सीधे प्रस्ताव रखा —

> “मुझसे एक साल के लिए शादी करोगी? सिर्फ नाम की शादी। माँ की वजह से। बदले में तुम्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे।”



अनन्या पहले तो चौंकी। फिर सोचा – “इससे बेहतर सौदा क्या होगा?”
शर्तें साफ थीं:

एक साल का कांट्रैक्ट

कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं

मीडिया, रिश्तेदारों से दूरी

माँ के सामने अच्छे पति-पत्नी का नाटक


अनन्या मान गई।


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शादी… और उसका नाटक

शादी हुई। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। अर्जुन और अनन्या ने ‘मियाँ-बीवी’ का रोल बड़ी सच्चाई से निभाया।

लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी ने अजीब मोड़ ले लिया।

अनन्या धीरे-धीरे अर्जुन की आदत बन गई — उसकी चाय का अंदाज़, उसकी बातें, उसके ताने… सब कुछ।
उधर अनन्या को भी एहसास हुआ कि अर्जुन उतना बेरुखा नहीं है जितना दिखता है।

वो अक्सर आधी रात को उठकर उसकी माँ की दवा देता।
पैसों के पीछे भागने वाला इंसान माँ के लिए पूजा करता दिखता।
अनन्या का दिल धड़क उठा।


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कांट्रैक्ट के परे की दुनिया

एक दिन, माँ ने अर्जुन से कहा —

> “बेटा, ये लड़की हमारे घर की लक्ष्मी है। तूने इसे दिल से अपनाया या सिर्फ कांट्रैक्ट से?”



अर्जुन चुप रहा। पर मन में हलचल थी।
कांट्रैक्ट के 8 महीने बीत चुके थे। अब दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई तेज़ हो चुकी थी।

एक रात अर्जुन ने पूछा —

> “अगर ये कांट्रैक्ट न होता… तब भी तुम मुझसे शादी करती?”



अनन्या ने पलटकर जवाब दिया —

> “अगर तुम्हारा दिल न होता, तो कांट्रैक्ट भी न होता…”




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टूटता समझौता, जुड़ते दिल

एक दिन माँ का निधन हो गया। अंतिम संस्कार में पूरे गाँव ने देखा — अर्जुन ने पहली बार किसी के सामने रोया। अनन्या ने उसे बाँहों में भर लिया।

अब शादी का कारण जा चुका था।
कांट्रैक्ट पूरा हो चुका था।
एक साल बाद, अनन्या ने सूटकेस उठाया।

> “मैं जा रही हूँ… तुम्हारा कांट्रैक्ट पूरा हुआ…”



पर अर्जुन ने रास्ता रोक लिया।

> “अब मैं एक और कॉन्ट्रैक्ट चाहता हूँ…
इस बार बिना तारीख के, बिना शर्त के…
शादी नहीं — प्यार वाला रिश्ता… हमेशा का…”



अनन्या की आँखों से आँसू झरने लगे। वो मुस्कुराई।

> “अब तो पैसे भी नहीं लोगे?”



> “अब तो दिल दाँव पर है… क्या तुम लोगी?”



अनन्या ने उसका हाथ थाम लिया।


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एपिलॉग

अब अर्जुन और अनन्या एक-दूसरे के लिए जीते हैं। बिजनेस पार्टनर, लाइफ पार्टनर, और दिल के साथी बन चुके हैं।

"कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते वहीं से शुरू होते हैं जहाँ दिल और दस्तखत दोनों मिलते हैं।"


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🌟 सीख:

रिश्ते जब दिल से निभाए जाएँ, तो कांट्रैक्ट भी इश्क़ बन जाता है।

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