#Balance wen be given Preference
By all means & act den no need of
Any reference in any circumstance..!!
My Soulful Poem ...!!!
क़हत रब बंदे से गर मिलना रब से है
तो नादान मन की ही गहराई छानिए
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नायाब-औ-लाजवाब मोती कभी
समंदरों के किनारों पर न कभी मिले हैं
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सोचो तो अल्फ़ाज़ ही बात करते हैं
एहसास तो ज़ख़्म के गहरेपन छूते है
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फ़िज़ामें उड़ते बाज़ भी नज़र रखते है
गिज़ा फ़लक से ज़मीँ पे ढूँढ लेते हैं..
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कुवँत तो इन्सानी बशर भी रखते हैं
मकाँसे ला-मकाँ ख़यालसे तय करते है
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समझ की परवाज़ भी अजीब है आए
तो पलमें ना आए तो जीदगीं भी कम है
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प्रभुजी भी सच में महान रचयिता है
राईके दाने-सी कीकीमें जहाँ समाएँ है
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यारों चाल उलटीं ढाई अक्षर प्रेम की
डूबा सो पार, किनारे तो ख़ाक छाने हैं
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दिसे ना ही तन की ऑंख से प्रभु पर
मन की ऑंख से तो साक्षात्कार करें है
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गिज़ा=ख़ुराक, कुवँत=हुनर
मकाँ से ला-मकाँ=हद से बेहद
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