शिक्षक दिवस पर
शिक्षा का मंदिर जहाँ, सबको मिलता ज्ञान।
देवतुल्य शिक्षक रहें, हरते हर अज्ञान।।
शिक्षा वह अनमोल धन, जीवन भर का साथ।
लक्ष्मी जी का वरद हस्त,जग का झुकता माथ।।
मानव के निर्माण में, शिक्षक रहा महान।
बचपन को संयोजना, नव पीढ़ी को ज्ञान।।
शिक्षक की कर वंदना, सुदृढ़ बने समाज।
शिक्षित मानव ही गढ़े, नैतिक-धर्म-सुराज ।।
ज्ञान और विज्ञान से , भरता प्रखर प्रकाश।
मानव हित को साधकर, करे तिमिर का नाश।।
शिक्षा पाने के लिए, मानव गया विदेश।
थाह नहीं भंडार का, है अमूल्य विनिवेश।।
शिक्षित मानव देश की, नींव करे मजबूत।
रखे सुरक्षित देश को, बुने प्रगति के सूत।।
मनोजकुमार शुक्ल मनोज