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मै मन से कह रही हूँ! मै भावना से कह रही हूँ! मै विचार कर कह रही हूँ ! मै लिख कर कह रही हूँ ! “मैने सदैव अपना अहित सोचा है मुझे सोचना नहीं आता इसलिए तु सोचना मेरे लिए माँ तु जो सोचना वही करना 🕉🙏✡️❤🙌✡️
सम्मान स्नेह प्रेम यह आधार बिन्दु पर टिके होते हैं ऊपरी हिस्सा चाहे जितना ही ऊँचाई ग्रहण कर ले आधार के हटते ही इनका धराशायी हो जाना स्वभाविक, नियमबद्ध है।। - Ruchi Dixit
है बचपन बचा कहाँ लेकर जाऊँ?? तु चाहता है कि मैं बड़ी हो जाऊँ?? बचपन में बचपन दबाया गया जो बड़े होके आजाद होने को हैं जो तु चाहता है कि फिर से कैद कर आऊँ? बचा जो है बचपन कहाँ लेकर जाऊँ?? समझ सब ही चाहें समझ की घड़ी है मासूमियत भला किसको पड़ी है है जीवन यही क्या नीरस बिताये,, बचा जो है बचपन कहाँ छोड़ आयें?? - Ruchi Dixit
समस्या के स्तर को समझना जरूरी है। वास्तव में समस्याये इतनी बड़ी भी नहीं होती जितना हम उन्हें निरंतर सोचकर बल देकर करने लगते हैं।। - Ruchi Dixit
झूठ की कलछी से काले पतीले से सच को निकालते हुए न्याय की दाल जलकर आधी से समाप्त हो जाती है। यहीं सुधार का पहिया क्षतिग्रस्त, रूका हुआ है। - Ruchi Dixit
जिस संबन्ध की प्रेरणा हृदय से प्राप्त हो विकल्प रहित हो वह बाह्य दृष्टि से साधारण प्रतीत होता है किन्तु उसकी जड़े बहुत गहरी होती है। ---अन्तर्मन - Ruchi Dixit
विचार बदलते हैं भावनायें भी ! कभी श्रृंगार करके मचलती हैं एक नन्ही बालिका के मन की तरह एक युवती का नुपुर लेकर। कभी बीहड़ सी त्यागने को हो जाती आतुर। नही बदलता तो तु, तुझमे सम्मालित भावनायें। हर इच्छा तुझतक ही तुझपर ही स्थित होकर मिल जाना चाहती हैं अस्तित्व के विलय, अस्तित्व तक।। - Ruchi Dixit
उन शब्दों को समेट लेना ही बेहतर है जिनमें मन को सुकून बल न हो, लगे औपचारिक महत्वहीन समस्या का उनसे कोई हल न हो। - Ruchi Dixit
शान्त और अनुकूल परिस्थिति में उत्पन्न जीवित विचार प्रतिकूल परिस्थितियों मे उत्पन्न प्राण द्यूत विचार से हमे बचाने का प्रयास करते हैं। जरूरत है तो साहस के साथ उन विचारों को सम्मान देना।। - Ruchi Dixit
जो हुआ अच्छा हुआ । जो हो रहा है अच्छा हो रहा है। जो होगा अच्छा होगा । क्योंकि माता- पिता ( माँ जगदम्बा) कभी भी अपनी संतान के विरुद्ध कुछ नही करती। प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वीकार करना कठिन है किन्तु इससे सरल जीवन मे कुछ नहीं है। - Ruchi Dixit
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