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Ruchi Dixit

Ruchi Dixit Matrubharti Verified

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घर फूंक कर क कर जाने वाले से खत्म हो मोह
मेरा भी जो मैं नहीं तो तु भी नही ।।

- Ruchi Dixit

है प्रार्थना बस इतनी ही
जो तेरे भीतर हो वह तुझे मिले
तुझमे मेरा होना न होना यह दूसरी बात है ।
मेरे भीतर तेरा ठिकाना तब तक रहे
जब तक मै तेरे भीतर होऊँ तु मेरे भीतर रहे ।
- Ruchi Dixit

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झूठे हाथ पैरो से प्रयास मेरा !!!
झूठी बुद्धि मन का साथ मेरा !
हारी, हार जाऊँ संभवतः
हटाना मत सामर्थ्य तुम जीत
का अपनी ।।
- Ruchi Dixit

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सब खत्म है??
यह कैसा द्वन्द्व है?
खत्म होकर क्या होगा?
खत्म होकर भी क्या कुछ बचेगा ???
- Ruchi Dixit

नारी का सिंगार !
नख से लेकर शिख तक
परा शक्तियों को जागृत
करने का साधन हैं ।
जिसे मातृ दैहिक दृष्टिकोण देकर
निम्न कर दिया गया है ।। - Ruchi Dixit

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यह देह अन्न से बनी है ।
इस देह में एकाग्रमन से
किया गया भगवद्नाम जाप
महापितर परब्रह्म परमात्मा को
अर्पण करने से सभी पितर संतुष्टि
को प्राप्त होते हैं ।।
- Ruchi Dixit

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एक क्षण अर्पण के लिए हमे
जन्मों-जन्म लग जाते हैं ।
उसी एक क्षण के लिए
जन्मों-जन्म पाते हैं ।।
- Ruchi Dixit

विशिष्ट और महान केवल शब्द
संबोधन और साधन हैं ।
वास्तव मे अंतर प्रेरणा कर्म व्यवहार
माध्यम से परिलक्षित होने लगती है ।

- Ruchi Dixit

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संपत्ति के लोभ मे लोग निम्न से
निम्नतर हो जाते है ।।
- Ruchi Dixit

एक चरित्रहीन व्यक्ति का सबसे
पहला प्रहार चरित्र पर होता हैं ।

- Ruchi Dixit