तुमने हर बार ही मन को छूआ, जाना, समझा। जीवन के सबसे कठोर समय में भी तुम्हारी नर्म हथेलियों ने थामे रखा हाँथ मेरा बिल्कुल एक चट्टान की तरह आज भी जब खो जाता हूँ दूर कहीं अँधेरे में ...तुम्हारे अहसास, तुम्हारे शब्द, मेरी उँगली पकड़ लौटा लाते हैं। सुनो ! तुम बस यूँ ही रहना