#Rebellious /बागी
ललक ज्ञान की,
महक ध्यान की,
पर विषयों से मोह,
तभी मौन रह,
मन कहता है,
छूटे कैसे छोह?
छूटे कैसे छोह,
खोह है बड़ी भयंकर,
शिव-शिव जपता मगर,
सामने रखता कंकर।
तू कंकर का अनुरागी है,
फिर कैसा बैरागी?
तेरा मन चंचल का चंचल,
तुझे बनाता बागी।।