मुझे देख कर के धुंवा हुए , जलने वाले
*चलो ज़िंदगी से दफा हुए , जलने वाले*
शिकायत ले के एक जुगनू आया मेरे पास
*कि क्यों रौशनी से खफा हुए , जलने वाले*
जो घर मेरा जलने लगा धूँ धूँ करके तो
*सभी घर के आगे जमा हुए , जलने वाले*
मकां मैंने यूं ऊँचा कर लिया अपना देखो
*निगाहों से लापता हुए , जलने वाले*
वो किसका ही कुछ भी बिगाड़ सके बोलो तो
*अना के बिना सब फना हुए जलने वाले*--
©️ गौतम कुमार सागर