#Falgun
पिचकारी में चाह समेटे,प्रेम अबीर हथेली में।
फागुन ने रंग बिखराए ,पी मिल जाए होली में।
गलियाँ फागो से गूँजे है,ढोल मंजीरे की है धुन,
भरी भीड़ में खुद को ढूँढे ,मन में होने लगी चुभन।
कोई तो ऐसा आ जाए जो पी को लाए होली में।
फागुन ने रंग बिखराए, पी मिल जाए होली में।
सखी बोली-सब रंग रंगे हैं,पी कैसे पहचानेगी,
कहा-ह्रदय के तार जुड़े हैं,देर सामने आने की।
देख तभी कहीं अचानक बाँह पकड़ ली होली में
फागुन ने रंग बिखराए, पी मिल पाए होली में।
डॉअमृता शुक्ला