The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
#Justice बहुत अलग हूँ मैं इस दुनिया से हर किसी पर भरोसा करने से डर लगता है... इस जमाने के इंसान को पहचानने में बहुत वक्त लगता है... कोई रंग नहीं जो आसानी से घूल जाऊँ... मैं कोई धूल नहीं जो जमीं में मिल जाऊँ... अभिमान बहुत है मगर स्वभिमान से जीना है... सीता तो नहीं मगर अग्नि परीक्षा रोजाना है... हजारों दर्दो को तकिएँ तलें छोड़कर फिर से नये दर्दो से उभरना है... एक नहीं दो परिवारों को संग लेकर चलना है... एक फूल हूँ उस बगियाँ का, तोड़कर कहतें हो, कोई पीड़ा नहीं होगी तुम्हारी लाडली को... हर रोज का तुम्हारा एक ही बहाना है... दहेज तो नहीं लायी, ओर कहती है पढनें जाना है... कभी- कभी दम घुटता है इन ऊंची- ऊंची दीवारों में... खुली हवा भी कैसे खाऊं, हैवान बैठे है सडक़ों के किनारों में... अस्तित्व का पता नहीं सब गँवा बैठी है जिम्मेदारियों में... खुद की उम्र का पता नहीं उलझी बैठी है जवाबदारियों में... ...आरती सिरसाट
कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... सरेआम बेझिझक उससे ये बात पूछी जाती है... तुम नहीं जान पाओगें दर्द उसका वो लड़का है जनाब पानी से पहले उससे उसकी औक़ात पूछी जाती है... वो रो भी नहीं सकता खुल के ना वो अपने दर्द का बखान करता है, ना उससे उसकी हालत पूछी जाती है... संग अपने परिवार की जिम्मेदारियों का भार रखता है, कहाँ उससे अब अपने सपनों की बारात पूछी जाती है... कर लेता है सहन हर गम अपनों की खातिर, नाराज भी हो तो कहाँ उससे उसके आंखों की बरसात पूछी जाती है.. ~ आरती सिरसाट
#poem #love #Shayari
आरती #विश्वास
आरती,,,,
...आरती
Aarti,,,,
आरती,,,,,,
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser