*दोहा-सृजन हेतु शब्द--*
*धुंध, कुहासा, कोहरा, बर्फ, शरद
1 धुंध
धुंध बढ़ रहा इस कदर, दिखे न सच्ची राह।
राजनीति में बढ़ रही, धन-लिप्सा की चाह।।
2 कुहासा
घोर कुहासा रात भर, पथ में सोते लोग।
मानवता को ढूँढ़ते, आश्रय का शुभ-योग।।
3 कोहरा
मीलों छाया कोहरा, नहीं सूझती राह ।
प्रियतम-बाट निहारती, घर जाने की चाह।।
4 बर्फ
जमती रिश्तों में बर्फ, हटे बने जब बात।
रिश्तों में हो ताजगी, अच्छी गुजरे रात।।
5 शरद
शरद-काल मनमोहता, पंछी करें किलोल।
फूल-खिलें बगिया-हँसे, प्रकृति लगे अनमोल।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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