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मुस्कुरा कर महफ़िल सजाने का शौक मुझे भी था पर आंखों में मोती चमक ही जाते हैं जब दर्द देने वाला कोई अपना हो .... - Manshi K
अश्क देकर पूछते हो रोती क्यों हूँ मैं, तेरी लापरवाही अब मोहब्बत से ज़्यादा तकलीफ देती है,,,, - Manshi K
इंतज़ार और मैं बिल्कुल एक जैसे ही तो है, मेरे दिल का एहसास आँखों को दर्द देता है, मेरी पलकों पर अब भी तेरी यादों की परछाईं बैठी है,,, क्या तुम उन लम्हों को मिटा पाओगे क्या? अब मैं जान गई हूँ,तुम मेरे कभी थे ही नहीं,,,, - Manshi K
सुना है, हसीनाओं की महफ़िलें सजती हैं शहरों में, मगर गाँव वाला इश्क़ तो, मुस्कुराकर उम्र गुज़ार देगा,,,,, - Manshi K
तेरा जाना अब अच्छा लगने लगा है, खुद से मेरी फिर मुलाक़ात हो गई,,,, नीली स्याही में कोरे काग़ज़ से तकरार हुई, हसीन चेहरों पर मरता था वो खानाबदोश, मलाल बस इतना कि मैं फिर से तार तार हो गई,,,, - Manshi K💔
वो लौट आया, मगर अब देर बहुत हो चुकी थी, हक़ीक़त वही थी ,बस बातें झूठ की प्लेट में परोसी गई थी,,,, - Manshi K
मेरी मुस्कुराहट, दर्द से लिपटा एक लिबास है, तेरे धोखे के पार, तन्हाई ही मेरी आवाज़ है,,,,, - Manshi K
क्यों करते हो दिखावा तुम मेरे साथ होकर मुझे दर्द देकर , हजारों चेहरे पर मरने वाला मेरा अपना नहीं हो सकता,,,, मोहब्बत करने की सजा में हर रोज बोली है आंखें मेरी दिल मान चुका है, तेरे आंखों में तस्वीर किसी और की बसती है,,, - Manshi K
याद आए भी तो तुम कैसे आए ?? होठों को खामोश कर दिया आंखों को जुबां देकर ,,,, - Manshi K
वक़्त के कटघरे में खड़ी हूँ आज, तेरे खिलाफ कोई सुराग बचा नहीं,,,,, खुद को हार जाने के क़ाबिल समझकर, मोहब्बत ने मुझे सज़ा दिया कहीं,,,,,,, - Manshi K
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