Quotes by Manshi K in Bitesapp read free

Manshi K

Manshi K Matrubharti Verified

@manshik094934
(103)

दिल में तुम्हारे लिए मोहब्बत और
आंखों में इंतेजार बाकी है.....
जो बंद पड़ा है खत में दबा कई अरसों से
उसमें छुपा तुम्हारे लिए कुछ एहसास बाकी है ....
बंद आंखों में तुम्हारी तस्वीर और
ख़ामोश होठों से होना तुम्हारे लिए जिक्र बाकी है....



Manshi K

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ठीक हो मैं कैसे पूछूं?
थोड़ा नही बहुत कुछ खालीपन सा महसूस होता है
सीने में दफ़न हुए वो बेहिसाब से तकलीफे
समझूं तो आंखों में आंसू शोर मचाने लगते हैं,
ख़बर कुछ न होकर भी मालूम सब कुछ होता है,
पर उलझन फिर से वो सामने आता है,
ठीक तो होगा वो शक्स जिसे हम हरपल याद करते हैं......!!!🌹


Manshi K

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पता नहीं ये बोलूं या रूठ जाऊं मैं खुद से
हां, है मोहब्बत तो मैं क्यों झुठलाऊं....??

आंखों में नमी यूं ही भर तो नहीं आती
थोड़ा सुकून छिन जाता बाकी आपकी फिक्र
हमें चाह कर भी मुस्कुराने नहीं देता ......!!!

तारों से या चांद से तारीफ करूं आपकी
दिल तो चाहता है बन कर हवा आपसे टकरा कर गुजर जाऊं ......
पर अभी दुरियां बहुत है और उतनी ही नजदीकियां भी है जो हमें एहसासों में एक दूसरे से जोड़े रखती है .......!!!


Manshi K

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काश! आंधियों से घिरा कस्ती मेरा न होता
खुद को संभालते हुए टूट कर बिखरती तो नहीं
मासूमियत भरी अदाकारी मेरी तो न थी
थोड़ी सी नज़ाकत के साथ यूं खामोश तो न होती
बस यही तो फर्क था बंद पलकों में सब मेरा
खुली आंखों से सब बिखरा पड़ा था ,,,,,,,,


- Manshi K

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तेरे नाम से शुरू और तेरे नाम पर खत्म
मशहूर कोई ऐसा किस्सा हो ....
दिन के ख्यालात और रातों की तन्हाई में
दे जाए आंखों को बरसात
ऐसा कुछ दिल में तेरे लिए हिस्सा हो .....
न कम न ज्यादा अंधेरों में
शामिल मेरे साथ तेरा साया हो.....
जो दिन के उजालों में रहता परछाई बनकर साथ हमेशा हो .....


Manshi K

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कुछ इस तरह से बदल न जाए वक्त की घड़ी,
नुमाइश कुछ ऐसा है दिल की तेरे साथ निभाने की
मेरे हाथ में तेरा हाथ हो और सारी बातें ख़ास हो
धुंधली तस्वीर उनमें दिख रहा तेरा अक्स हो ......


Manshi K

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कोरा कागज़ तुम बन जाना
नीली स्याही से मैं तुम्हे लिखना चाहती हूं.....
प्यार , इश्क और न मोहब्बत इन शब्दों को छोड़कर
कभी न खत्म होने वाली ऐसी चाहत लिखना चाहती हूं....
बनकर हवा मैं तुमसे टकराना चाहती हूं
तो कभी बेजुबान बन तुम्हे महसूस करना चाहती हूं.....
हां कभी खत्म न होने वाली ऐसी आशिकी तुमसे मैं करना चाहती हूं.......

Manshi K

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मान लूं मैं तुम्हे कृष्ण, राधा बन तेरे संग चलूं
कांटों की राह मिले या आंखों में आंसू
बस तेरा हाथ पकड़कर तकलीफों में भी साथ निभाऊं
पलकें बंद करूं तो मुझे तुम्हारी छवि नजर आए
झुकी पलके जब उठाऊं तो हकिकत में मैं तुम्हे पाऊं....
- M K

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दिल की बीमारी भी अजीब होती है न
जिसे हम मोहब्बत कहते हैं,
पर जिसके लिए होती है उसे
उसकी कद्र नहीं होती है......
- M K

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दुनियां से परे होकर मैं
कुछ इस तरह से अपने
एहसासों को बिखेरना चाहती थी
तुम , तुम रहो और मैं खुद को
तुम में ढूंढना चाहती थी ,,,,,,
- M K

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