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Exam" यह वह शब्द हैं , जो सुनते ही ही दिन का चैन, रातों की नींद, ख्वाबों का सूकून जैसे शब्द Discnarry से ही गायब हो जाते हैं।
किसी ने कवियों पर तंज कसते हुए कहा , "कि कवियों का हकीकत से कोई तालुक नहीं होता, वे केवल कल्पनाओं में जीते है" मेरा उत्तर :- जनाब... कवि की कलम कल्पनाओं को साधन बनाकर हकीकत को जाहिर करती है.... KAUSHALYA ~
"ये कोई खण्डहर नहीं घर था" ये खण्डहर भी कभी घर🏡हुआ करते थे, यहाँ की सुबह में भी कभी रौनकें हुआ करती थी, भले ही कदम कहीं चले गए पर, कदमतालो के अहसास यही रह गए, हाँ नीम का पेड़🌳 सूख गया, पर निंबोलियो की महक रह गयी, पत्थर की सिलाड़ी थोड़ी जमीन में धंस गयी, पर आज भी उस पर बैठती हूं तो वो बचपन के लम्हें लौट आते हैं, शरीर भले ही इन खण्डहरों को छोड़कर चले गए पर *रुह* यहीं रह गयी, क्योंकि हृदय भले ही चले गए पर, धड़कने यहीं रह गयी, वो वक्त चला गया, पर वो घड़ियाँ यहीं रह गयी, इन खण्डहरों ने यादों को समेट लिया, सुरज आज भी ढलता है, और शाम होती हैं पर कहीं ना कहीं कुछ किरणें अधुरी रह जाती है, चांद🌙🌙 वही है , बस चांदनी थोड़ी सी धीमी पड़ गयी है, कुछ कहते हैं जो चले गए , उनकी धड़कनें भी यहीं है इसलिए कुछ रहस्य भी है , "पर वहम है " जिसका कोई वैद्य नहीं, उपचार नहीं, क्योंकि कभी ये भी घर था , हमेशा से कोई खण्डहर नहीं❌, मकान तो नये आबाद कर लिये, किंतु घर यही रह गया, मैंने जो ये लिखी है , वो शब्द नहीं अहसास है , और जवाब है आने वाली पीढ़ी के सवालों का कि " यह कोई खण्डहर नहीं घर🏡🏡 था", कौशल्या भाटिया मैं और मेरे अहसास
🤗🤗😊🥰school magazine🤗
my results 12th Arts🥳🥳🥰🥰😇😇
My result महेंद्र जी माचरा, भंवर जी बालियान, और मुकेश जी का मेरे घर पर आकर साफा पहनाकर और माल्यार्पण कर हार्दिक बधाई देने पर बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🙏🙏 12th Arts 97.80℅
एक बुद्धिमान बुज़ुर्ग व्यक्ति की मौत का मतलब , एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी 📘📚 का जलकर 🔥 🔥 राख़ हो जाना
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