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🤗🤗😊🥰school magazine🤗
my results 12th Arts🥳🥳🥰🥰😇😇
My result महेंद्र जी माचरा, भंवर जी बालियान, और मुकेश जी का मेरे घर पर आकर साफा पहनाकर और माल्यार्पण कर हार्दिक बधाई देने पर बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🙏🙏 12th Arts 97.80℅
एक बुद्धिमान बुज़ुर्ग व्यक्ति की मौत का मतलब , एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी 📘📚 का जलकर 🔥 🔥 राख़ हो जाना
इश्क उन्हें मुबारक जिन्हें तन्हाईयो में जीना पसंद है, हम तो शौकीन ए कामयाबी के दीवानें है 🖊️📚📘 जो चंद चाय की चुस्कियों के साथ हासिल कर लेंगे 😇😇😇😊
जो आधा है जरूरी नहीं वो अधूरा है जो काफी है जरूरी नहीं वो पूरा है
आखिर कब तक यह चुप्पी.. बेबसी....घुटन...लिहाज "आखिर कब तक?" मानसिक अंतर्द्वद की स्थिति, समाज की परिस्थिति, क्यों पहुँचती, नहीं एक चरम बिंदु पर ? वो बिंदु जहाँ लालफीताशाही न हो, अकर्मण्यता न हो रूढिवादिता न हो, विचारशून्यता न हो, संवेदनशून्यता न हो, किंतु ये परिवर्तन होगा आखिर कब तक ? जब दावेदारियों का दौर खत्म होगा और जिम्मेदारियों का दौर शुरू होगा; परंतु समाज की मनोवृत्ति तो देखिए 'आखिर मैं ही क्यों" ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ कतराते है लोग हस्तक्षेप से, आरंभ से पूर्व परिणाम निकाल लेते है, परंतु क्या पता तुम्हारी पहली ही कोशिश सफल होकर कब आखिरी बन जाए, किंतु इस कलियुग में दुर्योधन से लड़ने कृष्ण बने कौन ? नारे तो खूब लगा लेते हो कि "हम एक हैं" किंतु माफ किजिएगा हुजुर, जब मुसीबत बगल के घर में भी आये तब क्यों आह भरकर रुक जाते हो? क्यों उनके कंधे पर हाथ रखकर नहीं कहते कि "हम एक हैं" आखिर कब बंद होगा सरकारी फाइलों पर भार रखना ? क्यों इस रावण को खत्म करने कोई राम सामने नहीं आता? अब लांग भी दो इस गुनाहों की दहलीज को और गृह प्रवेश कर दो एक नवयुग में, जहां फैल जाए रोशनी नवीन विचारों के सूर्य की किंतु आखिर कब तक?
शीर्षक-एक दीपक उनके नाम का भी जलाना) एक दीपक उनके नाम का भी जलाना जो अर्धागिनी के प्यार को छोड़कर, परिवार के मोह को तोडकर, वतन को आबाद करने धरती माँ की कोख में सो गए, अब्सारो में मातृभुमि की आन का अरमान लिए, आजादी का फरमान लिये, जब खबर आजादी की सुनी , तो क्या अल्फ़ाज रहे होंगे उनके, दिवाली उनकी यादों के बिना मत मनाना, जो अपने प्रियजनों की याद बन कर रह गए, जो न अब इस पार है, न उस पार है, एक दीपक उनके नाम का भी जलाना , जिनकी बदौलत "आज हम दिवाली मना रहे है, जो उनकी तकदीरों में नहीं है, बस सामने उनके तस्वीरों में है, कब तक यूँ अकेले दिवाली मनाओंगे, क्या एक दीपक उनके नाम का नहीं जलाओगे? कौशल्या भाटिया
माँ क्या अफसाना लिखू उस माँ का जिसने खुद मुझे लिखा है, जिसने मेरे जन्म लेते ही मोहब्बत का सिर ताज रख दिया, हाँ वो कोख मेरी माँ की ही हैं जहाँ मुझे जन्नत सा सुकुन मिलता है, कायल हम नहीं सारा जाहान करता, वो माँ ही है जिसे सलाम हम नहीं सारा जाहान करता है, वो दामन मेरी माँ का ही है जो सारे दुख दर्द भुला देता है, सारे गमहों को रुला देता है, हां मां.... तेरे आफताब की रोशनी से ही तो तेरा ये चिराग जगमगाता है, दर्द ना जाने उसने कितना सहा होगा, गर्भ में जिसके मैं नौ माह रहा होगा, पहली नजर का पहला प्यार सिर्फ उस मां ने ही किया होगा, जब जन्म उन्होंने दिया मुझे , हाँ....इस गुमनाम दुनिया में उस माँ... ने ही तो नाम दिया है मुझे (कौशल्या भाटिया) Happy mother's day all of mothers
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