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বাস্তব জীবন

বিতান

নদীর বুকে পিউ পিউ করে পাখি ডাকে,
শন শন বাতাসে যেন আঁকড়ে ধরে রাখে।
বিকেলের মিষ্টি আবহাওয়া,
নদীর স্রোতে ভেসে যাওয়া জীব—
নতুন দিনের সৃষ্টির জীব।

নদীর বুক থেকে শোনা যাচ্ছে
মানব সভ্যতার গান।
তাইতো আমরা সিন্ধু নদীর তীর থেকে
পেয়েছি হিন্দুস্থান;
তাইতো ভারতবর্ষের আরেক নাম হিন্দুস্থান।

পড়ে যাক আমার লেখা—
থাকবে চিরকাল।

bitanmondal119526

✍️❤️

muskanbohra.650058

*"बहुत याद आते हैं बचपन के दिन"*

बहुत याद आते हैं बचपन के दिन,
वो काग़ज़ की कश्ती बना के पानी में बहाना,
बेमौसम बारिश में भीग जाना,
और फिर मम्मी की डांट से मुस्कुराना।

वो रंग-बिरंगे पतंग खुद से बनाना,
धागों में मनझा लगाकर छत पर चढ़ जाना,
"वो काटा!" की आवाज़ में जीत का जोश,
हर आसमान अपना लगता था उस दोपहर।

बहुत याद आते हैं बचपन के दिन…

वो लट्टू को घुमा-घुमा कर देखना,
काँच के कंचों में सारी दुनिया समेट लेना,
नीम के पेड़ पर झूला डालकर,
हवा से बातें करना, सपने बुन लेना।

ना कोई फ़िक्र थी, ना कोई हिसाब,
हर दिन ईद, हर रात ख़्वाब।

बहुत याद आते हैं वो बचपन के दिन…
सच कहूं,
वक़्त तो बड़ा हो गया,
पर दिल… अब भी छोटा ही है कहीं।

*— Naina*

nainakhan1201

🌸 માતા – ઈશ્વરનો સર્વશ્રેષ્ઠ ઉપહાર 🌸
એક દિવસ 4 વર્ષનો બાળક પોતાની મમ્મી સાથે બજારમાં જતો હતો.
રસ્તા પર ચાલતો ચાલતો તે શરારત કરતો, વારંવાર મમ્મીનો હાથ છોડતો.

મમ્મીએ પ્રેમથી કહ્યું –
“બેટા, હાથ ન છોડ, પડી જાશે.”

ત્યારે નિર્દોષ બાળક તરત જ બોલ્યો –
“મમ્મી, હું નહીં પડું… કારણ કે તું છે ને!
તું મને ક્યારેય પડવા નહીં દે.”

nensivithalani.210365

मेरे खामोश और तन्हा रहने का मतलब ये नही
कि मे हकीकत से अनजान हूँ
बस हर किसी से रूबरू होना मेरी फितरत नही .

mashaallhakhan600196

👌✍️👌

monaghelani79gmailco

मेथी डाळ वडी सांबार

☘️हा एक थोडा वेगळा पण चविष्ट प्रकार आहे

☘️साहित्य

बारीक चिरलेली मेथी एक वाटी
एक वाटी शिजवलेली तूर डाळ शक्यतो फार शिजलेली नको
बेसन पाटवड्या
फोडणी साहित्य
अर्धी वाटी डाळीचे पीठ
ठेवलेली मिरची एक मोठी
पंचफोडण.. फोडणीचे साहित्य
एक आमसूल

☘️कृती
प्रथम बेसन पाटवडी करून तयार ठेवावी


पाटवडी तयार झाली की

☘️बारीक चिरलेली मेथी मिरची सोबत पाणी घालून एका भांड्यात झाकण लावुन शिजवून घ्यावी
मेथी शिजली की त्यात शिजलेली डाळ, आमसूल मीठ व हळद घालून ढवळून शिजवावे
पाण्याचे प्रमाण आवश्यक तितके ठेवावे

☘️एक उकळी आली की
दुसऱ्या छोट्या कढईत पंचफोडण, हींग घालून लसणाचे तुकडे लाल तळून घ्यावेत
ही फोडणी उकळी आलेल्या मेथी वर ओतावी
व चांगलें मिसळून घ्यावे

☘️यात तयार पाटवडी घालून
भांडे लगेच खाली उतरवावे
कोथींबीर खोबरे घालून गरम गरम असतानाच खायचा घ्यावें
(पाट वडी घालून उकळू नये
वडी मोडण्याचा संभव असतो)
किंवा हे सांबार खाताना ऐन वेळी वडी वर मेथी डाळ घालून घेतली तरी चालते

jayvrishaligmailcom

✧ लोकतंत्र का विरोधाभास ✧

— शक्ति नहीं, समझ शासन की नींव है

✍🏻🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

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✧ प्रस्तावना ✧

लोकतंत्र को हमने आज़ादी का दूसरा नाम मान लिया,
पर आज़ादी तभी सार्थक होती है
जब मनुष्य स्वयं जागृत हो।

आज का लोकतंत्र भीड़ का उत्सव है —
पर चेतना का नहीं।
जहाँ वोट है, वहाँ विवेक नहीं;
जहाँ बहुमत है, वहाँ अक्सर सत्य अनुपस्थित होता है।

यह ग्रंथ उस मौन प्रश्न से जन्मा है —
क्या बिना जागे हुए मनुष्य,
स्वतंत्र समाज बना सकता है?

---

✧ अध्याय 1 : लोकतंत्र का विरोधाभास ✧

— जब अधिकार योग्यता से बड़ा हो जाए

लोकतंत्र सुंदर विचार था —
कि जनता अपनी नियति खुद तय करे।
पर विचार तब तक सुंदर रहते हैं
जब तक वे भीड़ के हाथों में नहीं आते।

आज सत्ता बुद्धि से नहीं,
भावना और जाति के समीकरणों से तय होती है।
एक अधिकारी को योग्यता चाहिए,
पर एक नेता को बस भीड़ चाहिए।

जब शक्ति विवेक से बड़ी हो जाए,
तो व्यवस्था तर्क नहीं — तामाशा बन जाती है।

सूत्र:

> “शक्ति नहीं, समझ शासन की नींव है।”

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✧ अध्याय 2 : राजनीति का मनोविज्ञान ✧

— सत्ता क्यों हर सच्चे को हराती है

राजनीति का केंद्र “सेवा” नहीं, “स्थिरता” है।
नेता सत्य से नहीं डरता —
वह जागी हुई जनता से डरता है।

झूठ अब पाप नहीं रहा,
वह राजनीति की अनिवार्यता बन चुका है।
भीड़ सत्य नहीं सुनना चाहती,
वह वही सुनना चाहती है
जो उसके पक्ष में लगे।

सूत्र:

> “सत्ता सत्य से नहीं डरती —
सत्य से जागी जनता से डरती है।”

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✧ अध्याय 3 : जनता का मौन ✧

— सबसे बड़ा अपराध

हर अन्याय की जड़ में जनता का मौन छिपा है।
हर बार जब कोई कहता है — “मुझसे क्या लेना?”
तब वह अन्याय को थोड़ा और जीवन दे देता है।

जनता अब क्रोध दिखाती है, पर सुविधा में सोती है।
यह मौन किसी तानाशाह से बड़ा अपराध है —
क्योंकि मौन, अत्याचार की सबसे स्थायी अनुमति है।

सूत्र:

> “जो सत्य जानकर भी चुप है,
वह झूठ से कम दोषी नहीं।”

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✧ अध्याय 4 : क्रांति ✧

— जो भीतर से शुरू होती है

हर बाहरी आंदोलन तब तक अधूरा है
जब तक मनुष्य अपने भीतर के झूठ से नहीं भिड़ता।

भीतर की क्रांति वही है
जो सुविधा को तोड़ती है
और विवेक को जगाती है।
जो खुद को जीत ले,
वह व्यवस्था को बिना छुए बदल देता है।

सूत्र:

> “बाहरी क्रांति दीवारें गिराती है,
भीतरी क्रांति सीमाएँ।”

---

✧ अध्याय 5 : नया मनुष्य ✧

— जहाँ शासन भीतर से चलता है

हर समाज अपने भीतर के मनुष्य जितना ही पवित्र है।
नया मनुष्य वही है
जो नियमों से नहीं, समझ से चलता है।
जिसका धर्म किसी किताब में नहीं,
उसके जागे हुए विवेक में है।

वह नेता या अनुयायी नहीं,
स्वयं का शासक है।

सूत्र:

> “जो स्वयं को शासन कर सके,
उसे किसी राजा की ज़रूरत नहीं।”

---

✧ उपसंहार ✧

— विवेक की वापसी

सरकारें गिरती हैं, व्यवस्थाएँ बदलती हैं,
पर सभ्यता तभी बदलेगी
जब मनुष्य भीतर से बदलेगा।

संविधान हमें अधिकार दे सकता है,
पर विवेक ही बताता है कि उनका उपयोग कैसे हो।

जब समझ लौटती है,
तो शासन भीतर से चलता है।
और तब लोकतंत्र धर्म बन जाता है —
सचेत जीवन का धर्म।

अंतिम सूत्र:

> “लोकतंत्र की रक्षा संविधान नहीं करता —
जागा हुआ मनुष्य करता है।”

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🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷?

bhutaji

जब टूटी छत, बिखर गए ख्वाब,
जब हाथों से फिसल गए सब हिसाब,
तब मत समझो कि किस्मत खत्म हुई,
बस एक नया अध्याय शुरू हुआ है जनाब।

जब खाली जेब में हवाएँ गूँजती हैं,
तब दिमाग नई राहें खोजती हैं,
धन खो जाए तो क्या हुआ,
हौसले बचे हों तो दुनिया झुकती है।

कभी मिट्टी से सोना बनाया था तुमने,
अब राख से भी उजाला करोगे,
कल गिर गए थे वक्त के थपेड़ों से,
पर आज नई सुबह में चमकोगे।

संपत्ति जा सकती है, पर सपने नहीं,
हार सकते हैं कदम, पर मन नहीं,
जो खुद पर विश्वास रखता है,
वो कंगाल होकर भी निर्धन नहीं।

========

“धन खोना दुखद है, पर आत्मविश्वास खोना विनाश है।”
इसलिए सिर ऊँचा रखो — क्योंकि असली पूँजी हम खुद है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

Jay shree Krishna 🙏🏻

hardikashar6777

અરે ઓ પાગલ,
આપણી
મુલાકાત થશે???

શું તેની
સાક્ષી કડક મીઠી
ચા થશે?

જો ચા સાક્ષી થશે.
સંબંધમાં મીઠાશ વધશે.
ચાહ હશે તો!

ચાના કપમાંથી
ગરમ વરાળ ઉડશે.
વ્યોમ ભણી.

શ્વાસમાં
તેની સુગંધ ભળશે,
એલચીના સ્વાદ જેવી.

ખરેખર, હૃદયને
તરોતાજા કરી દેશે.
તાજી ચા શ્વાસને.

જો હશે ચાહ હૈયેથી,
તો મુલાકાત થશે,
બે કપ ચાથી જ થશે.

parmarmayur6557

🙏🙏 જ્યારે શિક્ષક માતા બની ભણાવે છે,થોડી હળવી ટપલી મારી માટલા ની માફક ઘડે છે.

તે ઘડાયેલું વ્યક્તિ પોતાના વ્યક્તિત્વથી જીંદગીમાં ક્યાં કદી પાછું પડે છે.🦚🦚

👨‍🏫World teacher day 👨‍🏫

parmarmayur6557

🦋... SuNo न┤_★__
ए लड़की...तुम्हारे बिन हर बात अधूरी
लगती है, जैसे बिन चाँदनी रात अधूरी
लगती है,

लफ़्ज़ों में वो मिठास नहीं, वो रंग नहीं
जैसे बिन ख़ुशबू, कोई सौगात अधूरी
लगती है,

हां, ये अजीब है कि तुम पास भी नहीं
हो मेरे, फिर भी हर पल मेरे साथ तुम
रहती हो,

हर धड़कन में तेरा ही नाम छुपा है
जैसे, तुम साँसों की तरह मुझमें
ज़िंदा रहती हो,

तेरी याद का साया है कि दामन नहीं
छोड़ता, ये इश्क़ वो दरिया है जो
कभी मुँह नहीं मोड़ता,

ज़िधर भी देखूँ बस तेरा ही अक्स
नज़र आए,

ये जादू है तेरा, जो दिल को तन्हा
नहीं छोड़ता,

तुम दूर होकर भी, मेरे ख्यालों की
रौनक हो,

तुम ख़ामोशी में भी मेरी आवाज़ की
रौनक हो,

मेरी ज़िंदगी का हर किरदार तुमसे
मुकम्मल है,

तुम इबादत हो मेरी तुम मेरे प्यार की
रौनक हो...❤️
╭─❀💔༻ 
╨──────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
  #LoVeAaShiQ_SinGh
╨──────────━❥

loveguruaashiq.661810

🦋... SuNo न┤_★__
ए लड़की, आपकी हर बात ने इक
           नई तहकीक की,

आपसे मिल कर  मेरी  हस्ती भी
               तब्दील  की,

पहले  शब   फिर  चांदनी,  फिर
        माह-ए-ताबाँ हो गए,

रफ़्ता  रफ़्ता  आप मेरे, मेरी जाँ
                   हो गए,

पहले आवाज़ थी फिर साज़ का
                नग़मा बनी,

आपकी बातें मेरी हर एक रुदाद
                      बनी,

पहले शायद था फिर यकीं फिर
           मेरी ईमान हो गए,

रफ़्ता रफ़्ता आप मेरे, मेरे अरमान
                  हो गए,

पहले  दोस्ती  थी, फिर रूह का
               रिश्ता बनी,

हर मुलाकात में, इक नई कशिश
                  जागी,

पहले ख्वाबों में थे, फिर हकीकत
           के महफ़िल हुए,

रफ़्ता रफ़्ता आप मेरे, मेरे दरबान
                 हो गए,

पहले  खामोश थे, फिर लबों पे
            फरियाद आई,

आपकी चाहत मेरे, हर ज़िक्र में
                शाद आई,

पहले नज़रों में थे, फिर निगाहों के
              तारा हो गए,

रफ़्ता रफ़्ता आप मेरे, मेरे पहचान
               हो गए...❤️
╭─❀💔༻ 
╨──────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh
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loveguruaashiq.661810

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kattupayas.101947

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏

sonishakya18273gmail.com308865

great event

kattupayas.101947

I love books

kattupayas.101947

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kattupayas.101947

True friend

kattupayas.101947

Good morning friends

kattupayas.101947

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! यादें वादे

mamtatrivedi444291

इतना मत इतरा ..आज तू जिस जगह खड़ी है कभी
में भी वही थी। अपनी नियत साफ रख वक्त का
payaपलटते देर नहीं लगती।

sayali3998