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जिंदगी कब खत्म हो जाएगी ऐ मुझे नहीं पता फिर भी में उम्मीद बरकरार रखता हूं सब कूंच जानते हुए भी में जीने आस रखता हूं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
तेरी मीठी मीठी भोली भाली बातों में में आ गई में कूंच समझतीं उससे पहले तो में तेरे बच्चों कि मां बन गई ।। नरेन्द्र परमार ✍️
बहुत ही बदनसीब होते हैं वो लोग जो अपनी कब्र पर खड़े होकर दूसरों की निकलती जनाजों पर मज़ाक उड़ाते हैं जैसे कि वो अमर है ऐसा सारे मोहल्ले वाले को बताते हैं ।। नरेन्द्र परमार ✍️
मेरी रातों की निंद चुराकर,तुम चैन से सो गई बहुत खुशनसीब है कि, तुम मुझे ही भुल गई ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
तुम्हारी बातों से साफ़ पता चलता है कि तुम्हारा दिल गंगाजल जैसा साफ़ है ! फिर भी में,मोह किस बात का रखूंगा की ??? आखिर में,अभी नहीं तो बाद में हम-तुम राख ही तो है ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
નહોતી ખબર મને કે પ્રેમ એટલે શું ??? તમને મળ્યા પછી જ ખબર પડી કે પ્રેમ એટલે તું અને હું.... નરેન્દ્ર પરમાર ✍️
मरने वाले मर गए अमीर से गरीब तक राजा से लेकर रंक तक फिर भी न उनकी ख्वाहिश मरी न उनकी रुह ।। नरेन्द्र परमार ✍️
तुम भी बिज़ी रहेती हों हम भी बिज़ी रहते हैं फर्क इतना है कि तुम अपने काम में बिज़ी रहेती हों और हम तेरी याद में बिज़ी रहेते है ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
ऐ इश्क़ विश्क के चक्कर से हमें बहार निकलना जरूरी है जो टूरिस्ट शहीद हुए हैं पहलगाम में उनके लिए थोड़ा सा आंसू बहाना भी हमें ज़रूरी है ! आखिर में हम सब है तो एक इंसान हीं इसीलिए थोड़ी सी इन्सानियत भी हममें ज़रुरी है ।। नरेन्द्र परमार ✍️🙏😢
मुझे तेरी अनुमति चाहिए अभी तक समझीं नहीं तुम ??? मुझे तुम्हारी मोहब्बत चाहिए ।। नरेन्द्र परमार ✍️
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