आस अभी बाकी है ...................................
हाथ है खाली फिर भी आस बाकी है,
हर रात के बाद की सुबह का इंतज़ार अभी बाकी है,
बाकी है वो भी जो अब तक गुज़रा नहीं,
मिलेगा मेरे सब्र का सिला मुझे कभी ना कभी,
उपरवाले पर यकीन मेरा अब भी बाकी है ..............................
ज़िन्दा है सपने अब तक मेरी आँखों में,
बर्दाश्त की सहर अब भी बाकी है,
ऐसा कोई जुल्म नहीं हुआ हम पर,
हमारी तो फक्त इंतज़ार के ना खत्म होने की शिकायत,
अब तलक बाकी है .............................
रोशनी को रोशन करना अब भी बाकी है,
अंधेरों से लड़ने का हुनर अब भी बाकी है,
जो बचा है उसे खोना नहीं चाहते,
साहस, उम्मीद और सब्र को झूठा करार करना नहीं चाहते,
ऐ आस तू एक बार मुकम्मल तो हो जा,
बार - बार ना सही तू मेरे लिए कभी थोड़ा सा खास तो हो जा ...........................
स्वरचित
राशी शर्मा