जी ले जरा जरा.......।
तु खामोश होकर क्या जियेगा ?
तु अकेला रहकर क्या पायेगा?
तु जोकर बनकर क्यों जियेगा,
तु खुलकर तो जी ले जरा-जरा।
तु किसी का इंतजार बन जा जरा,
तु बन जा किसी की खामोशी जरा,
तु किसी की वजह बन, खुशी की जरा,
तु खुलकर तो जी ले जरा-जरा।
तु बंद कमरे सा क्यों है,
तु महसूस क्यों नही करता खुशी अपनी,
तु बिखरा बिखरा सा क्यों है,
तु खुलकर तो जी ले जरा-जरा।
तु लिख ले ना अपने नाम सारा जहा,
तु कुर्बांन क्यों कर रहा अपने पल,
तु छोड़ दे उसे जो चला गया,
तु खुलकर तो जी ले जरा-जरा।
तु रिस्की है राज मेरा,
तु जज्बात तो यू दबा मत,
तु जी ना खुलकर, उसे भूलकर,
तु खुलकर तो जी ले जरा-जरा।
भरत (राज)