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Desai Pragati

Desai Pragati

@desaipragati1108gmail.com102305
(7)

पापा की नानी अम्मा बन के उन्हें डांटने का ,
और बिगाड़ने का एक अलग ही मजा़ है ।

जो सबके लिए बड़े है सम्माननीय बस बेटी को,
उन्हें माँ बन के डांट ने का दररजा़ है ।

कहती माँ पापा से मेरी शैतानियों पर बार बार
हर बार ये आप ही के लाड़ का नतीजा़ है ।

अब किसने किसको बिगाड़ा है ये तो बाप - बेटी
के आलावा आखिरकार कौन ही समजा है ।

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की अब प्यार कही कहीना सौदा हो गया है ,,
फरवरी अब फरेबी महीना हो गया है । 🥀

जब तक मोह हो किसी पते को शाख से गिरता क्यु नही ?🥀
गिरके भी जब तक कोई कूचल न दे बिखरता क्यु नही ?🥀
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खुदके अस्तित्व को मिटते देख वो घबराता क्यु नही ? 🥀
पतझड़ का प्रेमी बसंत मै फिर से सवँरता क्यु नही ?🥀

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क्यू चुनता हे एक इंसान खुदखुशी का रास्ता?
क्या उसे किसी से नहीं रहति हमदर्दी या वास्ता ।
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न जाने कितना घुटा होगा कितनी होगी उनकी दर्द-ए- दास्ता ,
इतना बड़ा कदम उठाया होगा जब बढ़ गया होगा जिंदगी का बस्ता ।
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आसान नहीं होता निर्दोष होते हूए भी खुद को मोत की सजा देना,
ना जाने कितनी आत्माहत्याये कहती हे कईयो की कारश्ता ।

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तुम मुझे बुलाओ पुराने अवतारमे तो मै आऊ ,
वरना बस इसी दायरे मे ठहर कर रह जाऊ ।
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मुठ्ठी मे बांध ली है जैसे पुरानी शख्सियत,
बोल दे जो तु आजा़दी तो मै खोल पर आऊ ।
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नही लगता अच्छा कुछ युँ बदलके खुदको,
रोकलो इसे पहलेकी मै नई छवि घर कर आऊ।
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ख्वाहिश है या तो तुम पे पहलेसा कहर बनके ढा़उ,
या युँ हि खुल्ले आसमाँ सा खामोश शहर रह जाऊ।

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किसान
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सुबह सूरज की पहली किरन से आखिरी किरन तक काम करते किसान ।
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बहोत कश्टीया पडती पैर मे छाले तपता बदन फिर भी सदा मुस्कान ।
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किसान है ईश्वर का एक प्यारा वरदान जिसकी पूरी कायनात मानती अहेसान ।
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जिसे प्यार है पैड ,पंछी ,पौधे ,मिट्टी ,और बैल जो है ईश्वर के बनाए निशान ।
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"जगत का तात" युँ ही नही दिन रात करते काम तभी बनते तुम्हारे मीठे पकवान ।
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किसान भले ही छोटा हो लेकिन क्रुषि की महता है बड़ी तभी देश 70% क्रुषिप्रधान।

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