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Piyush Goel

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गेटवे इंस्टीट्यूट में पियूष गोयल ने छात्रों को करियर, सपनों और जीवन में निरंतरता का महत्व समझाया

गेटवे इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक श्री पियूष गोयल द्वारा एक प्रेरणादायक सत्र और प्राचीन वस्तुओं की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपने करियर और सपनों के प्रति प्रेरित करना, माता-पिता और शिक्षकों का सम्मान करने की भावना विकसित करना, तथा जीवन में निरंतरता के महत्व को समझाना था।
श्री पियूष गोयल ने अपने अनूठे अंदाज में छात्रों को प्रेरित किया और उन्हें यह संदेश दिया कि सफलता का आधार केवल प्रतिभा नहीं, बल्कि लगातार प्रयास और दृढ़ संकल्प होता है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और संघर्षों को साझा करते हुए बताया कि अगर व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।
उन्होंने छात्रों को अपने माता-पिता और शिक्षकों के प्रति सम्मान रखने की सीख दी और बताया कि उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन से ही व्यक्ति अपने जीवन में उच्च शिखर तक पहुँच सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सफलता की कुंजी निरंतरता है, और बिना रुके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना ही सच्ची सफलता दिला सकता है।
इस अवसर पर आयोजित प्राचीन वस्तुओं की प्रदर्शनी ने भी छात्रों का ध्यान आकर्षित किया। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य केवल ऐतिहासिक धरोहरों को दिखाना नहीं था, बल्कि यह संदेश देना था कि निरंतरता और धैर्य के साथ किए गए कार्य दीर्घकाल तक अपनी छाप छोड़ते हैं। प्रदर्शनी में कई दुर्लभ और ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित की गईं, जो यह दर्शाती हैं कि किस प्रकार समय के साथ भी सच्ची कृतियाँ और धरोहरें अपनी पहचान बनाए रखती हैं।
गेटवे इंस्टीट्यूट के छात्रों ने इस कार्यक्रम से गहरी प्रेरणा ली और इसे अपने जीवन में अपनाने की शपथ ली। गेटवे इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रधानचार्य डा. विनय कुमार सिंघल एवं डिरेक्टर एडमिशंस एंड प्लेसमेंट डॉ. मोहित बंसल ने श्री पियूष गोयल का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को आत्मनिर्भर और प्रेरित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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Today Published

Manoj Sinha ji के साथ.

एक बार जरूर सुन लो

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दोस्तों,मेरे से किसी ने पूछ लिया आपने श्रीमद्भगवदगीता को उल्टा( दर्पण छवि ) में लिख दिया इसको पढ़ेगा कौन?
मैने जवाब दिया वाल्मीकि जी ने मरा मरा बोला राम राम निकला,संस्कृत भाषा में रामायण लिख दी,मेरा पुरी दुनिया को संदेश हैं दर्पण छवि में लिखी श्रीमद्भगवदगीता को सीधी नहीं तो दर्पण( उल्टे शब्द ) में पढ़ लो मेरी जिंदगी बदली हैं तो आपकी भी बदलनी चाहिए,लोग पूछते रहे मैं लिखता गया और २००३ से २०२४ तक १८ पुस्तकें हाथ से लिखी गई हैं( ईश्वर के आशीर्वाद से), और दुनिया की पहली सुई से पुस्तक लिखने का सौभाग्य मिला.

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The Piyush Theorem is a theorem in geometry that relates the sides of a right-angled triangle when the sides are in arithmetic progression.
Here's a breakdown of the theorem:
Statement:
In a right-angled triangle where the sides are in arithmetic progression, the distance between the point of intersection of the median and the altitude drawn to the hypotenuse is one-tenth the sum of the other two sides (the sides forming the right angle).
Conditions:
* Right-Angled Triangle: The triangle must have one angle of 90 degrees.
* Arithmetic Progression: The lengths of the sides must form an arithmetic progression (i.e., the difference between consecutive terms is constant).
Example:
Consider a right-angled triangle with sides 3, 4, and 5 (which are in arithmetic progression). The distance between the intersection of the median and altitude to the hypotenuse will be 1/10 * (3 + 4) = 0.7.
Origin:
This theorem was discovered and proven by Piyush Goel.
Additional Notes:
* The theorem provides a specific relationship within a particular type of right-angled triangle.
* It combines concepts from geometry (right triangles, medians, altitudes) and algebra (arithmetic progressions).
If you'd like, you can ask me to explain the proof of the theorem or provide more examples.

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