Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

इस शहर में धुआँ धुआँ सा है
क्या जल रहा, ये गमाँ गमाँ सा है

​हर चेहरा यहाँ उदास क्यों है
हर शख़्स क्यों परेशान सा है
जाने किस बात का है अफ़सोस
या कोई ख़्वाब बे-ज़बाँ सा है

​हर गली में ख़ामोशी का पहरा
सन्नाटा भी अब मेहरबाँ सा है
दूर से आती हैं आवाज़ें मगर
जैसे कोई नग़्मा धँसा धँसा सा है

​अब हवा भी कहाँ वो पहले वाली
साँस लेना भी इक इम्तिहाँ सा है
ज़िंदगी पूछती है, ऐ इंसान!
ये तूने क्या हाल कर दिया है
​रात भर जागते हैं लोग यहाँ

दिन में भी हर आँख में शब-ए-ग़म है
तेरी दुनिया में क्या कमी है ‘खुदा’
फिर क्यों दिल में ये मलाल सा है
इस शहर में धुआँ धुआँ सा है।

palewaleawantikagmail.com200557

“Learn from the charger —
20% — it slows, starts saving its power, 🔋
50% — it finds balance, calm in the flow, ⚖️
100% — it stops, knows it’s enough. ✋
Life’s the same —
know when to save your peace,
when to stay steady,
and when to stop giving more than you must.” 🌙💫
- Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है🌹 रंग बेरंग

mamtatrivedi444291

મુરલીનો મધુર સ્વર છે માધવ
ભગવદ ગીતાનું મૂળ છે માધવ
આરંભ છે અને અંત છે માધવ
હારેલાંઓની તાકાત છે માધવ
સાહસ છે ને વિશ્વગુરુ છે માધવ

Mr. Mehul sonni

moxmehulgmailcom

दुनिया को “धार्मिक” लोग चाहिए — ताकि वह अपनी असुरक्षा को पवित्रता की शक्ल दे सके।
इसलिए उसने मंदिर बनाए, ग्रंथ लिखे, कर्मकांड गढ़े।
पर इन सबके भीतर एक डर छिपा है —
कि कहीं भीतर की रिक्तता उजागर न हो जाए।

धार्मिक व्यक्ति वही है जो भीतर धर्महीन है —
क्योंकि जिसे सत्य मिल गया, उसे धर्म की घोषणा की ज़रूरत नहीं।
जो भीतर मौन है, उसे नाम का सहारा नहीं चाहिए।
जो भीतर जागा है, उसे ग्रंथ नहीं चाहिए।

जब तक मनुष्य “धार्मिक” बनने की कोशिश करता है,
वह धर्म से दूर भाग रहा है।
क्योंकि हर कोशिश किसी न किसी भय की संतान है।

धर्म कर्म नहीं — दृष्टि है।
वह भीतर की साधारणता है, जो किसी पहचान से बंधी नहीं।
जब तू बस मनुष्य रह जाता है — न हिंदू, न मुसलमान, न पंडित, न भिक्षु —
तभी धर्म जन्म लेता है।

bhutaji

સરળતા ,સૌમ્યતા, સહજતા
સમજણ ,સમર્પણ નો સમન્વય
એટલે લાભપાંચમ…
-કામિની

kamini6601

માવઠું બની અણધાર્યું
વાદળ વરસ્યું
રહી ગયું હશે કદાચ કોઈ
લાગણી તરસ્યું…
-કામિની

kamini6601

સપના સુધી તો આવશો એ ધારણા હતી,*
*પણ આપ તો ખરા છો કે પાંપણમા રહી ગયા..!!✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418

🙏💐🙏💐🙏💐

monaghelani79gmailco

May the blessings of Chhath Maiya fill your life with clarity, peace, and divine light.
Let your eyes witness every color of happiness this festive season! 🌞👁️
#ChhathPuja #NetramEyeCentre #ClearVision #DivineLight

netrameyecentre

हर साल आता है एक वक़्त,
जब लगता है जैसे जीवन की सारी थकान उतर गई हो |
दिन वही होते हैं, पर वातावरण बदल जाता है...
हवा में एक पवित्रता घुल जाती है,
सूरज की रोशनी में भी एक नई आभा उतर आती है |

चार दिन के इस पर्व में
मानो पूरा संसार थम जाता है..
दुख, पीड़ा, चिंता सब कहीं पीछे छूट जाते हैं |
केवल शुद्ध भावनाएँ रह जाती हैं...
उत्साह, उमंग, और अपार प्रसन्नता |

सुबह की अरुणिमा में जब घाटों पर गीत गूंजते हैं,
तो लगता है जैसे आत्मा स्वयं गा रही हो |
साँझ का वह क्षण, जब डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है,
वो कोई सामान्य क्षण नहीं...
वो तो आत्मा और प्रकृति का संवाद होता है |

छठ केवल एक पूजा नहीं,
यह मनुष्य और प्रकृति के बीच की गहरी मित्रता है |
यह वह पर्व है जहाँ व्रत कठिन होता है,
पर मन हल्का और निर्मल होता जाता है |

कितनी ही बार जीवन में उदासी आई,
पर इस पर्व के आते ही मन फिर से खिल उठा|
क्योंकि छठ केवल आस्था नहीं,
यह शांति का उत्सव है,

जय हो छठी मईया,
तुम्हारे इस दिव्य वातावरण में
हम हर बार खुद को नया जन्म लेते महसूस करते हैं
थोड़े थमे हुए, थोड़े शांत, और बहुत आभारी |

~रिंकी सिंह✍️

लोक आस्था के महापर्व छठ की अंनत शुभकामनाएँ 😊❣️

#छठपूजा
#आस्था
#मन_के_भाव

rinkisingh917128

**ज़िन्दगी गुलज़ार हैं**

ज़िन्दगी तार-तार है,
और लोग लिखते हैं- गुलज़ार है।
धूप आधी जली हुई है,
छाँव अधूरी सी पड़ी है,
दिल की गली में धूल उड़ी है,
पर चेहरों पे मुस्कान गढ़ी है।
किताबों में मोहब्बत के किस्से हैं,
हकीकत में रोटियाँ ठंडी हैं।
जो टूटा है, वही लिखता है-
और जो लिखा है, वो कभी पूरा नहीं होता।
कोई आँसू से कविता बनाता है,
कोई ख़ामोशी से शेर,
और लोग समझते हैं-
ज़िन्दगी अब भी खूबसूरत है।
कभी सोचता हूँ,
अगर वक़्त सच में गुलज़ार होता,
तो हर दिल पर पैबंद नहीं,
एक फूल उगा होता।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

Good Morning Everyone 💐💐
Have a Good Day 🍫🍫

jighnasasolanki210025

श्रद्धा, विश्वास और आस्था : आत्मा का विज्ञान ✧

✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

श्रद्धा, विश्वास और आस्था कोई वस्तुएँ नहीं हैं —
जिन्हें खरीदा, बेचा या दान में पाया जा सके।
ये फल हैं, परिणाम हैं,
जो मनुष्य के स्वभाव, कर्म और चेतना की परिपक्वता से उपजते हैं।

जिसके भीतर श्रद्धा है,
वह किसी से नहीं माँगता।
जिसके भीतर विश्वास है,
वह किसी पर थोपता नहीं।
और जिसकी आस्था जीवित है,
वह किसी संस्था या धर्म की दीवारों में नहीं बँधता।

आज धर्म ने इन तीनों को व्यापार बना दिया है।
हर धार्मिक कहता है —
“तुम्हारे भीतर श्रद्धा नहीं थी, इसलिए तुम असफल हुए।”
यह कथन मनुष्य को उसकी आत्मा से काट देता है।
यह संकेत है कि तुम्हारा स्वभाव नीच है,
तुम पापी हो, तुम्हारे भीतर पवित्रता नहीं है।
और जब मनुष्य यह मान लेता है,
वह मंदिर, पंडित, पुरोहित और ज्योतिष के चक्र में फँस जाता है —
जहाँ श्रद्धा और आस्था बेची जाती हैं।

पर सत्य इसके उलट है।
श्रद्धा किसी आचार्य या मंत्र का दान नहीं,
वह तो आत्मा की ऊर्जा का प्रस्फुटन है।
आत्मा हर क्षण तुम्हारे कर्म, विचार और व्यवहार से परिपक्व होती है।
यही विकास “अहं” से “ब्रह्म” तक की यात्रा है।
और यह यात्रा किसी तीर्थ या पूजा से नहीं,
बल्कि स्वभाव की साधना से पूरी होती है।

धर्म का बाज़ार तत्काल परिणाम चाहता है —
लोगों को सपने बेचता है,
भविष्य का सौदा करता है।
वह कहता है — “तुम्हारे दुख मिट जाएंगे, तुम्हें वरदान मिलेगा।”
पर यह खेल खतरनाक है।
जो जीवन को समझे बिना सफलता की भीख माँगता है,
वह धीरे-धीरे अंधकार और निर्भरता में डूब जाता है।
उसकी आस्था अब अनुभव नहीं,
एक नशा बन जाती है।

भीड़ इसी नशे की भीड़ है।
लाखों लोग मंदिरों और गुरुओं के पीछे भागते हैं —
क्योंकि उन्हें अपने भीतर झाँकने का साहस नहीं।
वे चाहते हैं कोई दूसरा उन्हें आस्था दे दे,
कोई गुरु उन्हें विश्वास का प्रमाणपत्र दे दे।
पर जो भीतर से रिक्त है,
उसे कोई बाहरी आलोक नहीं भर सकता।

सत्य में श्रद्धा, विश्वास और आस्था
कभी बाहर से नहीं आतीं।
वे जीवन के ढंग से जन्म लेती हैं।
जैसे सूर्य अपने ताप से तेजस्वी होता है,
वैसे ही आत्मा अपने कर्म से विकसित होती है।
यह क्रमिक विकास है —
विज्ञान की तरह, प्रकृति की लय में।
यह तत्काल नहीं होता,
क्योंकि यह व्यापार नहीं, विकास है।

जो भीतर से सच्चा है,
वह किसी भीड़ का हिस्सा नहीं बनता।
वह धर्म का उपभोक्ता नहीं,
धर्म का अनुभवकर्ता होता है।
वह जानता है —
ईश्वर बाहर नहीं,
वह तो उसके भीतर की कर्तव्यनिष्ठ चेतना है।
यही आत्मा है, यही ब्रह्म है, यही ईश्वर है।

मैं धर्म का विरोधी नहीं,
पर धर्म के नाम पर चलने वाले व्यापार का साक्षी हूँ।
मुझे न मंदिर चाहिए, न अनुयायी।
मैं कोई संस्था नहीं, कोई पंथ नहीं।
मैं केवल एक संदेश का वाहक हूँ —
जिसका स्रोत वही है जहाँ से वेद, उपनिषद् और गीता निकले थे।
वह मौन जो सबके भीतर समान रूप से धड़कता है।

ऋषियों की भूमि इसलिए पवित्र थी
क्योंकि वहाँ अनुभव था, व्यापार नहीं।
उनका तप, उनकी मौन दृष्टि ही शक्ति-पीठ बनी।
आज मंदिर बचे हैं, पर वह ऊर्जा नहीं।
क्योंकि केंद्र अब बाहर बन गया है, भीतर नहीं।
मंदिर भीख माँगने का स्थान नहीं,
अपने भीतर लौटने का द्वार था।
पर जब आत्मा अंधी हो जाती है,
तो तीर्थ भी बाज़ार बन जाता है।

श्रद्धा, विश्वास और आस्था का मार्ग
भीतर की पवित्रता से शुरू होता है —
सत्य में जीने से, ईमानदारी से कर्म करने से,
दूसरे को नीचा दिखाए बिना,
और किसी को आगे बढ़ाने की चाह में बिना झूठ के।
जीने का ढंग ही साधना है।
जो जीवन को पवित्रता से जीता है,
वही सच्चा भक्त है।

---

सूत्र:

> “श्रद्धा न खरीदी जाती है, न सिखाई जाती है —
वह जीवन के ईमानदार क्षणों में जन्मती है।
जो भीतर से सच्चा है,
वही ब्रह्म का अंश है,
और वही धर्म का सार।”

📜 ✍🏻 agyat agyani (अज्ञात अज्ञानी

bhutaji