Quotes by Parmar Mayur in Bitesapp read free

Parmar Mayur

Parmar Mayur

@parmarmayur6557


साल के अंतिम सफर में मेरे
मन में एक प्रश्न उठा।

क्या बुराई से बुराई को जीता जा सकता है?

प्रश्न सरल है किन्तु उत्तर
अलग अलग मिलेंगे।

क्युकी हर एक मस्तिष्क अलग अलग उत्तर चुनाव करेगा।

मेरा मानना तो हें कभी नहीं,
क्युकी बुराई से बुराई को कभी जीता नहीं जा सकता।

इस तरह बुराई मरेंगी नहीं बल्कि वह शरीर बदल देंगी आत्मा की तरह,
वह जिंदा ही रहेंगी, आपके शरीर में।

राम चाहते तो रावण को बुराई करके आसानी से मार सकते थे,

फिर वो राम राम रहते?

कभी नहीं

रावण और राम समान हो जातें।

राम का जीवन आदर्श और वह पूजनीय ना रहते।

इस तरह युधिष्ठिर, हरिश्चंद्र, प्रहलाद ,जिसस ईसु, गुरु नानक,महमद पयंगबर या गांधीजी उदाहरण के तौर पर लेलों।

यह सब व्यक्ति अपने अच्छे व्यक्तित्व से ही माननीय और पूजनीय है और रहेंगे।

बुराई का रास्ता छोटा होता है पर मंज़िल में दुश्मनी ही मिलती है मैत्री या सम्मान मिलता नहीं है।

Read More

जिसका जाना तय है, वह जाएगा ही।

फिर वो कोई

इंसान हो,
चीजें हो,
वक्त हो,
या कलैंडर की तिथियां।


बस सब जाएगा, वक्त के साथ ही
यह सब वक्त के गुलाम हैं।

जिनको जो वक्त मिला उसको जी लिया,

बस,

वहीं उसने जी लिया,
हमेशा संभावनाएं संभावित ही होती है।

जिंदगी खुशियों से जीना है तो गिले -शीकवे, ईर्ष्या, क्रोध को त्यागना होगा।

काले बादल हटने से ही सुर्य की सोनेरी किरणें दिखती है।

Read More

जब पर्वत छोटे होने लगें और मूर्तियां बड़ी बड़ी बनने लगे।

थोड़ा दिल से नहीं
दिमाग़ से सोचना होगा।

खेतों की पराली जलने से हवा में जहर फेले,
कंपनियों के धूएं से देश विकास करने लगेगा।

दिल से नहीं,
थोड़ा दिमाग से सोचना होगा।

ख़ुदा बेबस बंदों पर जूल्म हो रहा हो फिर भी कुछ ना कहे,
बस ईशनिंदा से किसी को जिंदा जलाने से खूश होगा ख़ुदा?

थोड़ा दिल से नहीं
दिमाग से सोचना होगा

मीठे दो लफ्जों से वाह वाह बोलती भीड़ को देखा है।
सच्चे लफ्ज़ को करे अनदेखा तो सोचना होगा।

थोड़ा दिल से नहीं,
मुझे दिमाग से सोचना होगा।

Read More

मूर्तियां के लिए लड़ती प्रजा पर्वत तुटे तो चुप है,
मूर्ति हंसकर ए कहे, पर्वत का ही तो में अंश हूं।

- Parmar Mayur

उन्हें कहना पड़ा कि मुझे दर्द है,
बस फिर मुझे छोड़ना पड़ा उन्हें।

- Parmar Mayur

जन्म कहां हुआ था, वह महत्वपूर्ण नहीं है।
कर्म मुख्य हैं, कर्म महान् बनाता है।

कारागृह में जन्मे श्री कृष्ण हो या पशुओं के अस्तबल में जन्मे ईसा मसिहा दोनों ने अपने कर्मों से ही महानता हासिल की है।

- Parmar Mayur

Read More

हक़ के लिए 'लड़ना गलत' कहां है,

कृष्ण पार्थ से कहे,यही तो 'धर्म' है।

- Parmar Mayur

सभी धर्मों में कहां गया है कि ईश्वर परमदयालु है।

तो फिर परमात्मा के बने फिरते उपासकों द्वारा कि गई हत्याएं क्या परमात्मा, ख़ुदा या ईश्वर का आदेश था?

जो वह आदेश था तो फिर सर्वशक्तिमान ताकत दयालु कहां से मान ले?

मेरा मानना बस यही है कि कोई भी धर्म का कट्टरपंथी कभी भी जन्नत के द्वार के पास भी जा सकता नहीं है।

ईश्वरने जो कायनात हमें बक्सी है वहीं कायनात में सबको खुश रखनेवाले इंसान ही जिंदा रहकर भी स्वर्ग पा लेते हैं।

स्वर्ग मां के चरणों में हैं फिर किसी की भी मां रोनी नहीं चाहिए वरना हमारी सोच गलत दिशा में जा रही है।

Read More

कुछ दुखों की दवा "वक्त" है,


बस जाने दो! वक्त,,।

- Parmar Mayur

तुम विरोध करो।

ग़लत हो रहा है तो विरोध करो ।

तुम युद्ध लड़ो।

सब युद्ध तलवारों से लड़ें नहीं जाते।

कुछ युद्ध मन भीतर की आवाज सुनकर लडो।

अन्याय,असत्य और ग़लत
के खिलाफ बगावत करो।

तलवार नहीं बस तुम अपनी कलम को क्रियाशील करो।

कलम कागज़ की दोस्ती से सून पड़े दिमागों में नवचेतना का संचार करो।।

Read More