Quotes by ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़ in Bitesapp read free

ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

@loveguruaashiq.661810


✤┈SuNo ┤_★_🦋.
साहस का दीप सपनों का आकाश
संकल्पों का संगीत और प्रयास
का विश्वास"

न्यू ईयर 2025 का अभिनंदन करें
नव उमंग नव चेतना संग आगे बढ़ें,

मन में हो धैर्य, और दृष्टि में प्रकाश
हर बाधा को पार करने का हो
विश्वास"

क्रोध, नफरत, और द्वेष को छोड़
कर पीछे, प्रेम, सेवा, और सौहार्द
से जोड़ें रिश्ते"

सपनों के पंखों से आकाश को
छूलें, हर असफलता से एक नया
पाठ सीखें"

अंधकार को पौरुष की रौशनी
दिखाते रहें, संघर्षों में संकल्प
अपना दोहराते रहें"

त्यागें आलस्य, अपनाएं श्रम का
पथ, संघर्षों को बनाएं अपनी
कथा का रस"

प्रकृति से करें संवाद संतुलन का
विचार, हर कण में खोजें सृजन
का आधार"

हर दिन को बनाएं एक नई
शुरुआत, हर लक्ष्य को देकर
मेहनत की सौगात"

अपने भीतर के शक्ति को
पहचानें, नए वर्ष को सार्थकता
का आयाम दें"

2025 का हो हर क्षण प्रेरणा
भरा, जीवन में हो शांति प्रेम और
उजाला"

नई सुबह, नए सूरज की रोशनी
में, हम सब मिलकर रचें उज्जवल
कहानी"

परिवर्तन ही प्रगति का दृढ़
आधार, जो थामे इसे वही हो खुद
का उद्धार"

नव वर्ष 2025 तभी लाएगा
खुशहाली, जब हर कदम में हो
मेहनत की लाली..✨
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
🇭𝗮𝗽𝗽𝘆 🇳𝗲𝘄_🇾𝗲𝗮𝗿_🇹oo all'
My friend's..😇🤗 ✨‼ 2025 ‼✨
╭─❀🥺⊰╯ 
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
     @LoVe_AaShiQ_SinGh
   ♦❙❙➛ज़ख्मी ऐ ज़ुबानी•❙❙♦
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥

Read More

✤┈SuNo ┤_★_🦋.
दिन महीने साल रोज बढ़ती है
ज़िन्दगी"
उम्र-ए-दराज मांग कर चलती है
ज़िन्दगी,

लहमा लहमा कर दिन रात.बदल
जाते हैं"
सिलसिलेवार तारीखों से साल
बदल जाते हैं,

लो फिर इस साल की बिदाई का
वक़्त आ गया"
चंद घड़ियों के महमान के जाने
का वक्त आ गया,

न कोई रुसवाई न गिले, न शिकवे
शिकायत हैं"
उससे क्या कहें जाना ही जिसकी
रवायत है,

कोशिशें लाख कर लो रोक नहीं
पाओगे"
चंद लम्हों में एक नया इतिहास
रचाओगे,

हर बार हर साल की कुछ अलग
कहानी होती है"
कहीं खुशियों से भरे पल तो कहीं
गमों की ज़िंदगानी है,

अलविदा अलविदा ये वर्ष तेरे हर
फसाने को"
ज़ुबाँ पे हर्फ है कुछ नया सा कर
दिखाने को,

कोरे कागज़ पे रंग प्रेम के छिटक
जायेंगे"
चराग खुशियों के हर तरफ
जगमगायेंगे..✨💫
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
🇬𝗼𝗼𝗱_🇧𝘆𝗲_"2024"_🇦𝗻𝗱
➯༼༽🇼𝗲𝗹𝗹 𝗰𝗼𝗺𝗲.༼༽.💐⏎
🇹𝗼𝗼_🇳𝗲𝘄_🇾𝗲𝗮𝗿_2025,
✨‼ 2025 ‼✨
╭─❀🥺⊰╯ 
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
     @LoVe_AaShiQ_SinGh
   ♦❙❙➛ज़ख्मी ऐ ज़ुबानी•❙❙♦
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥

Read More

✤┈SuNo ┤_★_🦋.
 रोज ही टूटता हूँ फिर रोज ही ख़ुद
               को सँवारता हूँ"

  जैसे शब्दों का टूटकर अपने आप
       में ही बिखर जाना होता है,

  वैसे ही रोज-रोज टूटकर स्वयं को
            ही मैं सँवारता हूँ"

  हवा का झोंका हूँ इसलिए उड़ा
             चला जा रहा हूँ,

यह भी पता है मुझे कि, मंजिल
    पर ही है अब मुझे ठहरना"

पल भर की यह ज़िन्दगी का सफर
     कभी मजबूरियाँ बनकर तो,

कभी गम की हँसी बनकर सिखा
जाती है मुझे हर रोज टूटकर फिर
                से सँवरना"

ये बिखरना भी अब मुझे अखरता
नहीं क्योंकि सीख चुका हूँ अब मैं
भी इस ज़िन्दग़ी को परखना..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈━❥
 @LoVe_AaShiQ_SinGh
♦❙❙➛ज़ख्मी ऐ ज़ुबानी•❙❙♦
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈━❥

Read More

✤┈SuNo ┤_★_🦋.
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈✤
आज कल मैं बस बेचैन सा रहता हूँ
ना रोता हूँ और ना ही चिल्लाता हूँ,

क्योंकि’ अब मैं और टूटना नहीं खुद
में पिघलना चाहता हूँ,

कभी मिल ओ ज़िन्दगी तू मुझे तो
तुझे बताना चाहता हूँ,

कैसे तूने मुझे तोड़ा है एक के बाद
एक करके,

क्या क्या छीने है तूने मुझसे उसका
एक एक हिसाब लेना चाहता हूँ,

बस अब मैं टूटना नहीं खुद में
सिमटना चाहता हूँ,

क्योंकि’ आज कल बहुत बेचैन सा
रहता हूँ..🥀🔥💫
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈✤
╭─❀🥺⊰╯ 
 ╨──────────━❥
  @LoVe_AaShiQ_SinGh
  ♦❙❙➛ज़ख्मी ऐ ज़ुबानी•❙❙♦
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈✤

Read More

✤┈SuNo┤_★_🦋.ए लड़की..☜
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈┈✤
गुलाब की कली सी कमसिन हो तुम"
मोहब्बत की नगरी में पुलिन हो तुम,

मिलन की ख्वाहिश मुझसे करती हो
तुम हर रोज उफ़्फ़ फूलों से भी कहीं
ज़्यादा हसीन हो तुम,

सुनो ये राह-ए-पुर-ख़ार टेढ़ी-मेढ़ी भी
हो सकती हैं"
जरा संभल कर चला करो न बड़ी ही
क़मसिन हो तुम..🔥❤️🫠
───────────━❥
क़मसिन= नाज़ुक,
पुलिन= डूबा हुआ,
राह-पुर-ख़ार= मुश्किल राह,
╭─❀🥺⊰╯ 
 ╨──────────━❥
  @LoVe_AaShiQ_SinGh
    ♦❙❙➛ज़ख्मी ऐ ज़ुबानी•❙❙♦
 ╨──────────━❥

Read More

✤┈SuNo ┤_★_🦋
मैं माहिर-ए-जुबान तो कभी न था फिर
  क्यों तुम मुझसे नाराज हुए जाते हो,

मैं खुद से कहां खुश रहता हूं तुम क्यों
     शर्म से बेआवाज हुये जाते हो,

क्या करूं मैं इस न शुक़्री ज़ुबाँ का जो
    न हो कहना वही कह जाती है,

कभी बुलंद आवाजों में खो जाती है तो
  कभी खामोशी में बुलुंद हो जाती है,

 कभी सोचता हूं जो चुप हो गया तो
 कौन मुझसे हाल-ए-जिंदगी पूछेगा,

   जो कह दूंगा मैं बात दिल की तो है
भला क़िसमें दम जो हालात से जूझेगा,

  मुझे और मेरी जुबान को साथ ही
रहने दो तुम न घबराओ मेरा ये काम
                 तो रहने दो,

ये चुप भी रहती है और फिर भी कह
जाती है, मेरी बर्दाश्त से जुड़ी है उसी
          हिसाब से चल जाती है,

मैं माहिर-ए-जुबान तो कभी न था फिर
क्यों तुम मुझसे नाराज हुए जाते हो.🔥
╭─❀💔༻
╨──────────━❥
 @LoVe_AaShiQ_SinGh
 ⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥────━❥

Read More

✤┈SuNo ┤_★_🦋
वो फासला रखे चाहे कोई भी हो
जो चाहता है मुझे चलाना खुद के
इशारों पे,

ये जख्मी कोई खिलौना थोड़ी है
जो बिकने लग जाए बाजारों पे.🔥
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
  @LoVe_AaShiQ_SinGh
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥

Read More

✤┈SuNo ┤_★_🦋
ठहर जाती है निगाह मेरी उन
ठिकानों पे जहाँ से आशियां के
        तूने तिनके उठाए

दर-ओ-दीवार से तेरी निसबत
      का सबब तब जाना’
जमाने भर के तूफान मैंने जब
          सर पे उठाए

अब याद है बस वही इबारत जो
मिट गई’ जिन पन्नों पे कभी तूने
           आंसू गिराए,

  हक हो गया कतरे का हर एक
  मोती पे’ समंदर ने जब कश्ती
          को रास्ते दिखाए,

    तेरे हुस्न की बातें दीवारों से
               सुनी मैंने
   मशक़्क़त से तुमने जिन पर
           थे परदे लगाए,

शरारत को मकान से मेरे, लोगों
  अलग रखो’ मैंने आरजूओं के
    इसमें बहुत शीशे लगाए,

आओ कर दूँ कुछ नक़्श अपने
      पोशीदा तेरी आँखों में’
ये कुछ गहने थे जो मैंने जमाने
            से बचाए,

ये सुबह फिर ले आएगी मुझे
       दुनिया की मंडी में’
गला कटना ही है तो क्यों न
        और सो जाएं,

ये आँखों की नमी जावेदा तो
          हो न पाएगी’
अगर तू अर्श से थोड़ी सी मय
बरसाए

निसबत= संबंध, मँगनी, सगाई,
इबारत= बनावट, रचना,
नक़्श= तस्वीर, चित्र,
पोशीदा= गुप्त, छिपा हुआ
जावेदा= सुंदर, "आकर्षक
अर्श= तख़्त, छत,
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
 @LoVe_AaShiQ_SinGh
 ⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥

Read More
epost thumb

✤┈SuNo ┤_★_🦋
ज़ख़्मी शायर की रुबा'ई होकर भी
         उसमें ठहराव नहीं देखा"
वो निर्झर नदी सी बहती थी कैसे मैं
             उसे रोक पाता,

वादे कसमों की नींव पर रिश्ते बहुत
             कम ही चलते हैं"
जब मन में ठान लिया जाना है फिर
         कहां देर तक रुकते हैं,

कब तक आँखें मूंदे मैं रहूँ एक दिन
       तो सच स्वीकारना ही है"
झूठे प्रेम ने मुझसे सुख जीवन का
             सारा छीना है,

लबों पर हँसी फ़िर से लौटे आंगन
         में रौनक फिर आए"
इतना यदि मुझको पाना है तो फिर
      सच को तो स्वीकारना है,

मन ही मन कुंठित होता रहूँ आँखों
           में अंगारे मैं भरूं"
प्रतिशोध भी लूँ तो किस से जिसे
        प्रेम आज भी करता हूँ,

बेहतर है उसके फैसले को दिल से
             मैं स्वीकार लूँ"
वो अपने जीवन में खुश हो मैं भी
       नई शुरूआत करूँ...🔥
╭─❀💔༻ 
╨──────────━❥
     @LoVe_AaShiQ_SinGh
     ⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨────✥}}{{✥───━❥

Read More

✤┈SuNo न┤_★_
ए लड़की.जब तुम साथ थी तो गर्मी की
तप्ती धूप भी सुनहरी लगती थी,

अब तुम नहीं हो तो ये दिसंबर की सर्द
हवाएं भी मुझे ज़लाती है"

ये प्यार भी तब क्यों होता है" जब
क़िस्मत में मिलना ही नहीं होता है,

तेरा मेरा मिलना हो न हो क़िस्मत में
पर सुना है कि प्यार के आगे रब भी
झुकता है’

जैसे धरती और आकाश का मिलन
क्षितिज पर होता है..🔥
@LoVe_AaShiQ_SinGh
╭─❀💔༻ 
╨─────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
╨─────────━❥

Read More