Quotes by Raju kumar Chaudhary in Bitesapp read free

Raju kumar Chaudhary

Raju kumar Chaudhary Matrubharti Verified

@rajukumarchaudhary502010
(8.5k)

Zero to Billionaire ✦

एक छोटे से गाँव में जन्मा आरव नाम का लड़का गरीबी में पला-बढ़ा। घर में इतना पैसा भी नहीं था कि वह अच्छे कपड़े या किताबें खरीद सके। लेकिन उसकी आँखों में हमेशा बड़े सपने थे।

बचपन में वह अक्सर कहता—
“एक दिन मैं इतना बड़ा इंसान बनूँगा कि मेरी मेहनत और लगन पर लोग विश्वास करना सीखेंगे।”

🌱 शुरुआती संघर्ष

स्कूल की फीस भरने के लिए आरव ने अख़बार बाँटे।

रात को वह एक चाय की दुकान पर काम करता और वहीं रोशनी के नीचे पढ़ाई करता।

लोग उसका मज़ाक उड़ाते:
“बड़े सपने देखने से कोई अरबपति नहीं बनता, मेहनत करनी पड़ती है।”
लेकिन आरव मुस्कुराकर कहता—
“देखना, एक दिन मैं साबित करूँगा।”


🚀 पहला कदम

कॉलेज जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, तो उसने एक पुराना लैपटॉप उधार लिया और इंटरनेट से खुद ही बिज़नेस सीखना शुरू किया।

उसने छोटे-छोटे फ्रीलांस काम करने शुरू किए।

कुछ महीनों में उसने अपनी पहली छोटी कंपनी बनाई, जो डिजिटल मार्केटिंग करती थी।


🔥 असफलताएँ और सीख

पहले दो साल कंपनी बार-बार घाटे में गई।

दोस्त और रिश्तेदार तक बोले— “ये लड़का सिर्फ़ समय बर्बाद कर रहा है।”
लेकिन आरव हर हार से सीखकर और मज़बूत होता गया।


💡 बड़ा आइडिया

एक रात, उसने देखा कि छोटे व्यापारियों को ऑनलाइन अपने प्रोडक्ट बेचने का आसान तरीका नहीं मिलता।
उसने एक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म बनाया, जहाँ छोटे दुकानदार भी बिना ज़्यादा खर्च के अपना स्टोर खोल सकते थे।

धीरे-धीरे यह प्लेटफ़ॉर्म पूरे देश में फैल गया।
लाखों लोग उस पर जुड़े और उसके स्टार्टअप की वैल्यू अरबों तक पहुँच गई।

👑 अरबपति बनने का सफ़र

सिर्फ़ दस साल में, वही लड़का जो कभी चाय की दुकान पर काम करता था, अब दुनिया के सबसे तेज़ी से उभरते अरबपतियों में गिना जाने लगा।
लेकिन उसने कभी अपनी जड़ें नहीं भूलीं।
उसने अपने गाँव में स्कूल और अस्पताल बनाए, ताकि और कोई बच्चा सिर्फ़ गरीबी की वजह से अपने सपनों से वंचित न रहे।


---

✦ सीख ✦

सपना बड़ा देखो – चाहे हालात कितने भी छोटे क्यों न हों।

हार से डरो मत – हर असफलता तुम्हें और मज़बूत बनाती है।

मेहनत + सही आइडिया = सफलता।
Zero to Billionaire – भाग 2: सपनों की उड़ान और पहला स्टार्टअप ✦

आरव का बचपन कठिन था, लेकिन अब वह अपने सपनों को सच करने के लिए शहर की ओर बढ़ने वाला था। गाँव में उसके पास ज्यादा अवसर नहीं थे। उसे पता था—सपने सिर्फ़ सोचने से नहीं, कोशिश करने से सच होते हैं।

🏙️ शहर में पहला कदम

आरव ने गाँव छोड़कर बड़े शहर में दाख़िला लिया।

हॉस्टल की फीस भरने के लिए उसने पार्ट-टाइम काम शुरू किया।

कभी किताबें बाँटी, कभी कंप्यूटर क्लासेस में सहायक बना।


शहर की रफ्तार तेज थी और लोग व्यस्त। यहाँ कोई गरीब लड़के के सपनों में नहीं रुचि लेता। लेकिन आरव ने हार नहीं मानी।
रात को अपने छोटे कमरे में वह पुरानी किताबों और इंटरनेट से बिज़नेस की बारीकियाँ सीखता।

💡 पहला आइडिया

एक दिन उसने देखा कि शहर में छोटे व्यवसायों को अपने प्रोडक्ट्स ऑनलाइन बेचने में बहुत मुश्किल होती है।
आरव ने ठान लिया—
“अगर मैं ऐसा तरीका ढूँढ लूँ, जिससे छोटे दुकानदार भी अपने प्रोडक्ट ऑनलाइन बेच सकें, तो मैं सफलता पा सकता हूँ।”

उसने अपने छोटे-से लैपटॉप पर वेबसाइट बनाना शुरू किया।

कुछ फ्रीलांसिंग काम करके पैसे जुटाए और अपनी पहली कंपनी की नींव रखी।


🔥 पहली असफलताएँ

आरव की पहली कंपनी सफल नहीं हुई।

वेबसाइट तकनीकी कारणों से बार-बार डाउन हो जाती।

निवेशक पैसे देने से डरते।

कुछ कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया।


लोग कहते—
“तुम्हारा आइडिया कभी काम नहीं करेगा। शहर में तुम्हारा नाम नहीं बनेगा।”

लेकिन आरव ने इन शब्दों को चुनौती मान लिया। वह रोज़ाना 14-16 घंटे काम करता। हर गलती से सीखता, हर असफलता से मजबूत बनता।

🌱 सीख और दृढ़ संकल्प

आरव ने समझा कि सिर्फ़ आइडिया काफी नहीं, उसे लगन और सही execution भी चाहिए।

उसने छोटे बदलाव किए और प्लेटफ़ॉर्म को धीरे-धीरे स्थिर बनाया।

धीरे-धीरे उसके पहले ग्राहक जुड़े, और धीरे-धीरे पहचान बढ़ी।


आरव की मेहनत और धैर्य ने दिखा दिया कि सपनों की उड़ान तभी पूरी होती है जब हौसला कभी नहीं टूटता

Read More

Zero to Billionaire ✦

एक छोटे से गाँव में जन्मा आरव नाम का लड़का गरीबी में पला-बढ़ा। घर में इतना पैसा भी नहीं था कि वह अच्छे कपड़े या किताबें खरीद सके। लेकिन उसकी आँखों में हमेशा बड़े सपने थे।

बचपन में वह अक्सर कहता—
“एक दिन मैं इतना बड़ा इंसान बनूँगा कि मेरी मेहनत और लगन पर लोग विश्वास करना सीखेंगे।”

🌱 शुरुआती संघर्ष

स्कूल की फीस भरने के लिए आरव ने अख़बार बाँटे।

रात को वह एक चाय की दुकान पर काम करता और वहीं रोशनी के नीचे पढ़ाई करता।

लोग उसका मज़ाक उड़ाते:
“बड़े सपने देखने से कोई अरबपति नहीं बनता, मेहनत करनी पड़ती है।”
लेकिन आरव मुस्कुराकर कहता—
“देखना, एक दिन मैं साबित करूँगा।”


🚀 पहला कदम

कॉलेज जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, तो उसने एक पुराना लैपटॉप उधार लिया और इंटरनेट से खुद ही बिज़नेस सीखना शुरू किया।

उसने छोटे-छोटे फ्रीलांस काम करने शुरू किए।

कुछ महीनों में उसने अपनी पहली छोटी कंपनी बनाई, जो डिजिटल मार्केटिंग करती थी।


🔥 असफलताएँ और सीख

पहले दो साल कंपनी बार-बार घाटे में गई।

दोस्त और रिश्तेदार तक बोले— “ये लड़का सिर्फ़ समय बर्बाद कर रहा है।”
लेकिन आरव हर हार से सीखकर और मज़बूत होता गया।


💡 बड़ा आइडिया

एक रात, उसने देखा कि छोटे व्यापारियों को ऑनलाइन अपने प्रोडक्ट बेचने का आसान तरीका नहीं मिलता।
उसने एक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म बनाया, जहाँ छोटे दुकानदार भी बिना ज़्यादा खर्च के अपना स्टोर खोल सकते थे।

धीरे-धीरे यह प्लेटफ़ॉर्म पूरे देश में फैल गया।
लाखों लोग उस पर जुड़े और उसके स्टार्टअप की वैल्यू अरबों तक पहुँच गई।

👑 अरबपति बनने का सफ़र

सिर्फ़ दस साल में, वही लड़का जो कभी चाय की दुकान पर काम करता था, अब दुनिया के सबसे तेज़ी से उभरते अरबपतियों में गिना जाने लगा।
लेकिन उसने कभी अपनी जड़ें नहीं भूलीं।
उसने अपने गाँव में स्कूल और अस्पताल बनाए, ताकि और कोई बच्चा सिर्फ़ गरीबी की वजह से अपने सपनों से वंचित न रहे।


---

✦ सीख ✦

सपना बड़ा देखो – चाहे हालात कितने भी छोटे क्यों न हों।

हार से डरो मत – हर असफलता तुम्हें और मज़बूत बनाती है।

मेहनत + सही आइडिया = सफलता।

Read More

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

Read More