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बाजीराव पेशवा (बल्लाल भट्ट) का इतिहास।
https://www.matrubharti.com/book/19953369/peshwa-bajirao-ballal-bhatt
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद।
https://www.matrubharti.com/book/19943203/hockey-wizard-major-dhyanchand
❝ कुछ लोग लौटते नहीं… लेकिन वो जाते भी नहीं।
वो दिल में रह जाते हैं — जैसे कोई अधूरा वादा, जो आज भी साँस लेता है। ❞
“काठगोदाम की गर्मियाँ” — एक एहसास, एक अनकही प्रेम कहानी।
अब उपलब्ध है Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
📖 लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट
🔍 सर्च करें और अपनी अगली दिल को छूने वाली कहानी पढ़ें।
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દિલની ઈચ્છાઓ અધૂરી, સપનાં રહ્યાં ઝાંખાં,
આંખોમાં રહે ઝળુંબે, ને હૈયે રહ્યાં ખાંખાં.
ક્યારેક ઝરણાં બનીને ઝરતી હતી આશાઓ,
છેલ્લે તો રણમાં રેતી, બની ગઈ નકામી.
હાથોમાં નથી રહ્યું હવે, એક પણ પરવાળું,
જીવનની લડાઈમાં બસ, વેદનાં રહી ગયાં ઝાંઝવાં.
દરિયો હતો ઈચ્છાઓનો, લહેરો હતી અનંત,
ડૂબી ગયું એ બધું, ને રહી ગયું ફક્ત ખાંખું.‘
મીરને શું દોષ દઈએ, નસીબે લખ્યું એવું,
અધૂરું રહે છે હંમેશ, જે હૈયે ઝળુંબે ખાંખું.
હારીને પછી જીતેલાને આશીર્વાદ આપે તે મોક્ષે જાય, 'કમ્પલીટ' થાય! - દાદા ભગવાન
વધુ માહિતી માટે અહીં ક્લિક કરો: https://dbf.adalaj.org/Gg3jj0nJ
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कविता शीर्षक: "मिलन की वो पहली रात"
छू गया आज तेरा एहसास फिर से,
बिन कहे तू आ गया, मेरे पास फिर से।
हवा में घुली तेरी बातें हैं जैसे,
फिज़ाओं ने गा दिया कोई राग मधुर ऐसे।
तेरी आँखों की नमी, मेरा सुकून बन गई,
तेरी मुस्कान मेरे दिल की जुनून बन गई।
हम मिले थे जैसे पहली बार उस रोज़,
जैसे वक़्त भी ठहर गया हो, थम गए हों साज़।
तेरे हाथों की गर्माहट में छुपी कोई दुआ थी,
जो मिलकर आज, अधूरी हर तमन्ना पूरी हुई थी।
ना कोई वादा था, ना कोई कस्में भारी,
फिर भी दिल ने मान ली, बस तेरी ही ये सवारी।
तेरी बातें जैसे चाँदनी रातों की शीतल छाया,
हर लफ्ज़ तेरा दिल को बहलाए, मन को भाए।
मिलन का ये पल जैसे स्वर्ग से कोई तोहफा हो,
रब ने खुद आज हमको एक-दूजे के लिए लिखा हो।
अब ना कोई दूरी, ना कोई फ़ासले बाकी,
तू मेरा है, मैं तेरी — यही है सबसे सच्ची बाती।
हर जनम में बस यही एक दुआ मांगते रहेंगे,
तेरे साथ जीएंगे, तेरे साथ मरेंगे।
संत नरसिंह (नरसी) मेहता का इतिहास।
https://www.matrubharti.com/book/19939714/sant-narasimha-narsi-mehta
महाराजा रणजीत सिंह का संक्षिप्त परिचय।
https://www.matrubharti.com/book/19936781/sher-e-punjab-39-maharaja-ranjit-singh-39
शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह का संपूर्ण इतिहास।
https://www.matrubharti.com/novels/51297/maharaja-ranjit-singh-by-sudhir-sisaudiya
महाराजा रणजीत सिंह और कोहिनूर हीरा।
https://www.matrubharti.com/book/19947868/maharaja-ranjit-singh-and-the-kohinoor-diamond
गर्मियों का प्यार — एक ख़ामोश एहसास
कभी-कभी प्यार किसी मौसम की तरह आता है — चुपचाप, बिना दस्तक दिए।
जैसे पहाड़ों की गर्मियाँ — तेज़ नहीं, ठंडी भी नहीं, बस धीमी-धीमी सी महसूस होती हुई।
काठगोदाम की एक शाम, हल्की सी हवा, और दो अजनबी — जो पहली बार मिले, लेकिन जैसे बरसों से एक-दूसरे को जानते हों।
प्यार में हमेशा शोर नहीं होता।
कई बार, सिर्फ़ एक चाय का कप और सामने बैठा कोई इंसान ही काफी होता है, जिसे देखकर तुम्हें लगे — “बस यही तो चाहिए था ज़िंदगी में।”
गर्मियों का प्यार वैसा ही होता है —
ना बहुत लंबा, ना बहुत तेज़…
लेकिन जब चला जाता है, तो उसकी छाया पूरे साल साथ चलती है।
सर्दियों में उसका इंतज़ार होता है, और बरसातों में उसकी याद।
कभी किसी की चुप्पी में प्रेम छुपा होता है,
तो कभी किसी की बेवजह की हँसी में।
कोई जब बिना पूछे तुम्हारे मन की बात समझ ले — वही तो होता है असली रिश्ता।
और अगर वो इंसान,
जिससे तुमने कुछ कहे बिना बहुत कुछ कह दिया,
अगर वो एक दिन यूँ ही तुम्हारे सामने खड़ा हो जाए…
तो समझ लेना — कुछ रिश्ते सिर्फ़ किस्मत से नहीं, कहानी से बनते हैं।
कई बार हमें लगता है हम भूल गए,
लेकिन एक पुरानी फोटो, एक पहाड़ी गंध, एक नाम… और सब कुछ फिर से ताज़ा हो जाता है।
काठगोदाम की गर्मियाँ सिर्फ़ एक किताब नहीं है,
ये एक ऐसा आईना है जिसमें हर कोई अपना कोई अधूरा रिश्ता देख सकता है।
एक शहर, एक लड़की, एक लड़का — और वो गर्मियाँ, जो लौटकर तो नहीं आतीं,
लेकिन दिल में हमेशा के लिए रह जाती हैं।
⸻
📚 अगर आपको ये पंक्तियाँ दिल के किसी कोने को छू गई हों…
तो पूरी कहानी पढ़ने के लिए खोजिए:
“काठगोदाम की गर्मियाँ”
✍️ लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट
उपलब्ध है Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
बस नाम सर्च कीजिए — और अपनी अगली पसंदीदा प्रेम कहानी से मिलिए।
#KaatgodamKiGarmiyaan #HindiBooks #LoveInSummer #DhirendraSinghBisht #EmotionalRead #HeartTouchingLove
गर्मियों का प्यार — एक ख़ामोश एहसास
कभी-कभी प्यार किसी मौसम की तरह आता है — चुपचाप, बिना दस्तक दिए।
जैसे पहाड़ों की गर्मियाँ — तेज़ नहीं, ठंडी भी नहीं, बस धीमी-धीमी सी महसूस होती हुई।
काठगोदाम की एक शाम, हल्की सी हवा, और दो अजनबी — जो पहली बार मिले, लेकिन जैसे बरसों से एक-दूसरे को जानते हों।
प्यार में हमेशा शोर नहीं होता।
कई बार, सिर्फ़ एक चाय का कप और सामने बैठा कोई इंसान ही काफी होता है, जिसे देखकर तुम्हें लगे — “बस यही तो चाहिए था ज़िंदगी में।”
गर्मियों का प्यार वैसा ही होता है —
ना बहुत लंबा, ना बहुत तेज़…
लेकिन जब चला जाता है, तो उसकी छाया पूरे साल साथ चलती है।
सर्दियों में उसका इंतज़ार होता है, और बरसातों में उसकी याद।
कभी किसी की चुप्पी में प्रेम छुपा होता है,
तो कभी किसी की बेवजह की हँसी में।
कोई जब बिना पूछे तुम्हारे मन की बात समझ ले — वही तो होता है असली रिश्ता।
और अगर वो इंसान,
जिससे तुमने कुछ कहे बिना बहुत कुछ कह दिया,
अगर वो एक दिन यूँ ही तुम्हारे सामने खड़ा हो जाए…
तो समझ लेना — कुछ रिश्ते सिर्फ़ किस्मत से नहीं, कहानी से बनते हैं।
कई बार हमें लगता है हम भूल गए,
लेकिन एक पुरानी फोटो, एक पहाड़ी गंध, एक नाम… और सब कुछ फिर से ताज़ा हो जाता है।
काठगोदाम की गर्मियाँ सिर्फ़ एक किताब नहीं है,
ये एक ऐसा आईना है जिसमें हर कोई अपना कोई अधूरा रिश्ता देख सकता है।
एक शहर, एक लड़की, एक लड़का — और वो गर्मियाँ, जो लौटकर तो नहीं आतीं,
लेकिन दिल में हमेशा के लिए रह जाती हैं।
⸻
📚 अगर आपको ये पंक्तियाँ दिल के किसी कोने को छू गई हों…
तो पूरी कहानी पढ़ने के लिए खोजिए:
“काठगोदाम की गर्मियाँ”
✍️ लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट
उपलब्ध है Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
बस नाम सर्च कीजिए — और अपनी अगली पसंदीदा प्रेम कहानी से मिलिए।
#KaatgodamKiGarmiyaan #HindiBooks #LoveInSummer #DhirendraSinghBisht #EmotionalRead #HeartTouchingLove
❝ कभी-कभी हम किसी और को नहीं, खुद को ढूंढ रहे होते हैं… ❞
एक खोज, एक कहानी, एक एहसास — “बर्फ़ के पीछे कोई था?”
लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट
अब उपलब्ध है 📚
🛒 Amazon | Flipkart | NotionPress
🔖 “जब कहानियाँ चुप होती हैं, तो पहाड़ बोलते हैं।”
#NewBook #HindiLiterature #DhirendraSinghBisht #EmotionalRead #बर्फ़_के_पीछे_कोई_था #NotionPress #BookLovers
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