Quotes by Real heros in Bitesapp read free

Real heros

Real heros

@bapparawal418006
(8)

'नाम जप साधना' की संपूर्ण जानकारी। 👇🏻
https://www.matrubharti.com/novels/41993/naam-jap-sadhna-by-charu-mittal

Description: प्रत्येक युग की साधना निश्‍चित है।
जैसे :
सत्ययुग के लिए – ज्ञानयोग
त्रेतायुग के लिए – ध्यानयोग,
द्वापरयुग के लिए – यज्ञ, कर्मकांड, (पूजा-अर्चना)
कलियुग के लिए – नामजप

कलियुग में भगवान की प्राप्ति का सबसे सरल किंतु प्रबल साधन नामजप ही बताया गया है। श्रीमद्भागवत का कथन है : यद्यपि कलियुग दोषों का भंडार है तथापि इसमें एक बहुत बडा सद्गुण यह है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग पहले के इन युगों में भगवान के ध्यान द्वारा, यज्ञ-अनुष्ठान के द्वारा तथा पूजा-अर्चना से जो फल मिलता था, वह पुण्यफल कलियुग में केवल श्रीहरि के नाम-संकीर्तन से ही प्राप्त हो जाता है।

कृष्णयजुर्वेदीय कलिसंतरणोपनिषद मेें लिखा है कि द्वापरयुग के अंत में जब देवर्षि नारद ने ब्रह्माजी से कलियुग में कलि के प्रभाव से मुक्त होने का उपाय पूछा, तब सृष्टिकर्ता ने कहा : आदिपुरुष भगवान नारायण के नामोच्चारण से मनुष्य कलियुग के दोषों को नष्ट कर सकता है।

भगवान चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि कलियुग में केवल हरिनाम ही हमारा उद्धार कर सकता है। यही बात नानक देवजी ने भी कही है, ‘नानक दुखिया सब संसार, ओही सुखिया जो नामाधार।’ रामचरितमानस में भी यही लिखा है,
‘कलियुग केवल नाम आधारा।
सुमिरि-सुमिरि नर उतरहीं पारा ॥’

Read More

बुक नेम “मानव धर्म” 👇
https://www.matrubharti.com/book/19943935/manav-dharm-3

मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है?
इंसान पैदा होता है तब से ही संसार चक्र में फँसकर लोगो के कहे अनुसार करता है। स्कूल-कॉलेज की पढाई करता है, नौकरी या धंधा करता है, शादी करके बच्चे पैदा करता है, और बूढ़े होने पर मर जाता है। तो क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्शेय है? परम पूज्य दादा भगवान, मनुष्य जन्म को 4 गतियों का जंक्शन बताते है जहाँ से, देवगति, जानवर गति या नर्कगति में जाने का रास्ता खुला होता है। जिस प्रकार के बीज डाले हो और जिन कारणों का सेवन किया हो, उस गति में आगे जाना पड़ता है। तो, इन फेरो से आखिर हमें मुक्ति कब मिलेगी? दादाजी बताते है कि, मानवता या ‘मानवधर्म’ की सबसे बड़ी परिभाषा ही यह है कि, अगर कोई तुम्हें दुःख दे और तुम्हें अच्छा ना लगे, तो दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। अगले जन्म में अगर नर्कगति या जानवर गति में नहीं जाना हो तो, मानवधर्म का हमेशा ही पालन करना चाहिए।
इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, यह किताब पढ़े और अपना मनुष्यजीवन सार्थक बनाइये।

Disha jain प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/dishajain221416

Read More

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन संक्षिप्त परिचय 👇
https://www.matrubharti.com/book/19976076/the-great-mathematician-srinivasa-ramanujan

Arpita Raghuvanshi प्रोफ़ाइल लिंक: https://www.matrubharti.com/arpitaraghuvanshi253422

Read More

धर्म का मर्म।
Disha Jain प्रोफ़ाइल लिंक:https://www.matrubharti.com/dishajain221416

epost thumb

छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति विदेशियों के विचार 👇
https://www.matrubharti.com/book/19936782/thoughts-of-foreigners-towards-chhatrapati-shivaji-maharaj

औरंगजेब की मौत का वो भयंकर मंजर कैसे मराठों ने औरंगजेब को तड़पा तड़पा के मारा। 🚩

epost thumb

Disha jain प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/dishajain221416

"पाप-पुण्य "पुस्तक पढ़ने के लिए लिंक follow करे.👇
https://www.matrubharti.com/novels/40636/paap-puny-by-disha-jain

Description :
पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है|

इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों को आनंद मिले और उनका भला हो, उससे पुण्य बंधता है और जिससे किसी को तकलीफ हो उससे पाप बंधता है। हमारे देश में बच्चा छोटा होता है तभी से माता-पिता उसे पाप और पुण्य का भेद समझाने में जुट जाते है पर क्या वह खुद पाप-पुण्य से संबंधित सवालों के जवाब जानते है?

आमतौर पर खड़े होने वाले प्रश्न जैसे: पाप और पुण्य का बंधन कैसे होता है? इसका फल क्या होता है?क्या इसमें से कभी भी मुक्ति मिल सकती है? यह मोक्ष के लिए हमें किस प्रकार बाधारूप हो सकता है? पाप बांधने से कैसे बचे और पुण्य किस तरह से बांधे? इत्यादि सवालों के जवाब हमें इस पुस्तक में मिलते है।

इसके अलावा, दादाजी हमें प्रतिक्रमण द्वारा पाप बंधनों में से मुक्त होने का रास्ता भी बताते है। अगर हम अपनी भूलो का प्रतिक्रमण या पश्चाताप करते है, तो हम इससे छूट सकते है|

अपनी पाप-पुण्य से संबंधित गलत मान्यताओं को दूर करने और आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति करने हेतु, इस किताब को ज़रूर पढ़े और मोक्ष मार्ग में आगे बढ़े।

Read More

Disha jain प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/dishajain221416

पाप और पुण्य के कितने प्रकार होते हैं? कई बार हम देखते हैं कि बुरे लोग गलत काम करके भी सही नतीजा पाते हैं। ऐसा क्यों? पाप और पुण्य कैसे बंधते हैं?
ओर अधिक जानकारी के लिए “पाप और पुण्य” पुस्तक पढ़े। लिंक नीचे है।👇🏻
https://www.matrubharti.com/novels/40636/paap-puny-by-disha-jain

Read More
epost thumb

Disha Jain प्रोफ़ाइल लिंक:
https://www.matrubharti.com/dishajain221416

भले लोगों को दुःख क्यों उठाने पड़ते हैं?

प्रश्नकर्ता : किसी भी रोग के होने के कारण मृत्यु हो, तब लोग ऐसा कहते हैं कि पूर्वजन्म के कोई पाप बाधक हैं। यह बात सच है?

दादाश्री : हाँ, पाप से रोग होते हैं और पाप नहीं हों, तो रोग नहीं होते। तुमने किसी रोग वाले को देखा है?

प्रश्नकर्ता : मेरी माताजी अभी ही दो महीने पहले केन्सर के कारण गुज़र गई।

दादाश्री : वह तो सारा पाप कर्म के उदय से होता है। पापकर्म का उदय हो तब केन्सर होता है। यह सारा हार्ट अटेक वगैरह पाप कर्म से होते हैं। निरे पाप ही बाँधे हैं, इस काल के जीवों का धंधा ही वह, पूरा दिन पापकर्म ही करते रहते हैं। भान नहीं है इसलिए। यदि भान होता तो ऐसा नहीं करते!

प्रश्नकर्ता : उन्होंने पूरी ज़िन्दगी भक्ति की थी, तो उन्हें क्यों केन्सर हुआ?

दादाश्री : भक्ति की, उसका फल तो अभी बाद में आएगा। अगले जन्म में मिलेगा। यह पिछले जन्म का फल आज मिला और आज आप अच्छे गेहूँ बो रहे हो, तो अगले जन्म में आपको गेहूँ मिलेंगे।

प्रश्नकर्ता : कर्म के कारण रोग होते हैं, तो दवाई से कैसे मिटते हैं?

दादाश्री : हाँ। उन रोगों में वे पाप ही किए हुए हैं न, वे पाप नासमझी से किए थे, इसलिए दवाईयों से मदद मिल जाती है और हेल्प हो जाती है। जान-बूझकर किए हों, उनकी दवाई-ववाई कुछ मिलती नहीं। दवाई मिलती ही नहीं है। नासमझी से करनेवाले लोग हैं बेचारे! नासमझी से किया हुआ पाप छोड़ता नहीं है और जान-बूझकर करनेवाले को भी छोड़ता नहीं है। परन्तु नासमझीवाले को कुछ मदद मिल जाती है और जान-बूझकर करनेवाले को नहीं मिलती।

Read More