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New bites

hello

dimpledas211732

ખૂલ્યું કિતાબનું એ જ પાનું
મહેકતું હતું જેમાં નામ તારું…
-કામિની

kamini6601

mind motivated 💭

gayatreegayatree.482743

"When the Sun Whispers to the Heart"

The sun begins its slow descent,
A golden hush, the day's lament.
Its colors bleed through clouds so wide,
A canvas where our thoughts confide.

It dips below the edge of time,
A fleeting hour, near-sublime.
And in that pause, when light grows thin,
The soul recalls what lies within.

A breath we didn’t know we kept,
A dream that stirred while daylight slept.
The aching hush, the amber gleam,
Feels like the echo of a dream.

The sky becomes a gentle fire,
A mirror to each lost desire.
The heart, once closed in silent night,
Now opens to the falling light.

For sunsets speak in tender hues
Of love once felt, and paths we choose.
They write in gold, then fade away—
A promise wrapped in end of day.

So let it burn, then let it go,
Like all the things we’ll never know.
Each sunset, though it fades from view,
Leaves behind a softer you.

vloggingmood.910690

Some sunsets are not just endings, they’re quiet conversations between the sky and the heart — reminding us that even endings can be beautiful🫀

vloggingmood.910690

💘 imran 💘

imaranagariya1797

'चोट खाने के लिए इश्क़ की ज़रूरत नहीं..
ज़ख्मों का बखिया तो
सारे रिश्तों को उधेड़ देता है..."
--डॉ अनामिका--

rsinha9090gmailcom

Let's take a look at the divine moments from the photo gallery of Pujyashree Deepakbhai's Dharampur visit 2025: https://dbf.adalaj.org/7Zpd7QYd

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dadabhagwan1150

कहानी का नाम: "लास्ट बेंच वाला लड़का"

टाइटल - “लास्ट बेंच वाला लड़का” — एक अधूरी लेकिन सच्ची मोहब्बत।


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कहानी शुरू होती है…

> “वो हमेशा पहली बेंच पर बैठती थी… और मैं लास्ट पर।”


वो टॉपर थी, मैं बैकबेंचर।
वो नोट्स बनाती थी, मैं नाम के आगे डिजाइन।
वो प्रोफेसर की फेवरेट थी, मैं डिसिप्लिन की बुराई।

फिर भी मैं हर दिन कॉलेज आता था — उसे देखने के लिए।


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नाम था उसका — अनाया।
उसकी मुस्कराहट से ज़्यादा प्यारी चीज़ मैंने कभी नहीं देखी थी।

कभी बात करने की हिम्मत नहीं हुई।
बस… क्लास के कोने से चुपचाप देखना मेरी रोज़ की आदत बन गई थी।

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एक दिन…

लाइब्रेरी में वो अकेली बैठी थी। मैंने देखा — वो रो रही थी।
हिम्मत जुटाकर उसके पास गया।

> "सब ठीक है?"



वो हैरान हुई, क्योंकि हमने पहले कभी बात नहीं की थी।

उसने धीरे से कहा,

> “सब सोचते हैं मैं परफेक्ट हूं... लेकिन अंदर से बहुत थक गई हूं।”



मैंने सिर्फ इतना कहा,

> “अगर किसी दिन अपनी परफेक्ट ज़िंदगी से छुट्टी चाहिए हो, तो लास्ट बेंच आ जाना।”

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उस दिन के बाद… कुछ बदल गया।

वो कभी-कभी मेरी बेंच पर बैठने लगी।
कभी-कभी बिना कुछ कहे मुस्करा देती।
और एक दिन उसने अपनी डायरी मुझे थमा दी।

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डायरी में लिखा था:

> “तुम्हें शायद पता न हो,
लेकिन जब पहली बार तुमने मेरी ओर देखा था,
तब से मैं भी हर दिन तुम्हें देखती हूं —
फर्क बस इतना था कि तुम लास्ट बेंच से देखते थे,
और मैं मिड बेंच से छुपकर।”

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5 साल बाद — आज मैं उसकी शादी में आया हूं।

वो दुल्हन बनी बैठी है — खूबसूरत, चमकती हुई।

मैं उसे दूर से देख रहा हूं।
आज भी वही मुस्कराहट है — और मेरी आंखों में वही सुकून।

> “कभी-कभी, प्यार जताने से पहले ही मुकम्मल हो जाता है…
और फिर सिर्फ एक लास्ट बेंच की याद बनकर रह जाता है।”

pawanvaishnav

સુખ એટલે મુશ્કેલીમાંથી રસ્તો કઢાવાનો આનંદ..
સુખ એટલે જીવનની ચેલેંજીસને ચેલેંજ આપવાનું નામ..
Good morning
#Swati_Bhatt

swatibhatt4608

🙏

aroderikatoki7084

गणपति बप्पा मोर्या 🙏

aroderikatoki7084

Jai Shree Ram🙏🙏🙏

aroderikatoki7084

“डर को हराना नहीं, समझना होता है। और जब मन को समझ लिया जाए — तो वही मन हमें हमारी मंज़िल तक पहुँचा सकता है।”
📘 ‘मन की हार, ज़िंदगी की जीत’ — एक किताब, जो सिर्फ़ पढ़ी नहीं जाती, महसूस की जाती है।

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✍️ By: धीरेंद्र सिंह बिष्ट

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dhirendra342gmailcom

My thoughts 💭

gayatreegayatree.482743

सोचो जरा 🤨 good night sweet dreams 😴😪

gayatreegayatree.482743

पाऊस आला की ना, अंगणात टपटपणाऱ्या सरींसोबत मनातही काहीसं चिंब चिंब होतं. अशा वेळी खंदा भाज्यांचा सुवास स्वयंपाकघरातून दरवळू लागतो, आणि हातात गरम गरम चहा असावा... मग काय, एका खुरडलेल्या खुर्चीवर अंगणाच्या व्हरांड्यात बसावं, आणि निसर्गाच्या प्रेमळ स्पर्शाला डोळ्यांनी प्यावं.

पानांवरून सांडणारे थेंब, गच्च झालेलं आकाश, आणि थोडंसं एकटं पण शांतसं वातावरण — हे सगळं जणू आपल्याशी संवाद करतंय. खंदा भाज्यांचा प्रत्येक कुरकुरीत घास आणि चहाचा प्रत्येक घोट, मनाच्या आत खोल खोल कुठेतरी पोहचतो.

तुमचंही असंच वाटतं ना?
हा पाऊस फक्त निसर्गाचा उत्सव नसतो, तो आपल्या आठवणींचा, प्रेमाचा आणि शांततेचा एक गोडसो समारंभ असतो.

— एका मराठी मनाचं चिंब शब्दांकन.

fazalesaf2973

एकदा पाऊस थांबला होता आणि झाडाची एक फांदी म्हणाली, ‘तू नाही वाचवलंस मला, तरी मी सावली देईन तुला.’ माणूस हरवतो तिथे निसर्ग अजूनही माणूसपण जपतो."
Plant 🌲🌳🌴-Save Trees 🌲🌳🌴

fazalesaf2973

आजच्या यंत्रयुगातही, जर आपण मनाचा झरा उघडला, तर अजूनही माणुसकी जिवंत आहे.
एका अनोळखी रिक्षाचालकाने पावसात थांबून एखाद्या शाळकरी मुलाला नेलं, एका शेतकऱ्याने अन्न नसतानाही अर्धं भाकरी वाटली – ही उदाहरणं आजूबाजूलाच आहेत.

fazalesaf2973

एखाद्या संध्याकाळी, वाऱ्याच्या झुळुकीसोबत घरात परतणाऱ्या चहा-भजीच्या वासासारख्या आठवणी मनात दरवळतात. त्या भूतकाळातल्या क्षणांचं असं काही नातं असतं की, ते शब्दांत पकडता येत नाही; ते फक्त मनात उमटतात

fazalesaf2973

कहानी - "5 मिनट की मुलाकात"

"क्या कभी किसी अजनबी से 5 मिनट की मुलाकात, आपकी पूरी ज़िंदगी बदल सकती है?"

स्टेशन नंबर 3, सुबह 8:10 बजे

मैं ऑफिस के लिए रोज़ उसी लोकल ट्रेन से जाता था। वही लोग, वही चेहरे। पर उस दिन एक नया चेहरा दिखा — सफ़ेद सलवार सूट, माथे पर छोटी सी बिंदी और कानों में हल्के झुमके।

वो चुपचाप बैठी थी और "द अल्केमिस्ट" पढ़ रही थी।
मेरी नज़रें उस किताब पर थीं… और थोड़ा-बहुत उस पर भी।

मैंने हिम्मत करके पूछा,

> "अच्छी लग रही है किताब?"


उसने मुस्कराकर देखा और कहा,

> "हाँ, पर हर किसी की कहानी किताब जैसी नहीं होती..."

मैं थोड़ा मुस्कराया,

> "शायद असली जिंदगी में ज्यादा मज़ा है।"



हम दोनों हँसे। पहली बार किसी अजनबी से 5 मिनट की बातचीत इतनी सुकून देने वाली लगी।

घंटी बजी।
ट्रेन आने ही वाली थी।

मैंने कहा,

> "कल फिर यहीं मिलेंगे?"
वो मुस्कराई, लेकिन कुछ नहीं कहा।

ट्रेन आई। वो चढ़ी। और मुझे बस एक कागज़ का टुकड़ा थमा गई।


---

ट्रेन निकल चुकी थी।
मैंने कागज़ खोला।

> **"मेरी शादी अगले हफ्ते है।
शुक्रिया इन 5 मिनटों के लिए।

नंदिनी"**

मैं कुछ पल खामोश खड़ा रहा।

कभी-कभी, कुछ लोग आपकी जिंदगी में सिर्फ एक लम्हा छोड़ने आते हैं — और वो लम्हा, हमेशा के लिए रह जाता है।

दोस्तों यह मेरी पहली कहानी थी आशा करता हूं आपको अच्छी लगी होगी।🙏

आपका अपना ~ पवन वैष्णव

pawanvaishnav

gautam0218