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New bites

मरा नहीं हूँ, और जिंदा भी नहीं हूँ…

मैं वो ख्वाब हूँ जो खुली आँखों में कैद है,
एक आवाज़ हूँ जो किसी के कानों तक नहीं पहुंचती।
मैं धड़कन हूँ, मगर एहसास से खाली,
एक लम्हा जो वक़्त के दरमियान अटका है।

मैं साया हूँ, मगर रोशनी से दूर,
एक रास्ता हूँ, मगर मंज़िल से महरूम।
मैं सांस लेता हूँ, पर जिंदा होने का अहसास नहीं,
शरीर हूँ, मगर रूह से जैसे जुदा हूँ।

शायद मैं एक अधूरी दास्तान हूँ,
जिसका न कोई आग़ाज़ है, न कोई अंजाम।
या फिर मैं वो सवाल हूँ,
जिसका जवाब किसी के पास नहीं…

joshibook253485

ever seen?!

bkswanandlotustranslators

#विश्व_रंगमंच_दिवस

ये जिंदगी का रंगमंच और शतरंज़ की बिसात है।
कहीं सहरा, कहीं दरिया, ये क़ुदरत के अंदाज है।
परिंदों और जानवर से ज़ुदा तेरी इक पहचान है,
निभा क़िरदार शिद्दत से, न भूल कि तू इंसान है।

. . . विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) हर वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है। वर्ष 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट ने इस दिन की स्थापना की थी। ऐसा माना जाता है कि पहला नाटक पांचवी शताब्दी के प्रारंम्भिक दौर में एथेंस में एक्रोप्लिस में स्थित थिएटर ऑफ़ डायोनिसस में आयोजित हुआ था। और उसके बाद ही थिएटर पूरे ग्रीस में तेज़ी से चर्चित हुआ।
विश्व रंगमंच दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों में

थिएटर को लेकर जागरुकता लाना और थिएटर की अहमियत याद दिलाना है।

हालांकि भारत में बदलते समय के साथ रंगमंच का चलन कम हो गया है, लेकिन फिर भी 'मल्टीप्लेक्स' के बावजूद, आज भी नाट्य अकादमी, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज और नुक्कड़ नाटक के जरिए, रंगमंच काफी प्रचलन में है।

. . . वीर।

veermehta

વિશ્વ રંગમંચ દિવસ.

sonalpatadiagmail.com5519

✿ એકાંત - Solitude ✿

rupaljadav173815

🟢कैरी 🧅कांदा चटणी

🟢 साहित्य
एक मध्यम कैरी
एक मध्यम कांदा
साखर दोन चमचे
एक मिरची बारीक चिरून
एक चमचा तिखट
मीठ चवीनुसर
अर्धा चमचा जिरे
मोहरी आणि हिंगाची फोडणी

🟢कृती
कैरी साल काढून किसून घ्यावी
कांदा कीसून घ्यावा
कैरी कांदा कीस,थोडे जिरे साखर, मीठ हे सर्व एकत्रित करून घ्यावे
मोहरी हिंग फोडणी करुन त्यात एक चमचा तिखट घालावे
व लगेच ती फोडणी कीसावर ओतावी
परत हे सगळे मिश्रण हलवुन घ्यावें

🟢बारीक मिरची व तिखट दोन्हींमुळे एक वेगळा स्वाद या चटणीला येतो

jayvrishaligmailcom

अब न सेहरी न इफ्तारी होगी,
रोजा की बहुत याद आती होगी।
माफ करना हमारी गलतियों को दोस्तो,
क्या पता जिंदगी का ये, आखिरी रमजान हो।

mrsfaridadesar

अधूरी मोहब्बत: राजू और पूजा की प्रेम कहानी
प्रेम की अनकही शुरुआत
मधुबनी जिले के खजौली ब्लॉक के कन्हौली बैरबन्ना गाँव का रहने वाला राजू एक साधारण लेकिन भावुक लड़का था। वह अपने गाँव का सीधा-सादा युवक था, जिसे पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता था, जितना कि पूजा की एक झलक पाने में। पूजा चतरा गाँव की रहने वाली थी, और दोनों गाँव पास-पास ही थे।
राजू के लिए पूजा सिर्फ एक लड़की नहीं, बल्कि उसके जीवन की सबसे खूबसूरत हकीकत थी। वह अक्सर सुबह 5 बजे बैरबन्ना पुल पर खड़ा रहता, बस पूजा को देखने के लिए। पूजा हर सुबह खजौली कोचिंग के लिए निकलती थी, और राजू का दिन तब तक शुरू नहीं होता जब तक वह उसे देख नहीं लेता।
वो कभी पूजा से बात नहीं करता था, बस दूर से देखता रहता। कई बार उसकी आँखों में एक सवाल उभरता, "क्या वह कभी मुझे भी देखेगी?" लेकिन पूजा अपने ही ख्यालों में मग्न रहती। राजू हर रोज़ ठानता कि आज वह उससे बात करेगा, लेकिन जब पूजा पास आती, उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता और शब्द गले में अटक जाते।
दिल की बात दिल में ही रह गई
वक़्त बीतता गया, दिन, हफ्ते, और फिर साल गुजर गए, लेकिन राजू की हिम्मत नहीं जुटी। वह हर रोज़ बस एक झलक देखकर खुश हो जाता।
फिर एक दिन अचानक राजू को पता चला कि खजौली में पढ़ने वाले एक लड़के ओम ने पूजा को प्रपोज कर दिया। ओम सीधा-सपाट लड़का था, उसने बिना हिचक पूजा के सामने अपने दिल की बात रख दी। पूजा ने कुछ देर सोचा, मुस्कुराई, और फिर ओम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
जब यह बात राजू को पता चली, तो उसका दिल टूट गया। वह ठगा-सा महसूस कर रहा था। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। जिसे वह इतनी शिद्दत से चाहता था, वह अब किसी और की हो चुकी थी।
राजू ने खुद को कोसा, "काश मैंने पहले कह दिया होता! काश मैं डरता नहीं!" लेकिन अब पछताने के अलावा कुछ नहीं बचा था।
खामोश मोहब्बत का दर्द
अब भी जब पूजा कोचिंग जाती, राजू उसी पुल पर खड़ा होता। लेकिन अब उसकी आँखों में पहले जैसी चमक नहीं थी। अब वह पूजा को देखकर मुस्कुराता नहीं था, बल्कि मन ही मन रोता था।
एक दिन उसका दोस्त रमेश बोला, "राजू, तूने कभी हिम्मत ही नहीं की, तो उसे कैसे पता चलता कि तू उसे चाहता है?"
राजू के पास कोई जवाब नहीं था। मोहब्बत सिर्फ महसूस करने से पूरी नहीं होती, उसे कहने की भी हिम्मत चाहिए। लेकिन राजू में वो हिम्मत कभी नहीं आई।
पूजा अब खुश थी, और राजू सिर्फ सोचता रह गया कि "क्या होता अगर मैं अपनी मोहब्बत का इज़हार कर देता?" शायद कहानी कुछ और होती। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
अधूरी कहानी, अधूरी मोहब्बत
समय बीतता गया, लेकिन राजू की मोहब्बत वहीं ठहर गई, उसी पुल पर, उसी सुबह के 5 बजे। वह अब भी रोज़ वहाँ जाता, लेकिन पूजा के लिए नहीं, बल्कि उन यादों के लिए जो अब भी उसके दिल में बसी थीं।
कुछ प्रेम कहानियाँ कभी पूरी नहीं होतीं, क्योंकि प्यार के साथ-साथ हिम्मत भी ज़रूरी होती है... और राजू वही हिम्मत नहीं कर पाया।

realrahulrajaa

saurabhji.223636

**સાંજ ધળતી હતી, પંખીઓ ઘેર વળતા હતા,**
કોઈ સાથે, કોઈ એકલું, સ્મિત સાથે વળતા હતા।

દિવસભરનું બોજું, હવે મગજમાં ધૂમતું હતું,
મનનો થાક ન ઝુંકાતો, પણ શરીર બધું તૂટતું હતું।

કામના ઘસારા વચ્ચે, જીવનના સપના ખોવાયા,
મજુરની ઈચ્છાઓ માનવીય જરૂરિયાતે ઢંકાયા।

ઘરે દીકરીની હંસી હતી, પત્નીનો મધુર સ્વર,
પણ અંદર ક્યાંક બન્ને આંખોમાં હતો દર્દનો અખડવર।

હાસ્ય પણ ઝૂઠું લાગે, હૈયામાં છે બળતી આગ,
વિશ્રામમાં પણ વસે છે દુઃખના વણમાટેના રાગ।

આશાઓ છે, પણ સમય સાંભળે નહીં,
મનના ઉથલ-પાથલને કોઈ ઓળખે નહીં।

માત્ર કાગળે ખૂણું છે, જ્યાં પ્રેમ વહેતો રહે,
આ બોળી દુનિયામાં તે જ મારી એક સાથ રહે।

"હું થાકે છૂપાવો છું, છીપી રહ્યો છું દુઃખ,
એમ જતો છીહું ઘર, જ્યાં પ્રેમે આપ્યો છે સુખ।"

સાંજ ધળતી હતી, પંખીઓ ઘેર વળતા હતા,
અને હું મારા લાગણીઓ કાગળ પર છાંટતો હતો।

તારાઓની ઝળહળીઓમાં મારા સપનાઓ છે છુપાયેલા,
છતાં, જીવનના શ્વાસ કવિતામાં છે ધબકાતા જીવાતા

nensivithalani.210365

I would like to wish everyone who enjoys theatre... a very happy World Theatre Day.

salillupadhyay

વસ્તુ હોય કે વ્યક્તિ તેને ખોવા નો ડર માત્ર ત્યાં સુધી જ હોય જ્યાં સુધી મેળવી ના લીધું હોય !!

krupalipatel.810943

क्या सितम है वक़्त का,
इस दौर का हर आदमी,
है तो इक किरदार पर,
अपनी कहानी का नहीं...

dipika9474

తల్లితండ్రులకు విజ్ఞప్తి

luckyvicky2615

-વિશ્વરંગમંચ દિવસ-
મળે જે કિરદાર જિંદગી
ના રંગમંચ પર
એવી રીતે નિભાવો કે
ગર્વ થાય ખુદ પર…
-કામિની

kamini6601

में शक्ति हूं, में साहस हूं,
में ममता की मूरत हूं।
में घर की नींव हूं,
में जीवन का सार हूं।
में बेटी हूं, में बहन हूं,
में पत्नी हूं, में माँ हूं।
हर रूप में देवी हूं,
हर रिश्ते में जान हूं।
में कोमल हू, में कठोर हू,
में धैर्य की परिभाषा हूं।
में त्याग की मूरत हूं,
में प्रेम का सागर हूं।
में शिक्षित हूं, में सक्षम हूं,
में आत्मनिर्भर हूं।
में समाज की निर्माता हूं,
में देश की शान हूं।
में औरत हूं, में नारी हूं,
में सृष्टि का आधार हूं।
में सम्मान की हकदार हु,
में गर्व का प्रतीक हु।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

palewaleawantikagmail.com200557

Do You Know that if a person has kindness, he will also have predisposition to cruelty?

Read more on: https://dbf.adalaj.org/Zj3FWjlp

#doyouknow #kindness #facts #DadaBhagwanFoundation #dadabhagwanfoundation

dadabhagwan1150

🦋...SuNo न┤_★__
ए लड़की..आज सुबह-सुबह मैंने एक     
ख्वाब देखा था और उस ख्वाब में मैंने
तुम्हारा घर देखा था,

उसमें पहाड़ों से सटा हुआ वादियों में
दरवाजे के पास गुलाब की क्यारी"
और उसी के पास खड़ी हुई तुम मुझे
देखकर बेहद खुश हो रही थी,

दावत पर बुलाया था तुमने शायद घर
में कोई समारोह था फोन पर तो तुमने
सिफ इतना ही कहा था कि" तुम्हें तो
आना ही पड़ेगा,

जब तुम मुझे अपना घर दिखा रही थी
  मैं तुम्हारी आंखों में अपना घर बना
                    रहा था,

घर के लोगों से मिलवाते वक़्त तुम
कुछ शरमा रही थी, और मैं तुम्हें बस
घूरे जा रहा था,

जाते वक़्त तुमने पीछे से आवाज दी
और तभी मेरी नींद टूट गई,

उसी वक़्त वो ख्वाब महज़ इक ख्वाब
बन कर ही रह गया,

मैंने सुना था कि सुबह के ख्वाब सच
हो जाया करते हैं"

ठीक इसी उम्मीद में मैं दोबारा सोने
की कोशिश में लगा हूं,

ताकि वो ख्वाब फिर से आए जहां
हम दोनों एक दूजे को खुदा हाफिज
भी नहीं कह पाए थे..🥀🔥
╭─❀💔༻ 
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
   #LoVeAaShiQ_SinGh °
  ⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪   
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loveguruaashiq.661810

saurabhji.223636

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