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एक प्रेम हैं एक निराशा है एक दर्द है एक सहारा है एक पुकार है एक मायूसी की खामोशी है एक अकेलापन है और एक हम हैं - rakhi jain
एक उम्मीद जो हर उम्मीद के मरने के बाद भी जिंदा रहती है उसने ही बचा रखा है इस तन को... - rakhi jain
काश कोई सुन पाता दिल की गहराइयों को... मेरा यकीन है चुप कराने से पहले वो भी रो देता - rakhi jain
किसी की दुनिया आसमान और किसी की जमीन रह जाती है। खिड़की से दिखने वाला वो तारा हमारा नहीं होता.. - rakhi jain
हम भी तो किसी के प्यारे हो सकते थे इतने बुरे भी तो नहीं जख्म किसी को दिख तो सकते थे हम इतने खुश तो नहीं सोचते हैं कभी कोई पूछ ले हुआ क्या सच कुछ कहने को नहीं ख्वाहिशें तो अब भी है उड़ जाने की हम किसी बंधन बंधे तो नहीं यू तो कई उम्मीदें हैं जी उठने की ताज्जुब हैं हम मरे तो नहीं
जिंदगी में लाख परेशानी हो अगर नासमझ बन पा रहे हो तो lucky हो तुम... क्योंकि जिदंगी जब समझदार बनाती है तो बहुत तोड़ देती h - rakhi jain
सबने आपके भरोसे छोड़ा है मुझे भगवन् .... अब जिम्मेदारी आपकी आप मत छोड़ना मुझे किसी और के भरोसे..🙏🏻🙏🏻
ओ मेरे दिल के चैन.. कभी बिन बताए आ जाना बाहें मेरी खुली हुईं हैं चुपके से तू समा जाना ओ मेरे दिल के चैन कभी आ जाना चुपके से मैं समेट लूंगी तुझे तू फिकर न कर हु मैं भी बेताब तू ज़िक्र ना कर मेरे बस में होता तो कह ही देती तू बार बार यूं सवाल ना कर ओ मेरे दिल के चैन कभी आ जाना चुपके से ये याद मरहम है या तलवार की नोंक है ये जख्म प्यार है या अधूरा शौक है साथ है तू हर हिस्से में मेरे पर फिर भी तेरी बहुत कमी है ओ मेरे दिल के चैन कभी आ जाना चुपके से कहने को सबर नहीं एक पल का भी मुझे हिसाब नहीं एक दिन का भी वो कुछ है जो कहना बाकी है वो कुछ है जो मिलना बाकी है ओ मेरे लिए के चैन कभी आ जाना चुपके से एक सवाल है जो बार बार उठता है एक वक्त के लिए हर वक्त इंतेज़ार रहता है कभी इस ओर करवट कभी उस ओर होती है मिले आराम कैसे रात से सुबह इसी में होती है ओ मेरे दिल के चैन कभी आ जाना चुपके से दिलचस्पी नहीं है मेरी तेरे सिवा कही भी तू था तो जिंदा थी हर लगन मेरी अब हर रोज नया जुगाड करना पड़ता है ये मजबूर दिल हैं इसे काम पर लगाए रखना पड़ता है ओ मेरे दिल के चैन कभी आ जाना चुपके से
* वो मोहब्बत मीठा जहर है जो सबब नहीं सबक दे कर जाती है। * रिश्ते गुमशुदगी से टूट जाते है जब शिकायतें करना बंद हो जाया करती है । वो फिर एक तरफा ही रह गया है जो निभाया जा रहा है आप उम्मीद करने के लायक रहे नहीं। * अगर कोई आपके सामने मासूम बन पा रहा है तो किरदार आपका वाकई काबिल ए तारीफ है ।
मांगने पर मिली हुई चीज वो नहीं होती जो मांगी गई थी। जैसे मदद मांगने पर एहसान मिलता है साथ मांगने पर तरस प्यार मांगने पर उलाहना समर्पण मांगने पर गुलामी इज्जत मांगने पर दिखावा और रक्षा मांगने पर आसरा पर वो कभी नहीं मिलता जो आप सच में चाहते थे । इसलिए मांगना व्यर्थ है। देना त्यागना सहज - rakhi jain
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