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## भाई-बहन के अटूट बंधन को समर्पित — अभिषेक मिश्रा की ‘बहना चालीसा’ रक्षा बंधन के पावन अवसर पर बलिया के युवा कवि "अभिषेक मिश्रा" ने अपनी कलम से एक ऐसी अद्भुत रचना दी है जो भाई-बहन के रिश्ते की अमर गाथा बन गई है। *“बहना चालीसा”* न केवल शब्दों का संकलन है, बल्कि स्नेह, ममता, त्याग और बचपन की अनगिनत यादों का साहित्यिक मंदिर है। कवि ने दोहों और चौपाइयों के माध्यम से बहन के रूप को देवी स्वरूप में चित्रित किया है—कभी वह मां बनकर संरक्षण देती है, कभी गुरु बनकर राह दिखाती है, तो कभी त्याग की प्रतिमूर्ति बन जाती है। अभिषेक मिश्रा कहते हैं— “मेरे लिए बहन केवल रिश्ता नहीं, बल्कि जीवन का सबसे खूबसूरत आशीर्वाद है। ‘बहना चालीसा’ लिखना मेरे लिए भावनाओं का सबसे बड़ा पर्व था।” रचना में कुल 30 चौपाइयाँ हैं, जिनमें बहन के बचपन, विवाह, ससुराल, भाई के लिए त्याग, राखी का पवित्र बंधन और विदाई के आँसू तक का विस्तारपूर्वक वर्णन है। 🌸 बहना चालीसा 🌸 ॥ दोहा ॥ स्नेह-सुमन सरसाइ बहै, राखी रस की धार। मंगल मूर्ति बहन रूप, बंधे प्रेम उपहार॥ अभिषेक वंदन करे, बहना चरणों धार। तेरे पावन प्रेम से, जीवन हो उजियार॥ ॥ चालीसा (चौपाई) ॥ जय बहना स्नेह की रानी। ममता रूपी जीवन वाणी॥ तेरी महिमा कौन बखाने। हर रिश्ते में प्रेम जगावे॥ बाल्यकाल में साथ निभाया। हर मुस्कान में दुख छुपाया॥ बचपन की तू राजकुमारी। भाई की तू रही सहारी॥ राखी बाँधे रख भाव पवित्रा। मन में बसती शक्ति चित्रा॥ रूठे तो खुद पास बुलाए। माँ जैसी ममता बरसाए॥ तू लक्ष्मी बन घर में आए। भाई के हित द्वार सजाए॥ तेरी हँसी सुखद सुनाई। मन में शांति करे समाई॥ तेरी आँखें स्वप्न सँवारे। तेरे आँसू दुख सब मारे॥ तू ही शक्ति, तू ही पूजा। तू ही सेवा, तू ही दूजा॥ तेरे बिना घर सूना लागे। भाई का रोया मन जागे॥ सावन लाया राखी-प्रीत। तेरे बिना सब है अतीत।। तेरी बातें हैं शीतल छाया। दुख के बादल भी मुस्काया॥ भाई को जो संकट घेरे। बहना उसकी ढाल सवारे॥ भाई बीमार हुआ जो भारी। बहना रखे उपवास तुम्हारी॥ तेरे हाथों का हर निवाला। माँ के लड्डू सा रसवाला॥ तेरे आँचल की वो छाया। सब संकट से दे बचाया॥ कभी बहन माँ बन जाए। कभी गुरु बन राह दिखाए॥ त्यागी रूप, सरलता भारी। हर रूप में बहना न्यारी॥ तेरा नाम जपे जो प्राणी, सुख बरसे घर-आंगन सारा॥ तेरे बिना सूने त्योहार। मन ना माने, ना हो बहार॥ तू ससुराल में राजदुलारी। बाबुल घर की तू उजियारी॥ बचपन में तू संग बतियाए। अब दूरी पर अश्रु बहाए॥ हर जन्म में तू साथ निभाना। बहन बन हर बार तुम आना॥ तू ही श्रद्धा, तू ही भक्ति। तेरे बिना न पूर्ण शक्ति॥ अश्रु भी तेरे अमृत बनते। हर शब्दों में गीत जपते॥ हर मन में तू दीप जलाए। तेरे बिन स्नेह न आए॥ भाई बोले दिल से प्यारा। मेरी बहना, तुझपे न्यारा॥ बहना चालीसा जो जन गावे। भाई-बहन सुख-फल पावे।। द्वेष मिटे, हो प्रेम अपारा। संग रहे खुशियों का धारा॥ ॥ समापन दोहा ॥ बहना चालीसा गाए जग, अभिषेक की वाणी। हर बहन में देखे वो, ममता की बलिदानी॥ अभिषेक वंदन करै, बहना चरणन पाय। राखी बंधन अमर रहे, जग में प्रेम समाय॥ बोलो सब बहना चालीसा की जय। बोलो सब बहना महारानी की जय
ना बोले कुछ, ना मांगा कुछ, बस हर दिन साथ चला, धूप मेरे हिस्से ना आए — वो खुद साया बना चला। कभी नींद मेरी बेचैन हुई — तो करवटें वो गिनता था, मैं जब मुस्काता था तो, भीतर ही भीतर वो रोता था। स्कूल की पहली घंटी से, कॉलेज की आख़िरी मंज़िल तक, जो हर कदम पे छाया बन, रहा हमेशा फ़ासले रख। ना ताली बजाई कभी — ना मंच पे आया सामने, पर हर तालियों के पीछे, उसका ही नाम था छुपे। पढ़ाई की फीस, किताबों का बोझ — सब अपनी जेब से तौला, ख़ुद पुराने कपड़े पहने — पर मेरे लिए नया जोड़ा खोला। मैं जीता रहा ख्वाबों में, वो जीता रहा हकीकत में, मैं उड़ने लगा ऊँचाई में, वो झुका रहा ज़मीन पे। बचपन में जब गिर जाता — वो चुपचाप सहारा देता था, कंधों पर नहीं, सीने पर — सपनों को सहेजा करता था। ना 'आई लव यू' कभी कहा — ना बाँहों में लिया मुझको, पर हर 'ना कहे' को भी — प्यार बना दिया उसने खुद को। अब जब दूर हूँ, बड़ा बन गया, दुनिया में मशहूर हुआ, पर दिल के कोने में आज भी — उसका साया भरपूर हुआ। वो अब भी मौन है, पर हर आशीष की जुबां है, मैं जो कुछ भी हूँ — बस 'पापा की परछाईं' हूँ, यही मेरी पहचान है। Father's Day Special Song https://youtu.be/XqZqUhe1t1M #Father 's Day #PitaKiParchhai
"जब पुरुष रोते हैं, तो उन्हें कमजोर कहा जाता है..." हम भले ही 21 वीं सदी में हों, लेकिन समाज का एक तबका आज भी पुरुषों की भावनाओं को नज़रअंदाज़ करता है। घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना, और झूठे आरोप ये सब सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, पुरुषों के लिए भी होते हैं। Baagi Baani के माध्यम से मैंने एक कोशिश की है, एक आवाज़ उठाई है - "मर्द भी इंसान हैं: सुनो उसकी खामोशी" एक socially conscious हिंदी गीत जो पुरुषों की चुप्पी को तोड़ने का प्रयास करता है। [https://youtu.be/HDzhJ56LnCE?si=U2RB6hXUFmIIqV40] अगर आप मानते हैं कि हर इंसान के अधिकार समान हैं, तो इस पहल को समर्थन दें। Because justice is not gender-specific. It's human. What do you think about this Thumbnail, how much u rate it on the scale of 1 to 10? #MensRights #SocialChange #VoiceForMen #BaagiBaani #Gender Equality #MusicForChange #LinkedInForImpact #HindiSong #EmotionalAwareness
🌸 माँ से दूर रहकर… चाय तो बनती है, पर स्वाद माँ की उँगली जैसा नहीं, बिस्तर तो बिछता है, पर सुकून माँ की गोद जैसा नहीं। भीड़ में भी तन्हा लगता है, जब माँ की आवाज़ सुनाई नहीं देती, दुनिया से लड़ जाता हूँ मैं, पर माँ के आँसू से लड़ाई नहीं होती। हर उस बच्चे के लिए ये गीत है, जो माँ से दूर है — पर उसकी ममता अब भी उसकी धड़कनों में बसती है… 💔🎶 📌 “माँ तेरी ममता से दूर हूँ” – सुनिए और माँ को महसूस कीजिए... https://youtu.be/cXAjJDmr8K4?si=l-QEUgH2aIyaVvQ8 और इस छोटे से चैनल Baagi Baani कि आवाज को सपोर्ट कीजिए।
"बचपन की मासूमियत और खुशियों को याद करते हुए एक भावपूर्ण कविता। उम्मीद है आप सभी को ये यादें भी उतनी ही प्यारी लगेंगी जितनी मुझे।"
📘 "Digital Depression: एक नई महामारी" ✍️ लेखक: अभिषेक मिश्रा 🌐 जब दुनिया सबसे ज़्यादा कनेक्ट हुई — हम अंदर से सबसे ज़्यादा टूटे। क्या कभी आपने सोशल मीडिया पर मुस्कराते चेहरे के पीछे छुपे हुए आँसू देखे हैं? यह सिर्फ़ एक नॉवेल नहीं, बल्कि 21वीं सदी की उस सच्चाई की गवाही है जो हम हर दिन जीते हैं... पर बोलते नहीं। 🔹 6 महीने का सफर 🔹 रातों की नींद और अंदर की चुप्पी 🔹 अब बन चुकी है एक किताब — एक चेतावनी, एक कहानी, एक आईना। 📱 डिजिटल ज़माना केवल सहूलियत नहीं, एक चुनौती भी है। 💔 और जब दिमाग़ थकता है, पर स्टेटस "Active Now" दिखाता है — तब जन्म लेता है Digital Depression। 👉 जल्द ही होगा आप सभी के बीच मेरी पहली नॉवेल, Matru Bharti पर उपलब्ध! #DigitalDepression #नईमहामारी #AbhishekMishraWrites #MatruBharti #FirstNovel #MentalHealth #SocialMediaTruth "अगर आप भी कभी डिजिटल अकेलेपन से गुज़रे हैं, तो ये कहानी सिर्फ़ पढ़िए नहीं, महसूस कीजिए।" 📖 अब पढ़ें Matru Bharti ऐप या वेबसाइट पर।
"ज़िंदगी एक कविता है" हर सुबह की किरण में एक गीत छुपा होता है, हर साँझ की चुप्पी में संगीत सजा होता है। जो देख सके वो देखे इन लम्हों की रवानी, ज़िंदगी हर पल में एक कविता बना होता है। कभी बरसातों की बूँदों में नज़्में टपकती हैं, कभी पतझड़ की ख़ामोशी में ग़ज़लें चहकती हैं। हर दर्द, हर मुस्कान, हर धड़कन का रंग, इस काग़ज़ी जीवन में स्याही सी बहकती हैं। चलते रहो तो पंक्तियाँ खुद बनती जाती हैं, रुक जाओ तो अधूरी सी किताबें रह जाती हैं। मंज़िल न सही, मगर सफ़र का ये हुनर, हर मोड़ पे नई कविता सी महक जाती है। तो जब भी टूटो, बिखरो, ग़म से घिर जाओ, इन शब्दों की रौशनी में फिर से खिल जाओ। क्योंकि ये जीवन, अगर दिल से जिया जाए, तो हर आँसू, हर हँसी — एक कविता बन जाए। - अभिषेक मिश्रा बलिया
जब कुछ करना हैं ये ठान लिया, आलस्य को जीवन से त्याग दिया, कर जिद्द अपने मंजिल पाने कि, कम उम्र में घर से निकल पड़ा। हैं नींद चैन को त्याग दिया, जो करना हैं पहचान लिया, अब नींद से नाता तोड़ दिया, मेहनत से नाता जोड़ लिया। अब नींद मुझे उसी दिन आएगी, जब मंजिल खुद मुझे बुलाएगी, अब रातों में बिस्तर त्याग दिया, इन रातों को ही अपना मान लिया। फिर आंधी आए या तूफान चले, रास्ते में भले रुकावटें लाख आए, जब निकल पड़े मंजिल कि तरफ, तो चलता जा जहां तक राह चले। - Abhishek Mishra
सुबह की हवा कुछ कहती है, हर साँस में नयापन लाती है। जो कल छूट गया था हाथों से, वो आज फिर से पास बुलाती है। - Abhishek Mishra
✍️ "ना थाली में दाल थी, ना कागज़ पर रेखा, फिर भी कवि ने वह लिखा, जिसे कोई न देख सका।" इस कविता का उद्देश्य केवल पढ़ना नहीं है — बल्कि सोचना, महसूस करना और जागना है। यह रचना, उन हज़ारों-लाखों कवियों की वाणी है जो भूखे रहे, पर समाज को भावों से भरते रहे। "सम्मान नहीं मांगा, बस समझदारी की नज़र मांगी। कलम की कीमत पूछने वालों से, संवेदना की भीख मांगी।" 🟡 क्या हमने कभी किसी कवि की भूख को समझा? 🟡 क्या कविता केवल मंच की ताली है, या आत्मा की पुकार? 🟡 क्यों शब्दों से समाज बनता है, पर कवियों को भुला दिया जाता है? 🟡 क्या अब समय नहीं कि हम “कवि” को भी उतना ही मान दें — जितना एक वीर को, एक शिक्षक को, एक जनसेवक को? 🟡 क्या सिर्फ व्यावसायिक सफलता से ही व्यक्ति की कदर होनी चाहिए? यह कविता हर उस युवा को प्रेरित करती है, जो दिल में लिखने का जज़्बा रखता है, और उसे कहती है — "रुको मत, डरो मत, लिखते रहो। तुम्हारा कलम तुम्हारा धन है।" पूरी कविता पढ़ने के लिए प्रोफाइल visit करे या नीचे दिए गए link पर क्लिक कर के पढ़ें और प्यार दे https://hindi.matrubharti.com/book/19974891/kavi-kangal-kalam-dhanvan 🔖 #कवि_कंगाल_कलम_धनवान 🔖 #आत्मा_की_कविता 🔖 #शब्दों_का_संघर्ष 🔖 #कवि_का_सम्मान_कब ? 🔖 #AbhishekMishraKavita
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