Quotes by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Bitesapp read free

DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR

DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR Matrubharti Verified

@dhirendra342gmailcom
(155)

📘 “फोकटिया” – अब उपलब्ध है!
एकतरफा रिश्तों की वो कहानी, जो चुपचाप हर किसी की ज़िंदगी में कभी न कभी घट चुकी होती है।

“हमने वक़्त दिया, भरोसा दिया, हर बार खुद को तोड़ा…
मगर जब देने की आदत पड़ गई, तो लोगों ने लेना अपना हक़ समझ लिया।”
– फोकटिया से एक अंश

यह किताब केवल राजीव की नहीं, उन सभी की है जो रिश्तों में खोते चले गए और फिर खुद को ढूँढने की हिम्मत की।

“फोकटिया” एक ऐसा भावनात्मक सफर है जो आत्म-सम्मान, रिश्तों की गहराई और चुप्पियों के भीतर छिपे तूफानों की सच्चाई को उजागर करता है।

📖 अब पढ़ें फोकटिया – @amazon @flipkart और @notionpress पर उपलब्ध।
अगर आपने कभी किसी को दिल से निभाया है और बदले में खामोशी पाई है, तो यह किताब आपके लिए है।
🛒 🔗 https://amzn.in/d/7pmvNUj
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📘 फोकटिया – एकतरफा रिश्तों की सच्ची कहानी
Now Available on @amazon @flipkart @notionpress

क्या आपने कभी ऐसा रिश्ता निभाया है जहाँ आपने सब कुछ दिया – समय, भरोसा, जज़्बात – और बदले में सिर्फ चुप्पी, उपेक्षा या इस्तेमाल मिला?

“फोकटिया” ऐसी ही एक दिल को छू लेने वाली कहानी है, जो एकतरफा दोस्ती के दर्द, आत्म-सम्मान की तलाश और टूटे हुए रिश्तों की सच्चाई को सामने लाती है।

यह उपन्यास सिर्फ कहानी नहीं, एक एहसास है – उन रिश्तों का जो दिखते तो हैं साथ, लेकिन असल में हमें अकेला छोड़ जाते हैं।
“कभी-कभी ‘ना’ कहना खुद से वफ़ा होती है…”

फोकटिया की खास बात है इसकी सादगी और गहराई — यह किताब हर उस इंसान को छूती है जिसने कभी बिना शर्त किसी को निभाया हो।

📖 10,000+ पढ़ने वालों की पसंद बनी कहानी — अब प्रिंट में उपलब्ध।

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📚 “फोकटिया” अब प्रकाशित हो चुकी है!
एक ऐसी कहानी जो आपके दिल को छूएगी, और शायद आपकी ज़िंदगी की किसी अधूरी बात को शब्द दे दे।

“हमने वक़्त भी दिया, भरोसा भी…
पर जब देने की आदत पड़ गई,
तो लोगों ने लेना अपना हक़ समझ लिया।”

“फोकटिया” सिर्फ एक उपन्यास नहीं, बल्कि उन रिश्तों का आईना है, जो हमें खोखला करते हैं लेकिन हम फिर भी उन्हें निभाते रहते हैं।
यह कहानी है राजीव की — और हर उस इंसान की, जिसने कभी किसी दोस्त को दिल से निभाया, पर बदले में बस उपेक्षा पाई।

यह उपन्यास आत्मसम्मान, एकतरफा रिश्तों और चुप्पी के दर्द की आवाज़ है।
कभी-कभी, खुद को बचाना भी ज़रूरी होता है… और ‘ना’ कहना वक़्त की सबसे ज़रूरी भाषा।

📖 “फोकटिया” अब उपलब्ध है @amazon @flipkart और @notionpress पर।

#Phokatiya – एक आवाज़ उनके लिए, जो अब तक खामोश थे।

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📚 एक और किताब जुड़ गई है मेरी लेखनी की दुनिया में!

मैं बेहद खुशी और गर्व के साथ आपको बताना चाहता हूँ कि मेरी नई हिंदी किताब “फोकटिया” अब जल्द ही आपके सामने होगी। यह किताब सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक अनुभव है — उन रिश्तों का, जो हमारे जीवन में तो होते हैं, लेकिन हमारी आत्मा को धीरे-धीरे खोखला कर देते हैं।

“फोकटिया” एक ऐसी कहानी है जो एकतरफा दोस्ती, आत्मसम्मान और मानसिक संघर्ष की परतें खोलती है। यह उन लोगों की आवाज़ है, जो सालों तक चुपचाप रिश्तों को निभाते रहते हैं, बिना सवाल किए, बिना शर्त दिए जाते हैं… और बदले में केवल खामोशी, उपेक्षा या फिर धोखा पाते हैं।

इस उपन्यास का नायक राजीव, हमारे बीच का ही एक आम इंसान है — भावुक, सच्चा, और रिश्तों को दिल से निभाने वाला। लेकिन जब वही रिश्ते उसकी पहचान और आत्मसम्मान को निगलने लगते हैं, तो वह खुद से एक लड़ाई लड़ता है। यह कहानी उसी आत्म-खोज की यात्रा है।

हम सब की ज़िंदगी में कभी न कभी ऐसा कोई रिश्ता ज़रूर आता है, जो हमें सीख देता है कि खुद से प्यार करना भी ज़रूरी है। “ना” कहना कमजोरी नहीं, बल्कि साहस है। और अगर कोई रिश्ता आपकी आत्मा को चोट पहुँचाए, तो उससे दूरी बना लेना आत्मरक्षा है।

“फोकटिया” का मकसद केवल एक कहानी सुनाना नहीं, बल्कि आपको सोचने पर मजबूर करना है — कि आप किसे और क्यों अपने जीवन में जगह दे रहे हैं।

📖 यह किताब जल्द ही @amazon, @flipkart और @notionpress पर उपलब्ध होगी, पेपरबैक और ई-बुक फॉर्मेट में।

अगर आपने कभी ऐसा रिश्ता निभाया है जहाँ आप ही सिर्फ देते रहे, तो यह किताब आपकी अपनी कहानी है।

आप सभी का स्नेह, समर्थन और भरोसा ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है। आइए, इस नई यात्रा में भी साथ चलें।

#Phokatiya को पढ़िए, महसूस कीजिए, और उन सभी अनकही बातों को आवाज़ दीजिए जो आप कभी कह नहीं पाए।

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🌟 जल्द आ रही है एक ऐसी कहानी, जो सिर्फ पढ़ी नहीं, महसूस की जाती है…
📘 “फोकटिया” — एकतरफा रिश्तों की सच्चाई पर आधारित, लेखक धीरेन्द्र सिंह बिष्ट की सबसे भावनात्मक और प्रभावशाली कृति।

कभी आपने सोचा है —
जिसे आप दोस्त मानते हैं,
वो क्या आपको सिर्फ एक ‘ज़रूरत’ की तरह तो नहीं देखता?

“फोकटिया” कोई काल्पनिक कथा नहीं, यह हम सभी की ज़िंदगी की एक चुपचाप चलती लड़ाई है — जहां हम बिना कुछ कहे, रिश्तों में टूटते रहते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हमने कभी ‘ना’ कहना सीखा ही नहीं।

यह कहानी है राजीव की, एक ऐसा इंसान जो रिश्तों को दिल से निभाता है, और कमल की, जो दोस्ती की आड़ में सिर्फ लेता है… बिना कभी लौटाने की कोशिश किए।

📖 “फोकटिया” हर उस पाठक की कहानी है —
• जिसने कभी किसी स्वार्थी रिश्ते को ढोया है।
• जिसने खुद को खो दिया है किसी और की खुशी में।
• जिसने चुप रहकर अपने आत्म-सम्मान की कीमत चुकाई है।

💔 मगर ये कहानी सिर्फ टूटने की नहीं है…
यह पुनर्जन्म की कहानी है — खुद को फिर से समझने, उठने, और आगे बढ़ने की।

🔥 क्या आप तैयार हैं एक ऐसी किताब के लिए, जो न केवल दिल को छुएगी, बल्कि आपको आपके कुछ पुराने सवालों के जवाब भी दे जाएगी?

📅 “फोकटिया” बहुत जल्द प्रकाशित होने जा रही है।
Stay tuned for the official release date!

📍 उपलब्ध होगी Amazon, Flipkart, Kindle और Notion Press पर।
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“हर एहसास के पीछे कोई कहानी छुपी होती है… और कभी-कभी, वो कहानी आपकी अपनी हो सकती है।”

क्या आपने कभी खुद को खो देने की हद तक किसी को चाहा है?
क्या ज़िंदगी ने आपको किसी मोड़ पर रोककर आपकी असली पहचान से मिलवाया है?

“बर्फ के पीछे कोई था?” सिर्फ एक उपन्यास नहीं, बल्कि उन अनकहे जज़्बातों की यात्रा है जिन्हें हम अक्सर खुद से भी छुपा लेते हैं। लेखक धीरेन्द्र सिंह बिष्ट ने इस किताब के माध्यम से दिल के उन कोनों को छुआ है जहाँ हम अपने सबसे सच्चे और सबसे कमजोर रूप में होते हैं।

यह कहानी बताती है कि हर चाहत का पूरा होना ज़रूरी नहीं होता, लेकिन जो अधूरा रह जाता है, वही हमें सबसे गहरी सिख देता है। जीवन की जटिलता, प्रेम की मासूमियत, और पहचान की तलाश – यह उपन्यास इन सभी को एक बेहद खूबसूरत ढंग से पिरोता है।

📖 “जब जज़्बात खुद को खो देने की हद तक गहरे हों, तभी ज़िंदगी हमें हमारी असली पहचान से मिलाती है।”

अगर आप ऐसी कहानियाँ पसंद करते हैं जो दिल को छू जाएँ और सोच को झकझोर दें, तो यह किताब आपके लिए है।

👉 अब उपलब्ध है Amazon, Flipkart और NotionPress पर।

💬 “जब कहानियाँ चुप होती हैं, वो सबसे ज़्यादा बोलती हैं…”
तो आइए, इस चुप्पी को पढ़िए और महसूस कीजिए।

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“जब मन हारता है, तभी असली जीत की शुरुआत होती है।”

🌤️ “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” केवल एक किताब नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्पण है जो आपको आपके अपने मन की गहराइयों से मिलवाता है। यह पुस्तक एक ऐसे सफ़र पर ले जाती है जहाँ सवाल हैं, संदेह हैं, लेकिन साथ ही उत्तर और आत्म-स्वीकृति भी है। लेखक धीरेंद्र सिंह बिष्ट की यह कृति, मन की प्रकृति और उसकी उलझनों को बेहद सरल, संवेदनशील और गहराई से प्रस्तुत करती है।

📖 पहले अध्याय की झलक ही इस बात का प्रमाण है कि यह किताब सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए लिखी गई है। जब लेखक कहते हैं —
“मन एक ऐसा साथी है जो कभी तुम्हें आसमान तक उड़ाता है और कभी ज़मीन पर गिरा देता है” — तब यह पंक्तियाँ हर उस व्यक्ति को छू जाती हैं जिसने कभी अपने भीतर द्वंद्व महसूस किया है।

🧠 क्या सच में सब कुछ मन का खेल है? या फिर इसमें कोई गहरी सच्चाई छिपी है? यही सवाल इस किताब के हर पन्ने में गूंजता है, और हर पाठक को खुद के साथ एक गहरा संवाद शुरू करने को प्रेरित करता है।

✨ अगर आप आत्म-साक्षात्कार, प्रेरणा और मानसिक दृढ़ता की खोज में हैं, तो “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” आपके लिए एक साथी, एक मार्गदर्शक बन सकती है।

📚 अभी अपना कॉपी प्राप्त करें — Amazon, Flipkart और Notion Press पर उपलब्ध।

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क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी सबसे बड़ी लड़ाई बाहर से नहीं, हमारे मन से होती है?

“मन की हार, ज़िंदगी की जीत” एक ऐसी किताब है जो आपको खुद से मिलवाती है। यह सिर्फ़ एक प्रेरणात्मक पुस्तक नहीं, बल्कि एक जीवन यात्रा है — मन की जटिलताओं, डर, और संकोच से निकलकर आत्म-विश्वास और बदलाव की ओर।

📘 लेखक धीरेंद्र सिंह बिष्ट ने बहुत सरल भाषा में बताया है कि कैसे हमारा मन ही हमारी असफलताओं का कारण भी बनता है और हमारी जीत की शुरुआत भी।
इस पुस्तक के अंश हमें बताते हैं कि—
🔹 जब हम सोचते हैं “अगर मैं असफल हुआ तो क्या होगा?” — यही डर हमारे कदम रोक देता है।
🔹 मन एक ऐसा साथी है जो हमें खुद ही फँसाता है, लेकिन अगर हम उसे प्रशिक्षित कर लें, तो वही मन हमें मंज़िल तक ले जा सकता है।

यह पुस्तक सिखाती है:
💡 कैसे नकारात्मक सोच को सकारात्मक में बदलें
💡 कैसे डर और भ्रम से निकलकर आत्म-विश्वास जगाएं
💡 कैसे हर चुनौती को अवसर में बदलें

अगर आप जीवन में ठहराव, असफलता, या आत्म-संदेह से जूझ रहे हैं — तो “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” आपके लिए एक नई शुरुआत बन सकती है।

📦 अब उपलब्ध है:
Amazon | Flipkart | Notion Press

🔖 इसे पढ़िए, आत्मा तक महसूस कीजिए और खुद को फिर से गढ़िए।
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“चुप्पियाँ, सवाल और अधूरी बातें…”
कभी-कभी नज़दीकियाँ भी जवाब नहीं देतीं।
प्यार की कहानी में जब शब्द कम पड़ जाते हैं, तब चुप्पियाँ बोलने लगती हैं। ‘काठगोदाम की गर्मियाँ’ का यह छठवां अध्याय उन्हीं चुप्पियों की कहानी है—जहाँ रिश्ते समझने की कोशिश करते हैं, पर कह नहीं पाते।

रोहन और कनिका की यह अधूरी-सी बातचीत, उनके दिलों की बेचैनी को खूबसूरती से बयां करती है। जब किसी रिश्ते में सब कुछ कहा नहीं जाता, तब बहुत कुछ महसूस हो जाता है। यह किताब केवल एक कहानी नहीं, एक एहसास है—उन गर्मियों का, जब पहाड़ों की हवा में मोहब्बत और खामोशी दोनों तैरते थे।

📖 अब उपलब्ध है Amazon, Flipkart और NotionPress पर।

Tag करें उस इंसान को जिससे आप कुछ कहना चाहते थे… लेकिन कभी कह नहीं पाए।

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❄️ “कभी कुछ दिखता नहीं, पर बहुत कुछ महसूस होता है…”
यही भाव है ‘बर्फ़ के पीछे कोई था?’ — धीरेन्द्र सिंह बिष्ट द्वारा लिखित एक ऐसी किताब, जो सिर्फ पढ़ी नहीं जाती, महसूस की जाती है।

हर शब्द, हर पंक्ति, और हर कहानी एक ऐसा आईना है, जो बाहर की नहीं — अंदर की परतें उघाड़ता है।
कभी हम खुद से सवाल करते हैं, तो कभी दूसरों की खामोशियों को सुनने की कोशिश करते हैं।

📘 यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो संवेदनाओं को समझते हैं, जो रिश्तों की गहराई में उतरना चाहते हैं, और जो उन अनकहे एहसासों को पकड़ना जानते हैं, जो अक्सर शब्दों से परे होते हैं।

👉 इस किताब में सिर्फ कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि टूटे सपनों, अधूरी मोहब्बतों, समाज की सच्चाइयों और आत्मसंघर्ष की झलक है।
हर अध्याय आपको सोचने पर मजबूर करेगा —
“क्या हम वाकई सामने वाले को समझ पाते हैं, या सिर्फ उसके चेहरे की बर्फ़ देखते हैं?”

🌟 पोस्टर पर छपी यह पंक्ति,
“काश ऐसा होता — ख़ामियाँ निकालने वाला, ख़ूबियों से भरा होता”
किताब की आत्मा को बखूबी बयाँ करती है।

📦 अब उपलब्ध Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
एक बार पढ़िए — और शायद बर्फ़ के पीछे, आप खुद को भी पा जाएँ।

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