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Mohini

Mohini

@neelamshah6821
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*चाहत की तड़प*

जितना चाहा, कोई अपना न बन सका,
राहों में रोये हम, पर वो जान न सका।

शायद मोहब्बत से वो घबरा गया,
रूठकर दूर गया, और हम रातों को जागते रहे।

फिर भी दिल में उसकी चाह जगती रही,
हर सांस में उसकी याद सजती रही।

मंज़िल तक पहुँचे, मगर ठहराव न मिला,
गीत गुनगुनाए, पर सफ़र फिर से अधूरा रहा।
_Mohiniwrites

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तेरी मुस्कान में हम खो गए,
जाने क्यों दिल तुझपे फ़िदा हो गया।
तेरी चाहत बिन दिखे भी रहती है,
मेरे वजूद में तेरी रूह सा बस गई है।

तेरे सहारे ही तो जीते हैं हम,
जहाँ में तुझसा नहीं कोई।
तेरे दिल का टुकड़ा जैसे
मेरे पहलू में छुपा दिया गया हो कहीं।

तेरी हँसी में सुकून है,
तेरी खामोशी भी एक दुआ सी लगती है।
तेरा होना ही काफी है,
तेरे बिना ये दुनिया अधूरी सी लगती है।
_Mohiniwrites

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मौसम भी बहार का था,
तेरे संग क्या हुआ, न जाने।
जो पल रहा हर वक्त,
वो क्यों बिखर गया, न जाने।

फिर भी मैं चली अपने राहों पर,
ना कोई मंज़िल, ना कोई ठिकाना।
तुझको मगर दी थी हर वफ़ा,
बस यही था मेरा फ़साना।

रब करे, मेरे चले जाने से
तेरी दुनिया आबाद रहे।
मेरी दुआओं की छाँव तले
तेरी हर ख़ुशी बरक़रार रहे।
_Mohiniwrites

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*माया से आज़ादी*

माया से अब आज़ाद करे,
जो कोई मेरे मन को भाए।
जब भी सिरहाने आए,
खामोशी में रूह को छू जाए।

वो पल जो वक्त बेवक्त लौट आए,
बस सांसों में रह जाएँ।

मेरे हुज़ूर से कोई वफ़ा न तोड़े,
ना नाम ले, ना साथ मांगे
दिल से दिल तक राह बनाए।

जो मेरे तक आए, वो सच को पाए,
ना किसी का हो, ना मेरा , बस रूह बन जाए।
_Mohiniwrites

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*रूह का रिश्ता*

राहत में भी कुछ तूफ़ान सा था,
जैसे किसी ने दिल की बातों को छू लिया था।

वो जब चला, तो रूह में हलचल सी छा गई,
हर सांस जैसे उसकी याद से भर गई।

ज़िंदगी समंदर जैसी गहरी थी,
फिर भी उसने पास आकर एक वादा निभा दिया।

अब वो दूर है, पर एहसास है साथ,
मेरे सुकून की हर सांस में बस गया है वो बात-बात।

छत के पार कहीं अटका सा है,
जैसे मेरी दुआओं में हर पल उसका नाम लिखा है।

मैंने उसे पर्दे के उस पार भी जी लिया,
जैसे रूह ने रूह से एक रिश्ता बना लिया|
_Mohiniwrites

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सादगी से सितारा ✨

फितरत में सादगी थी , जीती थी यूँ ही मुस्कुराकर,
पर जब नखरे उठाए,
तो सब वही करने लगे जो मैं पहले ही निभा चुकी थी।

जब भी कोई बात दिल को छूती,
मैं न जली
पर खुद को और अधिक गहराई में ढाल लिया।

खुला जब आकाश मेरे भीतर,
तो मैं एक ऐसी चमक बनी जो कई जन्मों तक सजी रही।

और फिर भी
तू मुझे समझ न सका।
राह में पड़े पत्थर भी मेरे दर्द पर कांपे।

हाँ, मैं हँसती हूँ
जब-जब अपने मन के अनुसार जीती हूँ।
वहीं हँसी मेरी पहचान है, मेरा अधिकार है।
_Mohiniwrites

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💔 वादों की ख़ामोशी 💔
गुलशन में चाहत के फूल खिले,
पर ख्वाबों की शाखों से चुपके से गिर गए वादे।
ज़िन्दगी की किताब के पन्ने भी अब गीले हैं,
हर लफ़्ज़ में बसी है वो ख़ामोश हँसी की परछाई।

दरिया था मोहब्बत का, पर कोई पार ना मिला,
दर्द की लहरें चुपचाप सीने में उतर आईं।
राहत आई कई बार, पर रुकी नहीं कहीं,
हर पल बदला वक़्त ,पर चेहरा वही छाया लिए बैठा है...
_Mohiniwrites

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*मैं बिरहा की मारी*
एक अधूरी दास्तान

सारे रिश्ते, वादे अधूरे से क्यों लगते हैं, मैं बिरहा की मारी, तेरे हर वजूद पे, मेरे हमदम की हारी।

कोई तो तूफ़ानी हुई, बस फ़कत मेरे क़दमों को बढ़ाते हुए, वो पल मेरे साथ से हट गए।

ना कोई दिल पे चला, ना कोई शोर उठा, क्या पता वो दर्द से भरी ख़ामोशी थी, जो मेरे-तेरे दरमियान आकर बस गई।

ना नशा, ना सुरूर, ना जुनून पर न जाने कब से ठहरा हुआ सा है एक लम्हा, जो गुज़र ही नहीं रहा।
_Mohiniwrites

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वैसे तो हर मोड़ पर तुझसे ..
हमने कई सवाल किए थे,
पर तू था ही नहीं इतना सच्चा,
जो हमारे सवेरे की खामोशी को भी सुन पाता।

अब भी कोई मेरे सवेरे से पूछे
"क्या कोई है तेरे पास?"
तो मेरी खामोशी जवाब दे देती है।

टूटे सनम की बाहों में सोया होगा तू,
पर हम तो पहले ही टूट कर जाग चुके थे।

गुरूर तेरा हमेशा हम पर ही चला,
कभी अपने आईने में झांक कर भी देखता।

ठहर जा एक पल,
और सोच जिसे तूने सताया,
उसने हर दर्द चुपचाप सीने में उठाया होगा।
_Mohiniwrites

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*तेरे हिस्से की रोशनी*
चाहिए जो… वो वक़्त के साथ हम ढूंढ़ लेंगे,
कब से वह चाह हमारी, सनम की संग रह नहीं।

कोई जहाँ जवाब सच न रोये जाए,
ना जाने अपना वक़्त भी क्या अजीब सिलसिला प्यारा सा रह गया।

जो राम मेरे करीब से आए,
कहीं न कहीं वो हँसते हुए दम निकल रहे।

मुझे तो तेरे हिस्से में,
मेरी तक़दीर की वो रौशनी से ही चाहत है।

तेरे नाम की ख़ामोशी, अब मेरी दुआ बन गई है,
इश्क़ का जवाब, अब रब की इनायत सी लगती है।

जो पल टूटे नहीं थे, वही रूह बन गए हैं,
और जो पास थे, अब दूर से मुस्कुरा रहे हैं।
_Mohiniwrites

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