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*Chandni Si Tu* Chandni si hai teri roshni, Tu mere andheron se judi hai. Ek khaas baat hai.. Jo meri takdir kisi mod pe mudi hai... Pal mein na badle kabhi koi, Par tu aayi aur sab kuchh badal gaya. Mere sirhane khushiyan rakh di, Jo khali tha, wo jahan khil gaya. Na koi raha, na koi mila, Phir bhi chahat teri yun khili, Ke har kali muskara uthi... Aur main .. Main poora ho gaya. _Mohiniwrites
*तू क्यों गया?* सुनसान गली, रस्ता अनजान, चाहत से भरे थे पत्थर, बेईमान। ना कोई दरिया, ना सावन की बूंद, फिर भी आंखें भर आईं, चुपचाप, बेजुबान। क्या रुकना, क्या थम जाना, हर सांस में तेरी कमी का बस जाना। हर मोड़ पे दर्द, हर गली सदा दे, "तू कहां है?" दिल यही दुआ दे। मेरी रूह को तू छू क्यों गया? फिर अगले ही दिन, रूठ क्यों गया? _Mohiniwrites
*Bepanah Mohabbat ka Insaaf* Gehra hai vo har rishta jo seene se lag gaya, Kya thi kami jo hum bure kehlaaye? Sharafat se chaha, jise sabne gunehgar kaha, Humne to bepanah mohabbat ko sar aankhon par bithaya... Na ek jhalak, na ek nigaah us beraham ki, Na jaane kitne aansuon ka faisla khud ki chhati pe kiya, Par usne to bas khamoshi ka libaas odh liya... Kya vo khudgarz tha, jo kabhi tadpa nahi? Kya vo pyaar tha, jo kabhi dikha nahi? Bas kehta raha “Mehsoos hoga kabhi…” Par kyun nahi hua? Kyun hawaon mein udta gaya, Aur meri rooh ko bas tadpa gaya… _Mohiniwrites
*साहस* कठिन राहों ने जब भी रस्ता बदला, मेरा साया तेरे साथ, चुपचाप चलता रहा। आँखों का दरिया — तेरी यादों में सावन बन बहा, हर बूँद में, एक दुआ थी, सिर्फ़ तेरे लिए। हम जानकर भी अनजान बनते रहे, कि कहीं तेरा नाम न आ जाए सवालों में। मेरे हमदर्द की पाक मोहब्बत पे कोई उंगली न उठे, इसलिए अपनी चाहत को भी ख़ामोश कर बैठे। पर चाहत जो सच्ची हो — वो कहाँ किसी मंज़ूरी की मोहताज़ होती है? चाहने से ही तो मेरा वजूद साँस लेता है, और शायद... उसी साहस से मैं अब भी जिंदा हूं। _Mohiniwrites
*प्रतीक्षा* प्रतीक्षा की हर राह पर ना कोई रुका, ना कोई ठहरा। प्यार में हलचल थी, पर जवाब में सिर्फ़ ठुकराहट। दर्द ने चुपचाप कहा — शायद ये कोई संजोग है, जो बस थोड़ा दूर… मेरे जज़्बातों के पार खड़ा है। _Mohiniwrites
"सागर से पूछा..." सागर से पूछा — क्यों उछला तू? जहाँ भी रहा, तेरे चलने से मेरा साथ क्यों बहा? किसने भेजा प्यार बनकर जो बढ़कर उतरा दिल में? कोई तो चढ़ा सपना — जो जीवनभर थमा रहा, बिना थमे, बिना कहे हर साँस में जमा रहा। एक आग सी है — जो दूर कहीं धधकती रही, पर शायद वही मेरे भीतर भी जलती रही। फिर मेरे दरिया में उतरा सावन, बूंदों की बरसात बनी कविता। सावन में गरज थी, सावन में कोई भीगा भी था... शायद वही — जो कभी गया ही नहीं। _Mohiniwrites
सपना बनकर रह गया वो दूर कहीं... सपना बनकर वो रहा दूर कहीं, फर्क क्या पड़ता — जिस गली में तेरे कदम न आए, मैंने भी रुख मोड़ लिया। शायद तुझसे ख़फा रहा, या फिर खुद से भी — मगर मेरे प्यार से भरी इन आँखों ने तेरे होने को अब भी महसूस किया। क्या तुझे छू गया मेरा मौन वजूद? क्या दिल का धड़कना तेरे लिए अब भी बेमतलब रहा? मैं तो बस यूँ ही तेरी रूह में उतर गया था, और तू... शायद भूल ही गया मुझे या फिर तक़दीर ने.. तेरे हिस्से की मेरी मोहब्बत मुझसे ही छीन ली। _Mohiniwrites
चाहत के धागे" साथ कोई दे हमारा, चाहत के धागों से संवारे कोई। ज़ज़्बा था दिल में सावन जैसा, पर कभी खुलकर बरसे नहीं कोई। हमसे पराया हुआ ये जहाँ, रूठे रिश्तों का टूटा किनारा। दिल के कोने में चुप एक आवाज़, जिसे हर बार खुद से ही हारा। जब सहारा छूटा, तो कोई पास भी बुलाने न आया। क़दम रुके नहीं, पर हर मोड़ पर, ज़माने ने रास्ता ही बदलाया। चाहत का दरिया बहता रहा, अरमानों में डूबा कोई। अधूरा रहा मैं, बेवफ़ा न कोई, फिर भी हर बार... छूटा कोई। _Mohiniwrites
🌙 Suhani Raat 🌙 “Chupke se aayi vo pariyon ki Rani, Pyaar se bhari raat ne kholi ek kahani… Dil ke armaan liye koi raah chali, Saanson mein basa ek dilbar chhupi gali. Moh ke is jadoo mein rooh bhatakti gayi, Har raat ek nayi aah le kar chalti gayi. Roz dil jalaya, har khwab mein khoye, Jahan milte nahi the, bas dil se roye. Na takraye yun hi, na tha yeh gumaan, Yeh do roohon ka tha purana pehchaan. _Mohiniwrites
*Dream* मैंने उसे विदा किया था, पर शायद दिल ने नहीं। मौन का अर्पण अधूरा था, कुछ अश्रु, कुछ मौन, और अपूर्ण स्पर्श। मैंने दूसरों को मर्यादा सिखाई, पर खुद की पीड़ा को न समझ पाई। फिर वो लौटा… एक और बार बिछड़ने, शायद ये अंतिम बार हो। इस बार, मैं पूर्ण समर्पण करना चाहती हूँ — रूह का उपहार शांति से भरा अंतिम मौन, एक सम्पूर्ण विदा। _Mohiniwrites
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