*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*आजादी, उत्कर्ष, लोकतंत्र, भारत, तिरंगा *
आजादी
कैसे कुछ इंसान हैं, मचा रखी है लूट।
आजादी के नाम पर,समझें बम्फर छूट।।
उत्कर्ष
सही दिशा में अब बढ़े, भारत का उत्कर्ष।
प्रगति और उत्थान से, जन मानस में हर्ष।।
लोकतंत्र
लोकतंत्र बहुमूल्य यह, समझें इसका मूल्य।
राष्ट्र धर्म के सामने, होता सब कुछ शून्य।।
भारत
भारत ऐसा देश यह, सदियों रहा गुलाम।
किन्तु ज्ञान विज्ञान से, पाया विश्व मुकाम।।
तिरंगा
हाथ तिरंगा थामकर, गूँजी जय-जयकार।
राष्ट्र भक्ति सँग एकता, जनमानस का प्यार।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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