स्वच्छता
तन मन को सुंदर करना है,
स्वछ गगन भी अब रखना है।
शुचिता को अब धर्म बना कर ,
भारत को स्वर्ग बनाना है।।
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शुचिता,स्वच्छता का हर साधन,
अब हम सबको अपनाना है।
जन-जन ने अब यह ठाना है,
भारत को स्वर्ग बनाना है।।
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हाथों में झाड़ू लेकर हम,
आओ मिल -जुल श्रमदान करें ।
घर-घर शौचालय बनवा कर,
मानवता का सम्मान करें।
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शुचिता सम्बन्धी बापू की ,
सब बातों को अपनाना है ।
सुंदर तन मन सुंदर जीवन ,
भारत को स्वर्ग बनाना है ।।
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इतराएंगी अब सड़कें भी ,
इठलाएगा घर का कोना ।
कम्पोस्ट बनेगा अब कूड़ा ,
फसलें भी उपजेंगी दूना ।
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अपने ख़ातिर तो जिये बहुत ,
अब देश की ख़ातिर जीना है ।
जन-जन ने अब यह ठाना है,
भारत को स्वर्ग बनाना है ।।
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तन मन को सुंदर करना है,
स्वछ गगन भी अब रखना है।
शुचिता को धर्म बना कर अब,
भारत को स्वर्ग बनाना है।।