*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
* चाँद,चकोर, चंद्रिका, चंद्रमुखी, शरद,पूनम, *
1 चाँद
हाथ थाम कर चल प्रिये, प्रेम भरी सौगात।
चाँद हँसा आकाश में, शरद पूर्णिमा रात।।
2 चकोर
नयना चंद्र चकोर बन, प्रिय को रहे निहार।
विरहन-सी रातें लगें, प्रतिदिन लगते भार।।
3 चंद्रिका
शरद रात में चंद्रिका, झिलमिल लगे अनूप।
शृंगारित दुल्हन बनी, धरे मोहनी रूप।।
4 चंद्रमुखी
देख रही आकाश में, चंद्रमुखी वह चाँद।
स्वप्न सलौने बुन रही, प्रेमिल सी उन्माद।।
5 पूनम
पूनम का वह चाँद फिर, खिला आज आकाश।
पृथ्वी पर बिखरा रहा, दुधिया नवल प्रकाश।।
6 शरद
शरद ऋतु ने ठंड की, बिखराई सौगात।
ओढ़ दुशाला काँपते, बूढ़ों की जगरात।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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