मुह में बाजा ताजन्म ईब बनायरी उबासी अधरंग
मदिरा पान सुरसरी, पेट सेट और कलुआ फिरंग
भगत सिंह न डॉ साहेब पे बेच रहया नित ईमान
कमबख्त इणाने इब बख्स दे, नकारा और बईमान
खांड चाब, आंसू पूंछे और बनावटी शक्ल
दवा दारू चाट करगा, तिहाड़ा जाये अक्ल
माहपुरूषा के नाम पे, रोजा खाव खसम
तस्वीरा इण हाथ सू झुठी रेल पेल रसम
मोहब्बत री लुटी कहानी पी रोये
खसम बनावे रोज यो,दारू शाम होवे
गिलासा अब हर रोज, पैग ईब जोवे
सुबह मंदिरा शाम मदिरा मालई बटोरे
कह कविराज सुनरे कागा तिहाड़ा मोहे
पैग पाग अलसुबह, और मुह माथा चमकाय
रे सखी चालो सड़क पे बादर जनता नचाय
सांच कही रहयो और तरज्या सजावटी तन
सनातन ये मन्दिरा आंगन राम राम अनन्त
अनंता हरी नाम है कृष्ण राम शिव सब माय
जो खोजन को लाग तु, सब सुन्दर सब जान
मेरो मन तो पावना ढूंढे जाय के जजमान
आज तिहारे कल मिले रोज पाये सन्मान
मोहब्बत केवल राम से राम राम अनमोल
बोले है पावसी, तर जासी संसार सु
जटानन्द उ व्यासजी सबोन को देवेलो पछाड़
मंत्री लुलता जुं फिरे कुटुम्ब कबिला भी घबराय
पांच साला काम ने देवे गली गली घीन्नवाय
ढुढत आख पड़ पीली, पुरो कुनबो दे ठुकराय
दस बारा दिन री बात है, फेर गुलाबी शाम
ढुढत आख जनता सारी, मेवा मलिहा बादाम
राम नाम सो सुमिरे, सुमिरत नाम आधार
जीवन मरण यक्ष प्रश्न, सहज शुभम मनकार
मौन साधे चोर सा, चोरी से कुण विश्राम
झुठ लुठ कपटी भई, हर गली सु घमसान
राम नाम कडुआ लगे, चोरी माल चकोर
रहनुमा कुनबा जमे, राहत राशन चोर
दुई का माल दस में बीके, बीके दीन ईमान
लाभ लोभ सु सुधरके , हरदिन है सियाराम